'घूमर' नृत्य में दिखी राजस्थानी लोक संस्कृति की झलक
दिल्ली-एनसीआर के 250 प्रतिभागियों ने घूमर नृत्य के जरिए समां बांधा।
हंसराज (गुरुग्राम)। नृत्य की अपनी प्रसन्नता होती है। जब नृत्यांगनाएं नृत्य करते हुए प्रसन्न भाव से घूमर करती हैं तो उसका सौंदर्य और गरिमा दोगुना हो जाता है और कल्पनाशीलता से नृत्य किसी नाजुक पांखुरी के फूल की तरह खिलने लगता है। साइबर सिटी के सेक्टर 29 स्थित होटल क्राउन प्लाजा में घूमर नृत्य के जरिए कुछ ऐसा ही समां बांधा दिल्ली-एनसीआर की 250 प्रतिभागियों ने।
घूमर-ट्विर्ल विद ग्रेस संस्था की ओर से आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न आयु वर्ग की लड़कियों और महिलाओं की अलग-अलग ग्रुप की नृत्यांगनाओं ने सामूहिक और युगल नृत्यों में आकर्षक भाव-भंगिमाओं से लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि समाजसेवी भारती सिंह व डॉ. रंजना कुमारी मौजूद रहीं व कार्यक्रम का संचालन शिवरंजिनी राठौर व कत्यायनी ने किया।
दर्शक बने प्रतिभागी
करीब आठ घंटा चले कार्यक्रम में मैं न पहनूं तेरी चूनरी, मेहंदी रो रंग लाल, नाथ छोटो नाथ मोटी, रुनुक झुनुक पायल बाजे सा, समदरियो लहरा लेवे सा जैसी पारंपरिक राजस्थानी गीतों पर प्रतिभागियों की प्रस्तुति ने लोगों को मंत्रमुग्ध किया। कार्यक्रम की खास बात रही कि सभागार में बैठी सभी महिलाएं पारंपरिक राजस्थानी वेश-भूषा में नजर आई और सभीं ने घूमर नृत्य में हिस्सा लिया।
उम्र नहीं बनी बाधा
कार्यक्रम को उम्र व संप्रदाय की बाध्यता से मुक्त रखा गया था। यही कारण रहा कि तीन साल की बच्ची से लेकर 65 साल तक की प्रतिभागियों ने पूरे उत्साह के साथ हिस्सा लिया। आयोजकों ने बताया कि कुछ प्रतिभागी राजस्थान, चंड़ीगढ़ और श्रीलंका से भी आईं थी।
आयोजक तृप्ति सिंह राठौर का कहना है कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना है। हर साल अलग-अलग शहर में आयोजन होता है, लेकिन लोगों की विशेष मांग पर गुरुग्राम में दोबारा आयोजन किया गया।