Trade Faire 2021:अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में वोकल फार लोकल की मिसाल साबित हो रहा हुनर हाट
Trade Faire 2021 40वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में यूं तो नौ देशों की 40 कंपनियां भी अपने उत्पाद प्रदर्शित किए हुए हैं लेकिन बोलबाला इस बार स्वदेशी हुनर का है। वोकल फार लोकल का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है।
नई दिल्ली[संजीव गुप्ता]। Trade Faire 2021:प्रगति मैदान में चल रहे 40वें अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में यूं तो नौ देशों की 40 कंपनियां भी अपने उत्पाद प्रदर्शित किए हुए हैं, लेकिन बोलबाला इस बार स्वदेशी हुनर का है। वोकल फार लोकल का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है। इस दिशा में हाल नंबर तीन में लगी हुनर हाट एक मिसाल है, जहां हुनरमंद लोगों के हुनर को पंख लग रहे हैं। केंद्र सरकार के साथ और सहयोग से जिला कस्बों के कारीगरों का सम्मान भी बढ़ने लगा है।
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में रहने वाले मोहम्मद उस्मान मिर्ज़ा लकड़ी से बने हस्तशिल्प का सामान बेच रहे हैं। इनकी स्टाल पर दर्शकों की भीड़ देखते ही बनती है। कहते हैं, दो साल पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दिल्ली के इंडिया गेट पर लगे हुनर हाट में आए थे और उन्होंने मेरा सामान देखा, मेरी प्रशंसा की। उनके साथ मेरी तस्वीर तो मीडिया वायरल हुई ही, उसके बाद मेरे कारोबार को पंख लग गए और मुझे एक नई पहचान मिली।
हुनर हाट के मेन गेट के पास लगे स्टाल पर हरिद्वार के सोनू अपने चरखा और बुनाई मशीन के साथ शाल और लोई बनाते नजर आते हैं। ये उनका पुश्तैनी काम है, हुनर हाट में दूसरी बार आए हैं। तीन बेटियों के पिता सोनू बताते हैं कि हुनर हाट में आकर उनके सामान की बिक्री बहुत ज़्यादा हो रही है। सरकार से भी आर्थिक मदद मिलती है। ऐसे में बेटियों को पढ़ाना उनके लिए आसान हो गया है। 97 नंबर स्टाल मणिपुर की हतनेंग माँगटे का है। वह घर की अकेली कामकाजी महिला हैं। परिवार के चार लोगों के पालन-पोषण की ज़िम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर है। बेंत और बाँस से घरेलू सामान खुद बनाती हैं। मणिपुर में जैसे-तैसे गुज़ारा हो रहा था। परिवार में पैसे की किल्लत थी लेकिन हुनर हाट ने इन्हें एक नया मंच और बाजार उपलब्ध कराया।
उनके स्टाल पर भी बिक्री अच्छी हो रही है। लाकडाउन के बाद आर्थिक तंगी से जूझ रही हतनेंग माँगटे को हुनर हाट से बड़ी राहत मिली है। इसी तरह की कहानी मणिपुर की ही संगीता की भी है। हुनर हाट में आने से उनकी कमाई भी कई गुना बढ़ गई है। राजस्थान के झुंझुनू से आए इरफ़ान करीब 30 साल से स्टोन स्टडिड ज्वैलरी का धंधा करते हैं लेकिन उनका कहना है कि उनके काम और कला को सही पहचान हुनर हाट से ही मिली।
इसके लिए वो केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी का आभार जताते हुए कहते हैं कि लोग थोक में भी उनके सामान का आर्डर बुक करा रहे हैं। आनलाइन भी उनकी बिक्री बढ़ी है। स्टाल नंबर 103 पर नागालैंड की एलंग फोम के ऊपर अपनी बूढ़ी बीमार सास का इलाज कराने की ज़िम्मेदारी है। ड्राई फ्लावर्स का काम करने वाली एलंग हुनर हाट में आने के बाद अब उनका इलाज आसानी से करा पा रही हैं।
हुनर हाट का आयोजन केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय देश भर में करता है। सरकार की तरफ से स्टाल लगाने वाले सभी दस्तकारों और शिल्पकारों को आने-जाने का किराया तो मिलता ही है, एक हज़ार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन वोकल फ़ार लोकल और आत्मनिर्भर भारत को सशक्त बनाने की दिशा में हुनर हाट असरदार भूमिका निभा रहा है।