Delhi News: राजधानी दिल्ली में बड़े बड़े जलाशयों को डकार गईं ऊंची ऊंची इमारतें
National capital Delhi News देश की राजधानी दिल्ली के 1043 जलाशयों में से अब 221 जलाशयों को इस सूची से हटाने की अपील की गई है। इनमें 215 जलाशय डीडीए जबकि छह दिल्ली जल बोर्ड के शामिल हैं।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। इसे प्रशासनिक अनदेखी कहें या सरकारी हीलाहवाली.. दिल्ली की कई ऊंची ऊंची इमारतें यहां के बड़े बड़े जलाशयों को भी डकार गई हैं। आलम यह है कि अब वहां जलाशयों का नामोनिशान तक नहीं बचा। यह सच भी दिल्ली स्टेट वेटलैंड अथारिटी (डीएसडब्ल्यूए) ने स्वयं अपनी रिपोर्ट में बयां किया है। हैरत की बात यह भी कि डीएसडब्ल्यूए ने उपराज्यपाल अनिल बैजल के समक्ष इन जलाशयों को पुनर्जीवित करने में असमर्थता जताते हुए इन्हें सूची से ही हटाने का आग्रह कर दिया है। गौरतलब है कि डीएसडब्ल्यूए ने जीयो टै¨गग के जरिए राजधानी के 1043 जलाशयों की पहचान की है। यह काम पिछले दो सालों के दौरान किया गया है। इन्हीं में से अब 221 जलाशयों को इस सूची से हटाने की अपील की गई है। इनमें 215 जलाशय डीडीए जबकि छह दिल्ली जल बोर्ड के शामिल हैं।
उपराज्यपाल को दिए गए एक प्रेजेंटेशन में डीएसडब्ल्यूए ने बताया है कि 62 जलाशयों पर इस समय इमारतें खड़ी हैं। 52 पर जन सुविधाएं, 14 पर शैक्षणिक संस्थान और 11 पर पार्क व मनोरंजन केंद्र जबकि शेष पर व्यावसायिक प्रतिष्ठान, नाले और अवैध कब्जे पाए गए हैं। इसके अलावा 37 जलाशयों का कोई चिन्ह ही नहीं मिल रहा क्योंकि जीयो कार्डिनेट में उनका डाटा पूरा नहीं है। या तो इनके खसरा नंबर या ब्लाक नंबर नहीं हैं।डीएसडब्ल्यूए अधिकारियों के मुताबिक उपराज्यपाल के साथ उक्त मसले पर समीक्षा बैठक हो चुकी है। उन्होंने फिलहाल 221 जलाशयों को 1043 जलाशयों की सूची से हटाने के लिए इंकार कर दिया है।
इन अधिकारियों के अनुसार इस मामले में जल्द ही दो सदस्यों की एक विशेषज्ञ समिति बनाई जा सकती है। अगर यह विशेषज्ञ समिति इस आशय की रिपोर्ट देती है कि इन जलाशयों को पुनर्जीवित करना संभव नहीं है। तभी इन जलाशयों को सूची से हटाना संभव हो पाएगा वरना नहीं। सभी विभागों को यह निर्देश भी जारी किया गया है कि वे जलाशयों के आसपास कंक्रीट का निर्माण जैसे फुटपाथ वगैरह बनाकर उसका आकार को छोटा या बदलने की कोशिश न करें।
डीएसडब्ल्यूए के एक अधिकारी के अनुसार प्रयास यही है कि अधिक से अधिक जलाशयों को पुनर्जीवित किया जा सके। अब विशेषज्ञ समिति ही इस समस्या का समाधान निकालेगी। वहीं डीडीए के एक अधिकारी ने बताया कि इन झीलों को पुनर्जीवित करना संभव नहीं है। इनमें से कई जलाशयों पर तो निजी व सरकारी इमारतें बन चुकी हैं।
दिल्ली सरकार के अधिकारियों के साथ डीडीए की टीम ने भी सभी जलाशयों का संयुक्त सर्वे किया है। इसलिए इन जलाशयों की सूची को नए सिरे से तैयार करने की अपील की गई है। अधिकारी के अनुसार अब सभी साइटों में यह देखा जाएगा कि वहां कैचमेंट एरिया है या नहीं और क्या मिट्टी में पानी रखने की क्षमता है या नहीं। यह भी विकल्प है कि इमारत के आसपास कहीं पर जलाशय बना जाए। पहली कोशिश यही होगी कि इन जलाशयों को सूची से न हटाना पडे़।