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दिल्ली में अब कैसे कम होगी 'गंगा, यमुना, नर्मदा व सरस्वती' की ऊंचाई, पढ़िये- आखिर क्या है पूरा मामला

एविएशन वाचडाग डायरेक्टर जनरल आफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने डीडीए को नोटिस जारी कर कहा है कि इन चारों कांप्लेक्स की 15 बिल्डिंगों की ऊंचाई कम करे क्योंकि इनकी ऊंचाई से इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने वाले जहाजों को खतरा है।

By Jp YadavEdited By: Published: Sat, 18 Sep 2021 12:07 PM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 12:07 PM (IST)
दिल्ली में अब कैसे कम होगी 'गंगा, यमुना, नर्मदा व सरस्वती' की ऊंचाई, पढ़िये- आखिर क्या है पूरा मामला
दिल्ली में अब कैसे कम होगी 'गंगा, यमुना, नर्मदा व सरस्वती' की ऊंचाई, पढ़िये- आखिर क्या है पूरा मामला

नई दिल्ली [अरविंद कुमार द्विवेदी]। दक्षिण दिल्ली के वसंत कुंज डी-6 स्थित गंगा, यमुना, नर्मदा व सरस्वती कांप्लेक्स में करोड़ों रुपये के फ्लैट्स खरीदने वाले आवंटी विभिन्न एजेंसियों की गलती की सजा भुगत रहे हैं। एविएशन वाचडाग डायरेक्टर जनरल आफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने डीडीए को नोटिस जारी कर कहा है कि इन चारों कांप्लेक्स की 15 बिल्डिंगों की ऊंचाई कम करे क्योंकि इनकी ऊंचाई से इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने वाले जहाजों को खतरा है। कांप्लेक्स एयरपोर्ट से करीब पांच किलोमीटर दूर हैं इसलिए यहां होने वाले निर्माण में नागरिक उड्डयन निदेशालय के नियमों का ध्यान रखना होता है। वहीं, दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) का कहना है कि इस बारे में नागर विमानन महानिदेशालय ही कुछ बता सकता है। डायल सूत्रों का कहना है कि वसंत कुंज में जो सर्वे किया गया था, उसमें करीब 170 इमारतों की ऊंचाई तय मानक से अधिक पाई गई थी।

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रजिस्ट्री के समय डीडीए ने प्रत्येक फ्लैट से 30 सालों के लिए तीन से पांच लाख रुपये के हिसाब से चारों कांप्लेक्स से करीब 100 करोड़ रुपये मेंटेनेंस फंड के रूप में जमा करवाए थे, लेकिन मेंटेनेंस के नाम पर होता कुछ भी नहीं है। इस कारण टावर जर्जर हो गए हैं। दीवारों से ग्रिट वाश (प्लास्टर) व छज्जे गिरने से लोग घायल हो चुके हैं। लिफ्ट अक्सर खराब रहती है। 11 साल में ही ये फ्लैट 50 साल पुराने दिखने लगे हैं।- विक्रम गहलोत (चेयरमैन, सीडब्ल्यूजी मेगा हाउसिंग फेडरेशन व नर्मदा कांप्लेक्स, आरडब्ल्यूए)

विभिन्न एजेंसियों की मनमानी के कारण कांप्लेक्स के हजारों परिवार परेशान हैं। हमने डीडीए से फ्री होल्ड प्रापर्टी खरीदी थी, लेकिन अब बार-बार नोटिस ङोलना पड़ रहा है। अब इस नए नोटिस ने एक बार फिर हम सबको चिंता में डाल दिया है। डीडीए ने हमसे करोड़ों रुपये मेंटेनेंस चार्ज वसूला, उसके बावजूद सभी टावर जर्जर पड़े हैं। अधिकारियों को हमारी कोई फिक्र ही नहीं है।- एनएस मोर (अध्यक्ष, सीडब्ल्यूजी मेगा हाउसिंग फेडरेशन व गंगा कांप्लेक्स आरडब्ल्यूए)

यह है मामला

डीडीए ने कामनवेल्थ गेम्स- 2010 के लिए सीडब्ल्यूजी मेगा हाउसिंग स्कीम में ये चारों आठ मंजिला कांप्लेक्स बनाए थे। हर कांप्लेक्स में 476 यानि कुल 1904 फ्लैट्स हैं। सर्वे आफ इंडिया ने अपने कोआर्डिनेट्स में नर्मदा, यमुना व सरस्वती कांप्लेक्स की ऊंचाई 296 मीटर और गंगा कांप्लेक्स की 298 मीटर अप्रूव की थी। डीडीए ने इन टावरों को इसी आधार पर आठ मंजिला बनाया। आठवीं मंजिल की छत पर पानी की सीमेंटेड टंकियां व सीढ़ियों पर छत (अंटिया) बनाए जाने से इनकी उंचाई तय मानक से एक से तीन मीटर तक बढ़ गई। हवाई जहाजों की सुरक्षा के मद्देनजर डायल की ओर से वर्ष- 2016 में किए गए आब्सटिकल सर्वे में इन टंकियों व अंटियों को बाधा के रूप में चिन्हित किया गया है।

डीडीए का पक्ष

डीडीए का कहना है कि एयरपोर्ट अथारिटी के साथ मिलकर यह मामला सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है। कांप्लेक्स के टाप फ्लोर के कुछ फ्लैट्स पर कुछ अवैध स्ट्रक्चर बने हुए हैं। पानी के टैंक भी एयर ट्रैफिक के रास्ते में आ रहे हैं। इसे लेकर भी जल्द ही डीडीए एयरपोर्ट अथारिटी के साथ मिलकर ज्वाइंट सर्वे किया जाएगा। इसमें तय किया जाएगा कि टैंकों की उंचाई को किस तरह तय मानकों तक लाया जा सकता है। डीडीए के अनुसार, टाप फ्लोर के फ्लैट्स के साथ कोई समस्या नहीं है। छत पर बने कुछ स्ट्रक्चर की उंचाई अधिक है। सर्वे के बाद ही यह तय हो पाएगा कि उनका क्या किया जाए।

एक साल तक लोगों को झेलना पड़ा था काफी आर्थिक नुकसान

सर्वे के आधार पर वर्ष 2018 में कांप्लेक्स के सभी 1904 फ्लैटों की सेल डीड और रेंट एग्रीमेंट के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी गई थी। इस कारण आवंटी इन्हें न तो किराए पर दे सकते थे और न ही बेच सकते थे। ऐसे में उन लोगों के सामने काफी बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई थी, जिन लोगों ने इनवेस्टमेंट के रूप में फ्लैट्स खरीदे थे और किराए पर उठाकर लोन की ईएमआइ चुका रहे थे। वर्ष- 2019 में सीडब्ल्यूजी मेगा हाउसिंग फेडरेशन के चेयरमैन विक्रम गहलोत की याचिका पर हाई कोर्ट ने यह रोक हटाने का आदेश दिया था। हालांकि, एक साल तक लोगों को काफी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा था।


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