दहेज उत्पीड़न के मामले में कोर्ट का फरमान, पीएम राहत कोष में जमा कराएं 10-10 हजार रुपये
दहेज उत्पीड़न के खिलाफ दायर दो अलग-अलग मुकदमों में हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को प्रधानमंत्री राहत कोष में दस-दस हजार रुपये जमा करने का आदेश देते हुए राहत दी।
नई दिल्ली, जेएनएन। दहेज उत्पीड़न के खिलाफ दायर दो अलग-अलग मुकदमों में हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को प्रधानमंत्री राहत कोष में दस-दस हजार रुपये जमा करने का आदेश देते हुए राहत दी। न्यायमूर्ति सुनील गौर की पीठ ने कहा कि क्योंकि एफआइआर विवाह से जुड़े मामले में हुई है और दोनों पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण तरीके से समझौता हुआ है। ऐसे में एफआइआर रद की जाती है।
न्यायमूर्ति सुनील गौर ने आदेश दिए कि याचिकाकर्ताओं को चार सप्ताह के अंदर प्रधानमंत्री राहत कोष में रुपये जमा कराने होंगे। याचिकाकर्ता सतेंद्र सिंह के खिलाफ वर्ष 2017 में दहेज उत्पीड़न का मामला न्यू उस्मानपुर थाने में दर्ज हुआ था। उन्होंने इस साल 20 मई को शपथ पत्र दाखिल कर मामले में समझौता होने की जानकारी पीठ को दी थी।
याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि उनकेखिलाफ दर्ज मुकदमा रद किया जाए। इस दौरान अदालत में मौजूद शिकायतकर्ता ने कहा था कि वह याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं चाहती हैं। दूसरे मामले में याचिकाकर्ता करन सिंह संधू के खिलाफ वर्ष 2016 में दहेज उत्पीड़न समेत अन्य धाराओं में तिलक नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज हुई थी। 20 मई को शपथ पत्र दायर कर उन्होंने भी पीठ को बताया कि उनका दूसरे पक्ष से समझौता हो गया है और मामले में दर्ज एफआइआर रद की जाए।
शिकायतकर्ता ने अदालत को बताया कि समझौते के तहत उन्हें 2.25 लाख रुपये मिल चुके हैं और अब मामले में कोई कार्रवाई नहीं चाहती हैं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद पीठ ने एफआइआर रद करने के आदेश दिए।