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21 साल पुराने चर्चित भोजपुर एनकाउंटर में पुलिस को झटका, चार मजदूरों की हुई थी हत्या

गाजियाबाद के 21 साल पुराने चर्चित भोजपुर फर्जी एनकाउंटर मामले में पुलिस वालों ने चार मजदूरों को कुख्यात अपराधी बता फर्जी मुठभेड़ में मार दिया था। इनमें तीन नाबालिग थे।

By Amit SinghEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 04:57 PM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 04:57 PM (IST)
21 साल पुराने चर्चित भोजपुर एनकाउंटर में पुलिस को झटका, चार मजदूरों की हुई थी हत्या
21 साल पुराने चर्चित भोजपुर एनकाउंटर में पुलिस को झटका, चार मजदूरों की हुई थी हत्या

इलाहाबाद/गाजियाबाद (जेएनएन)। गाजियाबाद के 21 साल पुराने चर्चित भोजपुर फर्जी एनकाउंटर मामले में आरोपी पुलिस वालों को राहत देने से हाई कोर्ट ने इंकार कर दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मामले में बृहस्पतिवार को दो आरोपी सिपाहियों सूर्यभान और सुभाष चंद्र की जमानत अर्जी खारिज कर दी। फिलहाल वह दो अन्य पुलिसकर्मियों के साथ गाजियाबाद की डासना जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।

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ये फर्जी एनकाउंटर 08 नवंबर 1996 को गाजियाबाद के भोजपुर थाना क्षेत्र स्थित मछली गांव की पुलिस के पास हुआ था। इस एनकाउंटर में तत्कालीन भोजपुर थाने के एसओ लाल सिंह, दरोगा जोगिंदर सिंह, सिपाही सूर्यभाव, सुभाष चंद्र और रणबीर सिंह शामिल थे। रणबीर सिंह की ट्रायल के दौरान मृत्यु हो चुकी है। आरोप है कि इन पुलिसकर्मियों ने चार मजदूरों को कुख्यात अपराधी बताते हुए फर्जी मुठभेड़ में उनकी हत्या कर दी थी। चारों मृतकों की पहचान जसवीर (23), प्रवेश (17), जलालुद्दीन (17) और अशोक (17) के रूप में हुई थी। इनमें तीन नाबालिग थे।

पुलिस के इस फर्जी एनकाउंटर को लेकर उस वक्त काफ हंगामा मचा था। लोगों के विरोध और एनकाउंटर के फर्जीवाड़े को देखते हुए इसकी जांच सीबीआइ क सौंप दी गई थी। सीबीआइ ने केस में लंबी जांच-पड़ताल की। इसके बाद गाजियाबाद की सीबीआइ कोर्ट में चारों पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी। केस की सुनवाई करते हुए सीबीआइ कोर्ट ने 22 फरवरी 2017 को चारों पुलिसकर्मियों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुना दी। साथ ही सीबीआइ कोर्ट ने मामले में आरोपी एसओ लाल सिंह पर दो लाख रुपये, दरोगा जोगिंदर सिंह पर एक लाख तीस हजार रुपये और दोनों सिपाही सूर्यभान व सुभाष पर 80-80 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

फिलहाल चारों आरोपी पुलिसकर्मी गाजियाबाद की डासना जेल में सजा काट रहे हैं। मामले में सिपाही सुभाष चंद्र और सूर्यभान ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की थी। बृहस्पतिवार को अर्जी पर सुनवाई के दौरान सीबीआइ के वकील ने आरोपियों को जमानत देने का कड़ा विरोध किया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने सिपाहियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी है।

हत्या के बाद पुलिस ने जला दिए थे शव

पुलिस ने चारों मजदूरों की हत्या करने के बाद अपनी करतूत पर पर्दा डालने के लिए शवों को लावारिस बता उनका अज्ञात में अंतिम संस्कार कर दिया था। इस वजह से मृतकों के परिवार को उनके शव भी नहीं मिल सके थे। पुलिस की इस अमानवीयता के कारण ये मामला उस वक्त काफी सुर्खियों में रहा था।

थाने के बाहर चाय पी रहे थे चारों

पुलिस द्वारा फर्जी एनकाउंटर में मारे गए चारों युवक उस वक्त पिलखुआ में देहाड़ी मजदूरी के लिए काम तलाशने निकलने थे। रास्ते में चारों भोजपुर थाने के बाहर लगी दुकान पर बैठकर चाय पी रहे थे। यहीं से पुलिस वाले चारों को बुलाकर थाने में ले गए। एनकाउंटर से पहले थाने में चारों युवक को काफी प्रताड़ित किया गया था। इसके बाद मछली बाजार एरिया में ले जाकर उनका फर्जी एनकाउंटर कर दिया गया।

फॉरेंसिक जांच से खुली थी करतूत

फर्जी एनकाउंटर के बाद पुलिसकर्मियों ने मृतकों को शातिर अपराधी साबित करने के लिए फर्जी तमंचा दिखा दिया था। पुलिस ने मृतकों को बदमाश बताते हुए उनकी तरफ से भी फायरिंग होने की बात कही थी। फॉरेंसिक जांच में पता चला कि पुलिस बदमाशों द्वारा जो गोली चलने की बात कह रही है, वह उस तमंचे से चली ही नहीं थी। फॉरेंसिक जांच में साबित हो गया कि पुलिस ने तमंचा फर्जी लगाया था।


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