Move to Jagran APP

Heroes of Delhi Violence: सांप्रदायिक सौहार्द ने चांद बाग पर नहीं लगने दिया हिंसा का ग्रहण

चांद बाग में हिंदू और मुस्लिमों की दुकानें व घर सुरक्षित हैं। यहां लोगों ने दंगाइयों का सामना मिलकर किया। दंगाई किसी घर या दुकान को हाथ तक नहीं लगा सके।

By TaniskEdited By: Published: Mon, 02 Mar 2020 12:24 PM (IST)Updated: Mon, 02 Mar 2020 12:29 PM (IST)
Heroes of Delhi Violence: सांप्रदायिक सौहार्द ने चांद बाग पर नहीं लगने दिया हिंसा का ग्रहण
Heroes of Delhi Violence: सांप्रदायिक सौहार्द ने चांद बाग पर नहीं लगने दिया हिंसा का ग्रहण

शुजाउद्दीन, पूर्वी दिल्ली। मौजपुर चौक पर भड़की सांप्रदायिकता की आग ने कई इलाकों को अपने आगोश में ले लिया। चांद बाग के पास वजीराबाद रोड और करावल नगर रोड भी दंगों की आग में तबाह हो गया। लेकिन हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मिलकर चांद बाग पर हिंसा का ग्रहण लगने नहीं दिया।

loksabha election banner

चांद बाग में दंगाई किसी भी मुसलमान या हिंदू समुदाय के परिवार के घर या दुकान को हाथ तक नहीं लगा सके। यहां के लोगों ने एक साथ मिलकर दंगाइयों का सामना किया और सांप्रदायिक सौहार्द की चट्टान बनकर उनके हौसलों को पस्त किया। यहां के लोगों ने मिलकर गश्त किया। इसके साथ ही दंगों के दौरान एक दूसरे का साथ दिया।

सगी बहनों की तरह हैं नजमा और राजबाला

नजमा और राजबाला का भले ही धर्म अलग हो, लेकिन दिल के रिश्ते से वह सगी बहने हैं। दोनों पड़ोसनों में इतनी मोहब्बत है कि खाना साथ खाने से लेकर मार्केट से सब्जी तक साथ लेकर आती हैं। 25 फरवरी को करावल नगर रोड पर दंगा हो रहा था, दहशत से राजबाला का रक्तचाप बढ़ गया। लग रहा था अस्पताल में भर्ती करवाना होगा। बहन की जान को बचाने के लिए नजमा ने राजबाला को छत के जरिए अपने घर में बुलाया और उन्हें तसल्ली दी और उनका हौसला बढ़ाया कि वह उन्हें कुछ नहीं होने देंगी। उन्हें पानी और खाना भी दिया।

घर के अंदर से लोगों को दवा दी

चांद बाग के रहीस उल इस्लाम ने कहा, 'वजीराबाद रोड और चांद बाग पुलिया पार करने के बाद दंगे हुए हैं। चांद बाग के लोगों ने बहादुरी दिखाकर दंगाइयों को सड़क और गलियों में बनी दुकानों व किसी भी मकान को आग नहीं लगाने दी। यह हिंदू-मुस्लिम एकता की वजह से हो पाया। दंगे के दौरान सारी दुकानें बंद थी, घर के नीचे मेडिकल स्टोर है, घर के अंदर से लोगों को दवा दी।'

भयावह स्थिति को शब्दों में बयां नहीं कर सकता

चांद बाग के दया चंद ने कहा, '35 वर्ष हो गए हैं चांद बाग में रहते हुए, जीवन में पहली बार इस तरह का दंगा देखा है। उस भयावह स्थिति को शब्दों में बयां नहीं कर सकता। चांद बाग के हिंदूऔर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने दंगाइयों का डटकर सामना किया। इसके बाद दोनों धर्म के लोगों ने एक दूसरे की मदद की और रातभर गश्त की।'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.