बहुत पीछे छूटा अन्ना आंदोलन, 1977 के बाद रामलीला मैदान में दिखा ऐसा जनसैलाब
विहिप का कहना है कि रामभक्त 13 हजार बसों से रामलीला मैदान पहुंचे थे। कई जगह से यह सूचना मिली है कि एक हजार बसें रास्ते में जाम होने की वजह से रामलीला मैदान तक नहीं पहुंच सकीं।
नई दिल्ली (निहाल सिंह)। दिल्ली के रामलीला मैदान में रविवार को हुई धर्मसभा ने इतिहास रच दिया है। विश्व हिंदू परिषद् (VHP) का दावा है कि वर्ष 1977 में हुए जय प्रकाश नारायण आंदोलन के बाद ऐसा जन सैलाब शायद ही किसी और आंदोलन में दिखा हो।
विहिप का कहना है कि वर्ष 2012 में हुए अन्ना हजारे आंदोलन में कुछ भीड़ जरूर दिखाई दी थी, लेकिन ऐसी भीड़ तो जेपी आंदोलन के समय ही देखी गई थी। रविवार को राम मंदिर के लिए रामलीला मैदान में रामभक्तों का जत्था राजघाट, आइटीओ और मिलेनियम बस डिपो तक दिखाई दे रहा था। तीन से चार किलोमीटर तक लोग पैदल चलकर रामलीला मैदान पहुंचे।
विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि राम मंदिर के लिए लोगों की भावनाओं का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 1977 में हुए जेपी आंदोलन के बाद ऐसा जनसमूह दिखाई दिया है।
खास बात यह है कि जो इस आंदोलन में लोग पहुंचे उन्हें न तो कोई पद चाहिए था और न ही किसी और प्रकार का लालच था। हर किसी की एक ही लालसा भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनवाने की थी। विहिप का कहना है कि रामभक्त 13 हजार बसों से रामलीला मैदान पहुंचे थे। कई जगहों से यह सूचना मिली है कि एक हजार बसें रास्ते में जाम होने की वजह से रामलीला मैदान तक नहीं पहुंच सकीं।
ट्विटर पर दिन भर ट्रेंड करता रहा नेशन वांट्स राम मंदिर
रामलीला मैदान में विहिप की धर्मसभा को न केवल जमीन पर जनसमर्थन मिला बल्कि सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इसका खूब समर्थन किया। यही वजह है कि करीब छह घंटे तक ट्विटर पर नेशन वांट्स राम मंदिर नंबर एक पर ट्रेंड करता रहा। इसमें लोग आंदोलन से जुड़ीं गतिविधियों के साथ अपनी सेल्फी और रामलीला मैदान की झलकियों को साझा कर रहे थे। विहिप के अनुसार एक लाख से अधिक लोगों ने इस आंदोलन की लाइव कवरेज फेसबुक के माध्यम से देखी। पांच हजार लोगों ने यूट्यूब पर देखा। वहीं करीब 60 हजार ट्वीट भी इस दौरान नेशन वांट्स राम मंदिर हैशटैग के साथ किए गए।