देशभर के 50,000 से अधिक फ्लैट निवेशकों के लिए सुप्रीम कोर्ट से आ सकती है खुशखबरी
जेपी और आम्रपाली के हजारों निवेशकों को उम्मीद है कि कोर्ट अपने फैसले में अधूरे पड़े प्रोजेक्ट को लेकर अहम निर्णय दे सकता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली-एनसीआर (National Capital Region) के साथ देश के 50 हजार से अधिक फ्लैट निवेशकों के लिए बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ी खुशखबरी आ सकती है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के रुख से लगता है कि वह आम्रपाली बिल्डर और जेपी ग्रुप के हजारों निवेशकों के पक्ष में अपना फैसला सुना सकता है। हजारों निवेशकों को उम्मीद है कि कोर्ट अपने फैसले में अधूरे पड़े प्रोजेक्ट को लेकर अहम निर्णय दे सकता है।
पिछले सप्ताह 11 जुलाई को हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने 18 जुलाई तक का समय ले लिया है। केंद्र सरकार का कहना है कि 17 जुलाई को एनसीएलटी में एनबीसीसी ने जेपी के प्रॉजेक्ट पूरे करने के लिए जो प्रस्ताव रखा है उसका फैसला आना है। हमें एनसीएलटी के इस फैसले का इंतजार करना चाहिए। उसके बाद ही हम प्रपोजल रखें तो बेहतर है। कोर्ट ने केंद्र सरकार की इस अपील को स्वीकार करते हुए जेपी की अगली सुनवाई के लिए 18 जुलाई की तारीख तय की है।
आम्रपाली का फैसला कोर्ट में सुरक्षित
पिछले दिनों लगातार चली सुनवाई के बाद आम्रपाली का फैसला कोर्ट ने सुरक्षित रखा लिया था। 18 जुलाई को इसकी सुनवाई होनी है। आम्रपाली के प्रॉजेक्ट एनबीसीसी बनाएगी लेकिन उसके लिए फंड कहां से आएगा पूरे कराने की जिम्मेदारी किसकी और आगे इस ग्रुप के बायर्स का क्या भविष्य है यह फैसला कोर्ट के पास सुरक्षित है। बायर अभिषेक का कहना है कि हमें पूरी उम्मीद है कि 18 जुलाई कोर्ट हम जैसे फ्लैट खरीदरों के हक में फैसला देगा।
इससे पहले हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह ऐसे घर खरीदारों की शिकायतों का समाधान करने के लिए ‘एक समान प्रस्ताव’ पर काम कर रहा है, जो अपनी गाढ़ी मेहनत की कमाई रियल एस्टेट कंपनियों को देने के बाद फंस जाते हैं। शीर्ष कोर्ट ने कहा था कि अगर जेपी इंफ्राटेक मामले में 21,000 से अधिक घर खरीदारों की शिकायतों का समाधान नहीं किया गया, तो वह उनके हितों की रक्षा के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करेगा।
कोर्ट ने कहा- जेपी मामले में शिकायतें दूर हों नहीं तो करेंगे शक्तियों का प्रयोग
घर खरीदारों की ओर से पेश वकील ने कहा कि उन्हें आशंका है कि जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (जेआइएल) को लिक्विडेशन (परिसमापन) के लिए भेजा जा सकता है, जिससे उनके हित प्रभावित हो सकते हैं। इस पर, पीठ ने कहा कि भले ही एनसीएलएटी कंपनी को परिसमापन के लिए भेजती है, लेकिन शीर्ष कोर्ट के पास घर खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत पर्याप्त पूर्ण अधिकार हैं।
वकील ने यूनिटेक घर खरीदार मामले का उल्लेख किया जहां सरकार ने हाल ही में संकेत दिया कि वह रुकी हुई परियोजनाओं का अधिग्रहण कर सकती है और कहा कि जेपी मामले में भी घर खरीदारों को इसी तरह की राहत दी जा सकती है। इस पर, पीठ ने कहा कि पक्षकारों द्वारा किया गया कोई भी नया संशोधित या ताजा प्रस्ताव एनसीएलएटी के समक्ष आ सकता है।
शीर्ष कोर्ट ने नौ जुलाई को केंद्र से लाखों ऐसे घर खरीदारों की समस्याओं को हल करने के लिए ‘एक समान प्रस्ताव’ पेश करने को कहा था, जो बिल्डरों को भारी रकम चुकाने के बावजूद अब तक अपने फ्लैटों का कब्जा हासिल नहीं कर सके हैं। शीर्ष कोर्ट जेआइएल से संबंधित एक घर खरीदार के मामले पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा लाखों फ्लैट खरीदारों से जुड़ा हुआ है और केंद्र को इसका समाधान करने के लिए एक ठोस प्रस्ताव देना चाहिए।
यहां पर बता दें कि निवेशकों की सबसे बुरी स्थिति नोएडा और ग्रेटर नोएडा में है। यहां पर लाखों की संख्या में निवेशक अपना आशियाना पाने का इंतजार कर रहे हैं। आलम यह है कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में ही अपने प्रोजेक्ट का काम पूरा किए बिना करीब 25 फीसदी बिल्डर गायब हैं। गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और गाजियाबाद को भी इसमें जोड़ दें तो यह आंकड़ा और बढ़ जाएगा, क्योंकि यहां पर भी हालात नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे ही हैं।
नोएडा-ग्रेटर नोएडा के करीब 75 हजार फ्लैट खरीदारों की नजर कोर्ट पर है। आम्रपाली, जेपी और यूनिटेक के यह खरीदार कोर्ट पर नजर रखे हुए हैं। ऐसे खरीदारों के मामले में रेरा, प्राधिकरण और प्रशासन भी नहीं बात करता है। खरीदारों का कहना है कि अब कोर्ट से ही कुछ राहत संभव है। इनमें से भी कई मामलों में फंड डायवर्ट करने का मामला है। यहां अधिकांश प्रोजेक्ट अधूरे हैं।
नेफोवा का कहना है कि करीब 50 हजार फ्लैट खरीदार बुरी तरह से फंस गए हैं। ऐसे करीब 25 फीसद बिल्डर हैं, जिन्होंने काम पूरा नहीं किया। खास बात यह कि इनमें से कई प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जहां गड्ढा तक नहीं खुदा है। ऐसे हजारों खरीदार उनके चंगुल में फंसे हुए हैं।
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