'MCD चुनाव में मिली हार से 'आप' परेशान, दिल्ली की जनता से लिया जा कहा है बदला'
केजरीवाल सरकार की हठधर्मिता के कारण नगर निगम की सबसे महत्वपूर्ण स्थायी समिति एवं वार्ड कमेटियों का गठन नहीं हो पा रहा है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। भाजपा उत्तर पश्चिम जिला के महामंत्री महेश तोमर का कहना है कि नगर निगम में भाजपा की जीत को केजरीवाल सरकार पचा नहीं पा रही है। यही वजह है कि नगर निगम के कार्यों में व्यवधान पैदा करने की हर कोशिश 'आप' सरकार द्वारा की जा रही है।
'आप' विधायक क्षेत्रों में विकास कार्यों के मामले में भेदभाव कर रहे हैं। उनकी काम करने की मंशा ही नहीं है। दिल्ली सरकार किस तरह से नगर निगम में भाजपा की जीत को लेकर चिढ़ी बैठी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी तक दिल्ली के तीनों नगर निगमों की वार्ड नोटिफिकेशन संबंधी स्वीकृति जारी नहीं की गई है।
दिल्ली की जनता से बदला
रिठाला विधानसभा क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान के दौरान उन्होंने लोगों को बताया कि नगर निगम चुनाव में हारी 'आप' दिल्ली की जनता से बदला लेने को आमादा है और इसी उद्देश्य से लोकमत से चुने नगर निगमों के भाजपा प्रशासन को काम नहीं करने देना चाहती।
लगभग 45 दिन पहले तीनों नगर निगमों के प्रशासनों ने नये क्षेत्रीय कार्यक्षेत्रों (जोन) पुनर्गठन संबंधी प्रस्ताव 'आप' सरकार को भेज दिया था पर राजनीकि द्वेष से काम कर रही केजरीवाल सरकार के मंत्री सतेन्द्र जैन के कार्यालय में गत एक माह से अधिक समय से यह फाइल दबी पड़ी है।
वार्ड कमेटियों का गठन नहीं हो पा रहा है
केजरीवाल सरकार की हठधर्मिता के कारण नगर निगम की सबसे महत्वपूर्ण स्थायी समिति एवं वार्ड कमेटियों का गठन नहीं हो पा रहा है। गठन न होने के कारण चुने हुये निगम पार्षदों को कोई फंड नहीं मिल रहा और नगर निगम का पूरा तंत्र ठप होने की कगार पर पहुंच रहा है।
दिल्ली में किसी भी वक्त मानसून तेज हो सकता है और उसके बाद डेंगू, चिकनगुनिया एवं मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसी तरह निगम स्कूलों और अस्पतालों की व्यवस्था भी अधर में पड़ी है।
केजरीवाल सरकार फाइल को दबाए बैठी है
उन्होंने कहा कि राज्य चुनाव आयुक्त द्वारा वार्ड परिसीमन के साथ ही जोन कार्यालयों के क्षेत्रों का पुनर्गठन करना भी दिल्ली सरकार के शहरी विकास मंत्रालय का कार्य है और जानबूझकर केजरीवाल सरकार फाइल को दबाए बैठी है। अनेक नए वार्ड दो वार्डों को जोड़कर बने हैं या अनेक स्थानों पर एक वार्ड के दो वार्ड हो गए हैं। ऐसे में पार्षदों को लोगों के काम कराने हेतु अधिकारी एवं कर्मचारी उपलब्ध नहीं हो रहे हैं।
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