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उपहार कांडः गोपाल अंसल को SC का झटका, शाम तक सरेंडर करने का आदेश

उपहार अग्निकांड में लापरवाही के दोषी सिनेमा घर मालिक गोपाल अंसल को सुप्रीमकोर्ट से राहत नहीं मिल पाई।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 09 Mar 2017 08:15 AM (IST)Updated: Thu, 09 Mar 2017 05:56 PM (IST)
उपहार कांडः गोपाल अंसल को SC का झटका, शाम तक सरेंडर करने का आदेश
उपहार कांडः गोपाल अंसल को SC का झटका, शाम तक सरेंडर करने का आदेश

नई दिल्ली (जेएनएन)। उपहार अग्निकांड में लापरवाही के दोषी सिनेमा घर मालिक गोपाल अंसल को बुधवार को सुप्रीमकोर्ट से राहत नहीं मिल पाई थी। वहीं, आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने गोपाल अंसल को बृहस्पतिवार शाम तक सरेंडर करने का आदेश दिया है। 

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सुप्रीन कोर्ट ने कल ही उनकी जेल से छूट मांगने की अर्जी पर सुनवाई होली बाद किए जाने और तब तक के लिए समर्पण की तिथि बढ़ा देने की मांग ठुकरा दी थी। 

गौरतलब है कि सुप्रीमकोर्ट ने उपहार अग्निकांड पीड़ित संघ और सीबीआइ की पुनर्विचार याचिका स्वीकार करते हुए गोपाल अंसल को एक साल की पूरी कैद भुगतने का आदेश दिया था। कोर्ट ने गत 9 फरवरी को सुनाए गये फैसले मे गोपाल अंसल को आगे की सजा भुगतने के लिए चार सप्ताह में समर्पण करने का आदेश दिया था।

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चार सप्ताह की यह अवधि बृहस्पतिवार को खत्म हो रही है। हालांकि सुप्रीमकोर्ट ने बड़े भाई सुशील अंसल को उम्र और बीमारियों का लाभ देते हुए काटी गई जेल को पर्याप्त सजा मान ली थी। गोपाल अंसल ने सुप्रीमकोर्ट में अर्जी दाखिल कर अपनी भी उम्र और बीमारियों का हवाला दिया है और सुशील की तरह उसने भी काटी गई जेल को पर्याप्त सजा माने जाने की गुहार लगाई है।

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गौरतलब है कि 13 जून, 1997 में हुए उपहार अग्निकांड में 59 लोगों की मौत हो गई थी और सौ से अधिक लोग घायल हुए थे। निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने सिनेमा घर के मालिकों को लापरवाही का दोषी ठहराया है।

जानें कब-क्या हुआ

- 13 जून 1997- उपहार सिनेमा में बार्डर फिल्म के प्रसारण के दौरान आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई।

- 22 जुलाई 1997- पुलिस ने उपहार सिनेमा मालिक सुशील अंसल व उसके बेटे प्रणव अंसल को मुंबई से गिरफ्तार किया।

- 24 जुलाई 1997- मामले की जांच दिल्ली पुलिस से सीबीआइ को सौंपी गई।

- 15 नवंबर 1997- सीबीआइ ने सुशील अंसल, गोपाल अंसल सहित 16 लोगों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर की।

- 10 मार्च 1999- सेशन कोर्ट में केस का ट्रायल शुरू हुआ।

- 27 फरवरी 2001- अदालत ने सभी आरोपियों पर गैर इरादतन हत्या, लापरवाही व अन्य मामलों के तहत आरोप तय किए।

- 23 मई 2001- गवाहों की गवाही का दौर शुरू हुआ।

- 4 अप्रैल 2002- दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत को मामले का जल्द निपटारा करने का आदेश दिया।

- 27 जनवरी 2003- अदालत ने अंसल बंधुओं की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने उपहार सिनेमा को वापस उसे सौंपे जाने की मांग की थी। अदालत ने कहा कि यह केस का अहम सबूत है और मामले के निपटारे तक सौंपा नहीं जाएगा।

- 24 अप्रैल 2003- हाईकोर्ट ने 18 करोड़ रुपये का मुआवजा पीड़ितों के परिवार वालों को दिए जाने का आदेश जारी किया।

- 4 सितंबर 2004- अदालत ने आरोपियों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की।

- 5 नवंबर 2005- बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही शुरू हुई।

- 2 अगस्त 2006- बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही पूरी।

- 9 अगस्त 2006- सेशन कोर्ट जज ममता सहगल ने उपहार सिनेमा का निरीक्षण किया।

- 14 फरवरी 2007- केस में अंतिम जिरह शुरू हुई।

- 21 अगस्त 2007- उपहार कांड पीड़ितों के संगठन ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले का जल्द निपटारा किए जाने की मांग की।

- 21 अगस्त 2007- सेशन कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा।

- 20 नवंबर 2007- अदालत ने सुशील व गोपाल अंसल सहित 12 आरोपियों को दोषी करार दिया। सभी को दो साल कैद की सजा सुनाई।

- 4 जनवरी 2008- हाईकोर्ट से अंसल बंधुओं व दो अन्य को जमानत मिली।

- 11 सितंबर 2008- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं की जमानत रद की और उन्हें तिहाड़ जेल भेजा गया।

- 17 नवंबर 2008- दिल्ली हाईकोर्ट ने अंसल बंधुओं की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा।

- 19 दिसंबर 2008- हाईकोर्ट ने अंसल बंधुओं की सजा को दो साल से घटाकर एक साल कर दिया और छह अन्य आरोपियों की सजा को बरकरार रखा।


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