हाईकोर्ट ने जलभराव पर दिल्ली सरकार को फटकारा, पूछा ये राजधानी है या जंगल
हाईकोर्ट ने जलभराव पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा है कि यह राजधानी है या जंगल। दिल्ली सरकार को हर क्षेत्र की मैपिंग करने के आदेश दिए हैं।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली-एनसीआर में प्रत्येक वर्ष मानसून के दौरान लोगों को राहत कम और मुसीबत ज्यादा झेलनी पड़ती है। जलभराव की समस्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। जलभराव की गंभीरता को देखते हुए 17 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए दिल्ली सरकार और नगर निगमों से पूछा था कि हर साल राजधानी की सड़कों पर जलभराव क्यों होता है।
26 जुलाई को मामले में अगली सुनवाई होनी थी। ठीक सुनवाई के दिन ही सुबह से दिल्ली एक बार फिर पानी-पानी हो गई। इसके बाद मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए दिल्ली सरकार से पूछा है कि यह राष्ट्रीय राजधानी है या कोई जंगल। मामले में हाईकोर्ट ने अब दिल्ली सरकार को हर क्षेत्र की मैपिंग करने के निर्देश दिए हैं।
राजधानी में बारिश से होने वाले जलभराव का हाई कोर्ट ने 10 दिन पहले स्वत: संज्ञान लिया था। पीठ ने दिल्ली सरकार व नगर निगमों को इस दिशा में उठाए गए कदमों की रिपोर्ट 26 जुलाई तक पेश करने का आदेश दिया था। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने हैरानी जताते हुए कहा था कि आखिर हर साल दिल्ली में जलभराव क्यों होता है। पीठ ने दिल्ली के मुख्य सचिव को इस मुद्दे पर तुरंत सभी पक्षों की बैठक बुलाकर जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए थे।
हाईकोर्ट ने इस मामले में स्थानीय निकायों के अलावा केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय, दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था। पीठ ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि रिपोर्ट में यह जानकारी जरूर होनी चाहिए कि जलभराव रोकने के लिए कदम उठाए जाने के बावजूद जलभराव क्यों नहीं रुक रहा है। पीठ ने आदेश दिया था कि जलभराव वाले स्थानों को चिह्नित किया जाए और ऐसे क्षेत्र में चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए। पीठ ने जल बोर्ड से सीवरेज के संबंध में अलग से रिपोर्ट पेश करने को कहा था। इसमें यह भी जानकारी मांगी गई कि कौन सा नाला कब बनाया गया था।
पहले भी हाईकोर्ट ने जलभराव पर की थी तल्ख टिप्पणी
हाईकोर्ट ने बारिश के दौरान दिल्ली में होने वाले जलभराव पर इससे पहले भी तल्ख टिप्पणी की थी। 17 जुुुुलाई को मामलेे पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट नेे कहा था कि इसकी वजह से लोग अस्पताल समेत अन्य स्थानों पर समय से नहीं पहुंच पा रहे हैं। पूरी यातायात व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। इससे कई जलजनित बीमारी होती है।