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दिल्ली में ग्रेप लागू, पर सड़कों की मैकेनिकल स्वीपिंग की नहीं हो सकी शुरुआत

बीते कुछ दिनों में प्रदूषण का स्तर एकाएक बढ़ा है हालांकि बीच में बारिश के बाद लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिली पर बीते दो दिनों से सड़कों पर जमी धूल-मिट्टी ने लोगों का सांस लेना भी दुभर कर दिया है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 03:49 PM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 03:49 PM (IST)
नजफगढ़ रोड पर जमा धूल कण व गंदगी ’जागरण

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। बीते कुछ दिनों में प्रदूषण का स्तर एकाएक बढ़ा है, हालांकि बीच में बारिश के बाद लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिली पर बीते दो दिनों से सड़कों पर जमी धूल-मिट्टी ने लोगों का सांस लेना भी दुभर कर दिया है। विशेषकर मुख्य सड़कों पर धूल की मोटी परत नजर आती है। इसमें नजफगढ़ रोड, गुरुग्राम-डाबड़ी रोड, पालम, नांगलोई रोड, नजफगढ़ फिरनी रोड, रोशनपुरा, दुर्गाविहार, द्वारका मोड़, पंखा रोड, मायापुरी कुछ ऐसे इलाके हैं, जहां हवा के साथ उड़ती धूल-मिट्टी ने लोगों को अभी से परेशान करना शुरू कर दिया है।

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आंखों में जलन व गले में खरास की समस्या लेकर मरीज अस्पतालों का रुख कर रहे हैं। हालात तब ऐसे है, जब दिल्ली व एनसीआर में ग्रेप (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) लागू है। जिसके अनुसार सड़कों की मैकेनिकल स्वीपिंग व पानी का छिड़काव सुनिश्चित होना चाहिए, पर अफसोस की बात है क्षेत्र की प्रमुख सड़कों पर मैकेनिकल स्वीपिंग अभी तक शुरू नहीं हुई है। सड़कों की हालत देखकर ये साफ अनुमान लगाया जा सकता है कि काफी समय से सड़कों की सुध नहीं ली गई है।

नजफगढ़ रोड के किनारे पर धूल की मोटी परत जमी हुई है और वाहनों के गुजरने से वहां से काफी धूल उड़ती है जो राहगीरों को परेशान करती है। न सिर्फ सड़क किनारे जमी मोटी धूल बल्कि सेंट्रल वर्ज पर भी हरियाली का नामोनिशान नहीं है, हालांकि पीडब्ल्यूडी की ओर से यहां टाइल बिछाने का कार्य प्रगति पर है पर द्वारका मोड़ से नवादा के बीच सेंट्रल वर्ज की हालत काफी खस्ता है। यहां जमी धूल भी लोगों के लिए परेशानी बनी हुई है।

राहगीरों के साथ सड़क किनारे खाने-पीने से जुड़ी कई दुकानें हैं, हवा के साथ उड़ने वाली धूल खाद्य पदार्थाें को भी खराब करती है। कुछ यही स्थिति द्वारका मोड़ से द्वारका सेक्टर-तीन की तरफ जाने वाली सड़क पर नजर आती है। द्वारका के प्रवेश द्वार पर ही धूल का अंबार है। वहीं, नांगलोई रोड एयरपोर्ट को जोड़ने वाली प्रमुख सड़क है, पर सड़क इतनी जर्जर है कि उस पर मेकेनिकल स्वीपिंग संभव ही नहीं है। आलम यह है कि लोग यहां से गुजरते हुए धूल फांकने के साथ-साथ हिचकोले खाने को मजबूर हैं।

नजफगढ़ निवासी संजीव कुमार ने कहा कि एक शेड्यूल होना चाहिए कि कितने दिनों के अंतराल पर सड़क की मैकेनिकल स्वीपिंग होगी। इससे काम में पारदर्शिता आएगी और दूसरा यदि कोई आमजन शिकायत करना भी चाहे तो उसे पता होगा कि आखिरी बार सड़क की मैकेनिकल स्वीपिंग कब हुई थी।

उत्तम नगर निवासी राकेश ने कहा कि जब भी सरकारी एजेंसियों के समक्ष मेकेनिकल स्वीपिंग कराने की बात रखी जाती है, वे ये कहकर बात टाल देते हैं कि हाल ही में स्वीपिंग कराई गई है। जरूरत के अनुरूप मैकेनिकल स्वीपिंग की मशीनों की संख्या को बढ़ाने की दिशा में एजेंसियों का ध्यान नहीं है।

दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के स्थायी समिति अध्यक्ष कर्नल बीके ओबेराय ने कहा कि निगम के पास कुल 24 मैकेनिकल स्वीपिंग मशीनें हैं और प्रत्येक मशीन हर दिन करीब 25 किलोमीटर की दूरी की सफाई सुनिश्चित करती है। हर सप्ताह मैकेनिकल स्वीपिंग का शेड्यूल तय होता है और स्थानीय जनप्रतिनिधि मैकेनिकल स्वीपिंग के कार्य का मुआयना करते है।


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