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Toolkit Matter: दिशा रवि की एफआइआर मामले में कुछ मीडिया हाउस की कवरेज सनसनीखेज व पक्षपातपूर्ण : HC

दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उक्त जानकारी न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ के समक्ष दी। दिशा ने जांच से जुड़ी जानकारी निजी चैट किसी तीसरे पक्ष को उपलब्ध न कराने के संबंध में बृहस्पतिवार को याचिका दायर की है।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 19 Feb 2021 10:57 AM (IST)Updated: Fri, 19 Feb 2021 01:45 PM (IST)
Toolkit Matter:  दिशा रवि की एफआइआर मामले में कुछ मीडिया हाउस की कवरेज सनसनीखेज व पक्षपातपूर्ण : HC
13 फरवरी को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। कृषि कानूनों के विरोध में एक टूलकिट साझा करने के आरोप में गिरफ्तार दिशा रवि की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि कुछ मीडिया हाउस द्वारा जांच के मामले में सनसनीखेज और पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग की गई है। हालांकि, न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह की पीठ ने ऐसी किसी भी सामग्री को हटाने का आदेश देने से इन्कार कर दिया है। पीठ ने कहा कि समाचार सामग्री और ट्विट को हटाने के संबंध में बाद में विचार किया जाएगा। हालांकि, पीठ ने मीडिया हाउस को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि लीक की गई को भी सामग्री प्रचारित या प्रसारित न की जाए क्योंकि यह जांच को प्रभावित कर सकती है। पीठ ने मीडिया हाउस के लिए कहा कि वे सुनिश्चित करें कि उनके स्रोतों से प्राप्त जानकारी प्रामाणिक है और केवल सत्यापित सामग्री को ही प्रचारित करें ताकि जांच में कोई बाधा नहीं आए।

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अदालत ने इसके साथ ही पुलिस को अपने हलफनामे में दिए गए बयान का पालन करने का निर्देश दिया कि न तो उन्होंने जांच से जुड़ी जानकारी लीक की है और न ही उनका भविष्य में ऐसा करने का इरादा है। साथ ही पुलिस को मीडिया कवरेज के संबंध में कानून का पालन करने का भी निर्देश दिया।

दिशा रवि ने उसके खिलाफ दर्ज रिपोर्ट और उनके निजी चैट सार्वजनिक न करने के संबंध में पुलिस को निर्देश देने की मांग को लेकर याचिका दायर की है। दिशा को टूलकिट संपादित एवं साझा करने के आरोप में दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने 13 फरवरी को बेग्लूरु से दिशा को गिरफ्तार किया गया था। बृहस्पतिवार को पुलिस की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा था कि पुलिस की तरफ से जांच से जुड़ी कोई जानकारी लीक नहीं की गई है।

अधिवक्ता अभिनय शेखरी व वृंदा भंडारी के माध्यम से दायर याचिका में दिशा ने 13 फरवरी को बेंगलुरु से की गई उनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी बताया था। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में अत्यधिक संभावना है कि आम जनता उनके खिलाफ समाचारों में पेश की जा रही सामग्री को सही मान ले। ऐसे में पुलिस समेत अन्य पक्षकारों को उसकी निजता, उसकी प्रतिष्ठा और अदालत में निष्पक्ष परीक्षण के अधिकार का उल्लंघन करने से रोके।

दिशा ने आरोप लगाया कि मामले की जांच से जुड़े तथ्य मीडिया में लीक किए जा रहे हैं और पुलिस द्वारा प्रेस ब्रीफिंग में पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं। उन्होंने कहा कि जांच से जुड़े उनके निजी वाट्सएप चैट सिर्फ पुलिस के पास थे, जिसे मीडिया में लीक किया गया है और विभिन्न मीडिया हाउसों द्वारा इसे प्रचारित और प्रसारित किया गया। यह पूरी तरह से केबल टीवी नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम-1995, प्रोग्राम कोड और अपकमिंग और डाउनलिंकिंग दिशानिर्देशों के प्रावधानों का उल्लंघन है।

उन्होंने यह भी दावा किया कि मीडिया हाउस ने उनके खिलाफ आधे सच को प्रकाशित किया है। 21 वर्षीय दिशा को किसानों के विरोध से संबंधित सोशल मीडिया पर कथित रूप से टूलकिट को संपादित करने और साझा करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था और अदालत ने उन्हें पांच दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया था। दिल्ली पुलिस का आरोप है कि दिशा दस्तावेज के निर्माण और प्रसार में महत्वपूर्ण साजिशकर्ता है।

उन्होंने वाट्सएप ग्रुप शुरू कर टूलकिट दस्तावेज बनाने के लिए दूसरों की मदद की थी। इस प्रक्रिया में उन्होंने ट्विटर पर भारत के खिलाफ नफरत फैलाने के लिए खालिस्तानी पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के साथ सहयोग किया। दिशा ने ही ग्रेटा थनबर्ग के साथ टूलकिट डॉक साझा किया था।


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