कोरोना के कारण डॉक्टरों की परेशानी को देख कर 12वीं के बच्चों की नायाब पहल, पढ़ें पॉजिटिव स्टोरी
रोबोट बनाने वाले छात्रों का दावा है कि यह रोबोट अस्पताल में भर्ती रोगियों को भोजन और दवाइयां वितरित कर सकता है। इससे संक्रमण फैलने का खतरा कम होगा।
नई दिल्ली (शिप्रा सुमन)। देश भर में कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव को लेकर कार्य किये जा रहे हैं लेकिन कोरोना मरीजों से डॉक्टरों को होने वाले संक्रमण को लेकर सभी चिंतित हैं। इस चिंता को कम करने में अब कुछ छात्रों ने अपना योगदान दिया है। दरअसल, दिल्ली के पीतमपुरा स्थित केआईआईटी वर्ल्ड स्कूल के छात्रों के समूह ने एक रोबोट तैयार किया है, जो स्वास्थ्य कर्मियों और कोविड-19 रोगियों के बीच संपर्क को कम करने में मदद कर सकता है। जबकि विश्व के दूसरे देशों में भी ऐसे रोबोट और ड्रोन की मदद से मरीजों से डॉक्टरों को होने वाले संक्रमण को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे भी इन छात्रों की यह कोशिश काबिल-ए-तारीफ है।
मरीजों तक दवा और भोजन पहुंचाने में मददगार
रोबोट बनाने वाले छात्रों का दावा है कि यह रोबोट अस्पताल में भर्ती रोगियों को भोजन और दवाइयां वितरित कर सकता है। उन्होंने बताया कि रोबोट को रोगियों को भोजन और दवा वितरित करने के लिए डिजाइन किया गया है, और इसे स्मार्टफोन पर डाउनलोड किए गए ऐप के माध्यम से दूरस्थ रूप से नियंत्रित किया जा सकता है। एक स्मार्ट टैबलेट को रोबोट से भी जोड़ा जा सकता है, जिससे डॉक्टरों और मरीजों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की जा सकेगी।
लॉक डाउन में तैयार किया रोबोट
सभी छात्रों ने मिलकर रोबोट को तैयार करने में दो हफ्ते का समय लगाया है और इसे लॉकडाउन के दौरान घर में रहते हुए तैयार किया गया है। इन सभी की उम्र 15 से 17 वर्ष है। खास बात यह है कि इन छात्रों ने एक-दूसरे से फोन पर बातचीत कर इस पर राय विमर्श कर इस रोबोट को बनाया। छात्रों के अनुसार यह रोबोट जब कभी भी मुख्य में प्रयोग में लाया जाएगा तब इसे मेटल से बनाया जाएगा और तब यह अधिक प्रभावी हो सकता है।
12वीं की कक्षा के तीन छात्रों का प्रयास
बारहवीं के छात्र निशांत चांदना, सौरव महेशकर और आदित्य दूबे ने इस रोबोट को बनाया है। जिसे उन्होंने प्रोटाटाइप पृथ्वी का नाम दिया है। छात्र निशांत ने बताया कि उनके स्कूल में रोबोटिक क्लब रहा है जिसमें अक्सर वह नई रचना करते आये हैं। उन्होंने जब देखा कि भारत में कोरोनो वायरस से जुड़े पचास से ज्यादा मामले डॉक्टरों के हैं जो मरीजों का इलाज करते समय संक्रमित हुए हैं। यह चिकित्सक सबसे आगे रहकर हम सभी की रक्षा कर रहे हैं। इसलिए हम कुछ ऐसा डिजाइन करना चाहते थे, जिससे स्वास्थ्यकर्मियों व रोगियों के बीच कम से संपर्क हो।