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सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने रचा इतिहास, पहली बार लगाया बिना ओपन सर्जरी Heart Valve

सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने वसंत कुंज निवासी (68) बुजुर्ग राजवीर सिंह के दिल में कैथेटर के जरिये वाल्व लगाया।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 10 Nov 2019 10:22 AM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 10:22 AM (IST)
सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने रचा इतिहास, पहली बार लगाया बिना ओपन सर्जरी Heart Valve
सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने रचा इतिहास, पहली बार लगाया बिना ओपन सर्जरी Heart Valve

नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। देश में पहली बार सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने ओपन सर्जरी के बगैर हृदय में वाल्व लगाने में कामयाबी हासिल की है। सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने वसंत कुंज निवासी (68) बुजुर्ग राजवीर सिंह के दिल में कैथेटर के जरिये वाल्व लगाया। पिछले माह डॉक्टरों ने यह प्रक्रिया अपनाई, इसमें कोई सर्जरी नहीं की गई। डॉक्टरों का कहना है कि पहली बार किसी सरकारी अस्पताल ने यह उपलब्धि हासिल की है।

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चिकित्सा क्षेत्र में उपलब्धियों की बात आती है तो अक्सर सरकारी क्षेत्र के अस्पतालों में एम्स, पीजीआइ चंडीगढ़ जैसे अस्पतालों का नाम जुड़ा होता है। हृदय की बीमारियों के इलाज के मामले में एम्स के नाम कई उपलब्धियां हैं, लेकिन ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) के मामले में सफदरजंग अस्पताल ने बाजी मार ली है।

मरीज के एओर्टिक वाल्व में था ब्लॉकेज 

कार्डियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप बंसल के नेतृत्व में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रीति गुप्ता व डॉ. अनुभव गुप्ता ने बुजुर्ग को वाल्व लगाया। डॉ. प्रीति ने बताया कि मरीज के एओर्टिक वाल्व में ब्लॉकेज था। इससे दिन में दो-तीन बार उन्हें बेहोशी हो रही थी। उनके जीवित रहने की संभावना एक माह से भी कम थी। दिक्कत यह थी कि उन्हें रीढ़ की हड्डी से जुड़ी कयफोसकोलिओसिस बीमारी है।

इसके अलावा वह सांस की पुरानी बीमारी सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) से पीड़ित हैं। इसलिए उन्हें एनेस्थीसिया देने में जोखिम था। कई अस्पतालों ने उनकी सर्जरी से इनकार कर दिया था। उन्हें दो बार सर्जरी के लिए ऑपरेशन थियेटर में ले जाने के बाद लौटाना पड़ा।

इसके बाद सफदरजंग के डॉक्टरों ने सर्जरी के बिना उन्हें वाल्व लगाने का फैसला किया, ताकि बेहोश करने की जरूरत न पड़े। इसके बाद डॉक्टरों ने पेट व जांघ के बीच के हिस्से (ग्रॉइन) की धमनी के जरिये ट्रांसकैथेटर को दिल में ले जाकर वाल्व लगाया।

निजी अस्पताल में आता है 20 लाख तक खर्च

निजी क्षेत्र के कई बड़े अस्पतालों में यह सुविधा पहले शुरू हो चुकी है। लेकिन, इस प्रक्रिया में मरीज को 20 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। सफदरजंग अस्पताल में मरीज को सिर्फ वाल्व की कीमत (12.48 लाख) देनी पड़ी। इसके अलावा अस्पताल में कोई खर्च नहीं लगा। अस्पताल में यह सुविधा शुरू होने से मरीजों को कम कीमत में यह सुविधा उपलब्ध हो पाएगी। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुनील गुप्ता ने कहा कि सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में चार कैथ लैब व अत्याधुनिक आइसीयू की सुविधा विकसित की गई है। इससे डॉक्टर अब इस तरह की सुविधा मरीजों को दे पा रहे हैं।

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