Nirbhaya Justice: चंद सेकेंड में निकल गई निर्भया के दोषियों की जान, पढ़ें- Hanging के बारे में
Nirbhaya Justice जैसे ही तख्त पर खड़े निर्भया के चारों दोषियों के गले की रस्सी को खींचा गया चंद सेकेंड में ही उनकी जान निकल गई।
नई दिल्ली [गौतम कुमार मिश्रा]। Nirbhaya Justice : फांसी देने के चंद सेकेंड के भीतर ही कैदी की मौत हो जाती है और उसे ज्यादा तड़पना भी नहीं पड़ता। शुक्रवार सुबह 5 बजकर 30 मिनट पर दी गई निर्भया के चारों दोषियों के साथ भी ऐसा हुआ। जैसे ही तख्त पर खड़े निर्भया के चारों दोषियों के गले की रस्सी को खींचा गया, चंद सेकेंड में ही उनकी जान निकल गई। वहीं, ऐसा तभी होता है, जब दक्ष और प्रशिक्षित जल्लाद ऐसी फांसी को अंजाम देता है।
हरि नगर स्थित दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में फोरेंसिक विभाग के अध्यक्ष डॉ. बीएन मिश्र इस बारे में कहते हैं कि दक्ष जल्लाद जब अधिकारियों की देखरेख में फांसी को अंजाम देता है। फांसी लगने के दौरान गर्दन की हड्डियों में अचानक ही झटका लगता है। यह झटका वजन के हिसाब भी लगता है और इस झटके से गर्दन की 7 में से से ऑडोंट्वाइड प्रोसेस नामक हड्डी निकलकर स्पाइनल कॉर्ड में धंसती है। इस हड्डी के धंसते ही शरीर न्यूरोलॉजिक शॉक का शिकार हो जाता है। इसके बाद तत्काल ही शरीर की नियंत्रण क्षमता खत्म हो जाती है और फांसी पाए कैदी की तुरंत मौत भी हो जाती है।
हैंगिग क्यों कहते हैं फांसी को
बीएन मिश्रा का कहना है कि आमतौर पर जिसे फांसी की सजा कहा जाता है, उसे फॉरेंसिक भाषा में ज्यूडिशियल हैंगिंग कहा जाता है। आत्महत्या के मामलों में जान जाने में 2-3 मिनट का वक्त लग जाता है। आत्महत्या के मामलों में ज्यादातर में गर्दन और सांस की नली दबने अथवा दोनों के एक साथ ही दबने पहले मस्तिष्क का प्रवाह बंद हो जाता है और अगले 2-3 मिनट में शक्स की मौत हो जाती है। इसमें अगर किसी को हत्या के मकसद से किसी को लटकाया जाता है, तो इसे होमिसाइडल हैंगिंग कहा जाता है।
यहां पर बता दें कि दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट के डेथ वारंट के बाद इस पर अमल करते हुए शुक्रवार सुबह निर्भया के चारों दोषियों विनय कुमार शर्मा, पवन कुमार गुप्ता, अक्षय सिंह और अक्षय कुमार सिंह को तिहाड़ जेल संख्या-3 में फांसी दे दी गई।