इमरान मसूद ने उत्तर प्रदेश के साथ-साथ दिल्ली में भी दिया कांग्रेस को बड़ा झटका
इमरान मसूद के समाजवादी पार्टी में जाने की घोषणा दिल्ली कांग्रेस के लिए भी एक बड़ा झटका है। जब राजधानी दिल्ली में भी दिल्ली नगर निगम चुनाव सिर पर हैं तो ऐसे में उनका पार्टी को अलविदा कहना दिल्ली में भी पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव इमरान मसूद ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का हाथ मजबूत किया है तो दिल्ली में कांग्रेस के पंजे को कमजोर कर दिया है। ऐसे में इमरान मसूद के समाजवादी पार्टी में जाने की घोषणा दिल्ली कांग्रेस के लिए भी एक बड़ा झटका है। इसकी वजह है यह है कि इमरान मसूद दिल्ली कांग्रेस के सह प्रभारी भी थे। ऐसे में जब राजधानी दिल्ली में भी दिल्ली नगर निगम चुनाव सिर पर हैं, तो ऐसे में उनका पार्टी को अलविदा कहना दिल्ली में भी पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है।
पिछले साल मिली थी बड़ी जिम्मेदारी
बता दें कि अगले कुछ महीनों के दौरान होने वाले दिल्ली नगर निगम चुनाव के मद्देनजर ही पिछले साल तीन जून 2021 को ही आलाकमान ने इमरान मसूद को दिल्ली कांग्रेस का सह प्रभारी बनाया था। उन्हें दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी राज्यसभा सदस्य शक्ति सिंह गोहिल के साथ जोड़ा गया था। तब कहा गया था कि इनकी नियुक्ति 2022 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव और दिल्ली नगर निगम चुनाव में मुस्लिम तबके के मत हासिल करने में खासी मददगार साबित होगी।
बड़ी रणनीति के कांग्रेस ने दी थी इमरान को दिल्ली में जिम्मेदारी
राजनीतिक जानकारों की मानें तो दिल्ली के ज्यादातर मुस्लिम मतदाता पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं। वहां पर इमरान मसूद का अच्छा वजूद माना जाता है। आलाकमान को उम्मीद थी कि दिल्ली कांग्रेस का सह प्रभारी बनाने से एक ओर पश्चिमी उत्तर प्रदेश का मुस्लिम मतदाता अपने नेता की तरक्की से खुश होकर कांग्रेस का हाथ थामेगा तो वहीं दिल्ली नगर निगम चुनाव में भी इस वर्ग का समर्थन पाना आसान हो जाएगा। इससे पहले कि आलाकमान की यह सोच साकार रूप ले पाती, इमरान खुद ही हाथ का साथ छोड़ साइकिल की सवारी करने चल पड़े।
दिल्ली में और कमजोर हुई कांग्रेस
स्वाभाविक तौर पर इमरान का यह कदम दिल्ली के कांग्रेसियों को हतप्रभ करने वाला है, ऐसा इसलिए भी क्योंकि दिग्गज नेताओं के लगातार पार्टी छोड़ते जाने से राजधानी दिल्ली में पहले से ही कांग्रेस बहुत कमजोर हो चुकी है। आलम यह हो चला है कि प्रदेश कांग्रेस के ज्यादातर वरिष्ठ नेताओं को यही तनाव सताने लगा है कि आप और भाजपा की सीधी लड़ाई में क्या नगर निगम चुनाव में कांग्रेस ठीक से लड़ भी पाएगी या नहीं। पार्टी को लगे इस नए झटके को लेकर जब कांग्रेस के दिल्ली प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल से बात की गई तो उन्होंने इस प्रकरण की अधिक जानकारी न होने की बात कहते हुए प्रतिक्रिया देने में असमर्थता जता दी।