Nirbhaya Case: नहीं होगी दोषियों के मानसिक स्वास्थ्य की जांच, HC ने किया सुनवाई से इनकार
2012 Delhi Nirbhaya Case निर्भया मामले में दोषियों को दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) से बड़ा झटका लगा है।
नई दिल्ली, एएनआइ। 2012 Delhi Nirbhaya Case: निर्भया मामले में दोषियों को दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) से बुधवार को बड़ा झटका लगा है। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने दोषियों की ओर से दायर उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) निर्देश देकर स्वास्थ्य की जांच की मांग की गई थी।
बता दें कि सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान निर्भया कांड में चारों दोषियों के खिलाफ जारी डेथ वारंट को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने अगले आदेश तक टाल दिया है। लिहाजा, मंगलवार (3 मार्च) को फांसी नहीं दी जा सकी। इस मामले में अदालतों में सुनवाई के कारण सोमवार को दिनभर संशय बना रहा। पटियाला हाउस की एक अदालत ने पहले सत्र में डेथ वारंट पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पवन गुप्ता की क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी। इसके तुरंत बाद पवन की तरफ से दया याचिका दायर कर दी गई और अदालत के दूसरे सत्र में अतिरिक्ति सत्र न्यायाधीश धर्मेद्र राणा ने डेथ वारंट टालने का आदेश दिया।
वहीं, दोषी पवन व अक्षय ने अर्जी दायर कर मांग की थी कि तीन मार्च के लिए जारी डेथ वारंट पर रोक लगाई जाए, क्योंकि उनकी याचिकाएं विचाराधीन हैं। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेद्र राणा ने इस पर तिहाड़ प्रशासन से जवाब मांगा था। बहस के दौरान लोक अभियोजक ने दलील दी कि जब एक बार अक्षय की दया याचिका खारिज हो चुकी है तो उसने फिर ऐसी याचिका क्यों दायर की? दोषी पवन ने भी अब क्यूरेटिव याचिका दायर की है, जबकि हाई कोर्ट से दिया गया समय भी पूरा हो चुका है। इस पर जज ने पवन के वकील एपी सिंह से पूछा, हाई कोर्ट से मिला समय भी गुजर गया और अब क्यूरेटिव याचिका दायर की? इस दौरान कुछ देर के लिए सुनवाई रोक दी गई, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट क्यूरेटिव याचिका पर विचार कर रहा था। कुछ देर बाद अदालत को सूचित किया गया कि याचिका खारिज हो गई है। इस पर अदालत ने अक्षय और पवन की अर्जी को खारिज करते हुए डेथ वारंट पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया।
इसके बाद एपी सिंह ने कहा कि पवन की तरफ से दया याचिका दायर कर दी गई है। लिहाजा, अदालत को अपने फैसले पर विचार करना चाहिए। इस पर जज ने अदालत को लंच के लिए स्थगित करते हुए निर्देश दिया कि दूसरे सत्र में विस्तृत जानकारी के साथ आएं। दूसरे सत्र में लोक अभियोजक ने कहा कि अब डेथ वारंट पर रोक लगाने का फैसला हाई कोर्ट ही ले सकता है। इस पर एपी सिंह ने कहा कि दिल्ली जेल नियमावली के अनुसार एक अपराध के सभी दोषियों को एक साथ ही फांसी दी जा सकती है। कुछ देर की बहस के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया। शाम को पांच बजे फैसला आया कि अगले आदेश तक डेथ वारंट को टाला जाता है।