Pulwama Encounter: शहीद हुए हरियाणा के जांबाज हरि सिंह, माता-पिता की इकलौती संतान थे
हरि सिंह के मुठभेड़ में शहीद होने की सूचना के बाद क्षेत्र में शोक की लहर है। सोमवार देर शाम तक शहीद का पार्थिव शरीर घर पहुंच सकता है।
नई दिल्ली/रेवाड़ी, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के साथ मुठभेड़ में सोमवार को रेवाड़ी के गांव राजगढ़ निवासी 28 वर्षीय सिपाही हरि सिंह शहीद हो गए। हरि सिंह के मुठभेड़ में शहीद होने की सूचना के बाद क्षेत्र में शोक की लहर है। सोमवार देर शाम तक शहीद का पार्थिव शरीर घर पहुंच सकता है। हरि सिंह के शहीद होने की सूचना के बाद परिवार भी सदमे में है। बड़ी संख्या में क्षेत्र के लोग भी गांव राजगढ़ में पहुंच रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, पुलवामा से करीब 10 किलोमीटर दूर पिंगलान इलाके में कुछ आतंकियों के मौजूद होने की सूचना मिली थी, जिसके बाद सेना, पुलिस और सीआरपीएफ ने संयुक्त रूप से तलाशी अभियान शुरू किया था। सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेर लिया था। रात भर दोनों तरफ से गोलीबारी होती रही। इस ऑपरेशन में 55 राष्ट्रीय राइफल में तैनात गांव राजगढ़ निवासी जवान हरि सिंह भी शामिल थे। आतंकियों से लोहा लेते हुए हरि सिंह शहीद हो गए।
28 दिसंबर को गए थे ड्यूटी पर
जवान हरि सिंह दिसंबर में एक माह की छुट्टी लेकर घर आए थे। 28 दिसंबर को वे वापस ड्यूटी पर गए थे। सोमवार को गांव में हरि सिंह के शहीद होने की सूचना मिली तो शोक की लहर दौड़ गई। उनके पिता अगड़ी सिंह का देहांत हो चुका है। परिवार में उनकी 68 वर्षीय मां पिस्ता देवी, पत्नी राधा बाई व दस माह का बेटा लक्ष चौहान है। हरि सिंह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे। हरि सिंह की तीन बहने हैं तथा तीनों की शादी हो चुकी है। पिता की मौत के बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी हरि सिंह के कंधों पर ही थी।