HC ने इस स्कूल को दिया ध्वस्त करने का आदेश, 2600 छात्र होंगे प्रभावित
HC के आदेश पर दिल्ली सरकार ने कहा कि वह न केवल बच्चों का नजदीक के सरकारी स्कूलों में दाखिला कराएगी, बल्कि इन्हें फ्री बस सेवा भी उपलब्ध कराई जाएगी।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली हाई कोर्ट ने एक स्कूल को ध्वस्त करने का आदेश दिया है। दिल्ली हाई कोर्ट के इस आदेश से स्कूल में पढ़ रहे 2600 छात्र प्रभावित होंगे। ये सभी छात्र कक्षा छह से दस तक के हैं। हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को तत्काल आदेश का पालन करने के निर्देश दिए हैं।
कोर्ट ने जिस सरकारी स्कूल को तोड़ने का आदेश दिया है, वह करावलनगर स्थित आलोक पुंज स्कूल है। इस स्कूल को सरकार से 100 फीसद अनुदान मिलता है। बृहस्पतिवार को दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने इस स्कूल को तोड़ने के लिए दिल्ली सरकार को आदेश दिया है। साथ ही हाई कोर्ट ने कहा है कि स्कूल में पढ़ने वाले सभी छात्रों को अन्य सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर किया जाए।
दरअसल वकील अशोक अग्रवाल ने स्कूल के खिलाफ हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने हाई कोर्ट को बताया था कि आलोक पुंज स्कूल में छठवीं से दसवीं कक्षा तक के 2600 छात्रों की जिंदगी खतरे में है। स्कूल की बिल्डिंग एकदम जर्जर हो चुकी है और सरकार को चाहिए कि इस बिल्डिंग को गिराकर फिर से नई बिल्डिंग बनाए।
उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने मामले में दिल्ली सरकार को भी नोटिस जारी कर इमारत की जांच करा रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए थे। मामले में दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि उनके आदेश पर स्कूल बिल्डिंग की जांच सीपीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर से कराई गई। जांच में चीफ इंजीनियर ने पाया कि स्कूल बिल्डिंग इतनी जर्जर और खतरनाक हो चुकी है कि कभी भी गिर सकती है। ऐसे में बड़ा हादसा हो सकता है
दिल्ली सरकार की इस रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट ने स्कूल की बिल्डिंग को तत्काल गिराकर उसकी जगह नई बिल्डिंग बनाने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने स्कूल में पढ़ने वाले सभी बच्चों को दूसरे सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर करने का आदेश दिया है।
हाई कोर्ट के आदेश पर दिल्ली सरकार ने कहा कि वह न केवल बच्चों का नजदीक के सरकारी स्कूलों में दाखिला कराएगी, बल्कि इन्हें फ्री बस सेवा भी उपलब्ध कराई जाएगी। ताकि उन्हें किसी तरह की दिक्कत न आए। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में दिल्ली के शिक्षा सचिव को आदेश दिया है कि वह खुद व्यक्तिगत तौर पर इस मामले को देखेंगे ताकि बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा के साथ समझौता न हो। हाई कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई की तिथि 27 सितंबर 2018 निर्धारित की है।