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Graded Response Action Plan: इस बार UP-दिल्ली समेत 4 राज्यों में 1 अक्टूबर से शुरू होगा GRAP, वर्क फ्रॉम होम भी होगा लागू !

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Graded Response Action Plan) ने इस बार सभी संबंधित राज्य सरकारों को 15 दिन पहले ही व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। नई नीति के तहत सीएक्यूएम ने ग्रेप में भी संशोधन किया गया है।

By Jp YadavEdited By: Published: Mon, 08 Aug 2022 10:38 AM (IST)Updated: Mon, 08 Aug 2022 10:38 AM (IST)
Graded Response Action Plan: इस बार UP-दिल्ली समेत 4 राज्यों में 1 अक्टूबर से शुरू होगा GRAP, वर्क फ्रॉम होम भी होगा लागू !
इस बार UP-दिल्ली समेत चार राज्यों में 1 अक्टूबर से लागू होगा GRAP

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण को काबू में करने के लिए संशोधित ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (Graded Response Action Plan) इस बार सामान्य तिथि से 15 दिन पहले यानी एक अक्टूबर से लागू होगा। यह जानकारी वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने दी है। सभी संबंधित राज्य सरकारों को पत्र लिखकर इस आशय के निर्देश भी दे दिए गए हैं। ग्रेप दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के एनसीआर के इलाकों में प्रभावी होगा। 

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पहले अधिकारी वातावरण में पीएम-10 और पीएम-2.5 का स्तर एक निश्चित स्तर पर पहुंचने के बाद ही प्रदूषण से निपटने के उपाय लागू करते थे। नई योजना के तहत दिल्ली और एनसीआर के जिलों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 450 से अधिक होने पर आवश्यक सेवाओं को छोड़कर बीएस-चार मानक तक के सभी चार पहिया वाहनों के परिचालन पर रोक लगाने का प्रविधान किया गया है।

चार स्तरों में वर्गीकृत किया गया ग्रेप को

एनसीआर के लिए ग्रेप को अब खराब वायु गुणवत्ता के आधार पर चार स्तरों में वर्गीकृत किया गया है। पहला स्तर ''खराब'' (एक्यूआई 201 से 300 के बीच), दूसरा स्तर ''बहुत खराब'' (एक्यूआई 301 से 400 के बीच), तीसरा स्तर ''गंभीर'' (एक्यूआई 401 से 450 के बीच) और चौथा स्तर ''अति गंभीर'' (एक्यूआई 450 से अधिक) है।संशोधित ग्रेप के तहत पहले स्तर पर प्रदूषण होने पर होटल में तंदूरों, खुले में संचालित ढाबों, डीजल जेनरेटर आदि में कोयला एवं लकड़ी जलाने पर रोक लगाने का प्रविधान किया गया है।

ध्वस्तीकरण के कार्य पर लगेगी रोक

इस श्रेणी में केवल आवश्यक और आपात सेवाओं को इन दो ईंधनों के इस्तेमाल की छूट मिलेगी। अगर स्थिति ''गंभीर'' (तीसरे स्तर पर) होती है तो अधिकारी दिल्ली-एनसीआर में आवश्यक परियोजनाओं को छोड़कर निर्माण और ध्वस्तीकरण के कार्य पर रोक लगा देंगे। इस स्तर के प्रदूषण के दौरान गैर-प्रदूषणकारी कार्यों जैसे लकड़ी, आंतरिक सज्जा और बिजली के काम पर रोक नहीं होगी।

ऐसे वाहनों पर लग सकती है रोक

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण तीसरे स्तर पर पहुंचने पर स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल न करने वाले ईंट भट्टे, हाट मिक्स संयंत्र, पत्थर तोड़ने वाले संयंत्र और खनन गतिविधियां भी प्रतिबंधित रहेंगी। सरकारें प्रदूषण के तीसरे स्तर पर बीएस-तृतीय मानक के पेट्रोल वाहन और बीएस-चतुर्थ मानक वाले हल्के डीजल मोटर वाहन पर भी रोक लगा सकती हैं।

मालवाहक वाहनों की आवाजाही पर भी लगेगी रोक

चौथे चरण या ''अति गंभीर'' स्थिति से निपटने की योजना के तहत दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश और शहर में पंजीकृत मध्यम एवं भारी मालवाहक वाहनों की आवाजाही पर भी रोक रहेगी, लेकिन आवश्यक सेवाओं में शामिल ऐसे वाहनों के परिचालन को प्रतिबंध से ढील दी जाएगी।

चौथे स्तर के प्रदूषण के दौरान दिल्ली और एनसीआर के जिलों में बीएस-छठे मानक के वाहन और आवश्यक सेवाओं से जुड़े वाहनों को छोड़कर डीजल चालित हल्के मोटर वाहन भी प्रतिबंधित रहेगे। चौथे स्तर के प्रदूषण की स्थिति में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ईंधन से चलने वाले उद्योगों और राजमार्ग, सड़क, फ्लाईओवर, ओवर ब्रिज, बिजली पारेषण व पाइपलाइन के निर्माण और ध्वस्तीकरण की गतिविधियां भी प्रतिबंधित रहेंगी।

वर्क फ्राम होम पर करना होगा विचार

नई नीति के मुताबिक, राज्य सरकारें सरकारी और निजी कार्यालयों के 50 प्रतिशत कर्मचारियों को घर से ही काम करने देने की अनुमति देने पर विचार कर सकती हैं। इसके अलावा वे शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने और वाहनों के परिचालन के लिए ऑड-ईवन व्यवस्था लागू करने पर विचार कर सकती हैं।

स्तर दो, तीन और चार के तहत कार्ययोजना को लागू करने के लिए कम से कम बीते तीन दिनों के एक्यूआई पर विचार किया जाएगा। ''अति गंभीर'' स्तर घोषित करने के लिए एजेंसियों को कम से कम 48 घंटे या उससे अधिक समय तक पीएम-2.5 और पीएम-10 का स्तर क्रमश: 300 और 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक होने का इंतजार करना पड़ेगा।

ग्रेप की उप समिति जरूरी कदम उठाने और उचित आदेश पारित करने के लिए समय-समय पर बैठक करती रहेगी। ये कदम और आदेश भारत के मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) द्वारा समय-समय पर एक्यूआई को लेकर किए गए पूर्वानुमान पर आधारित होंगे।


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