नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राजधानी के अधिकतर सरकारी स्कूलों में भूगोल की कक्षाएं बिना प्रयोगशाला के ही संचालित की जा रही हैं। शिक्षकों द्वारा स्कूलों में अभी तक केवल सैद्धांतिक पाठ ही पढ़ाया जा रहा है। छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान की जानकारी ही नहीं मिल पा रही है। छात्रों की इसी समस्या को देखते हुए शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों में भूगोल की प्रयोगशाला स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। ये प्रयोगशाला वरिष्ठ माध्यमिक स्तर के छात्रों के लिए होगी।

निदेशालय के एक अधिकारी ने बताया कि कुल 397 सरकारी स्कूल चिन्हित किए गए हैं जहां पर भूगोल की प्रयोगशाला स्थापित की जाएगी। इसकी आवश्यकता पर अधिकारी ने कहा कि भूगोल के प्रभावी शिक्षण के लिए ये प्रयोगशाला अत्यंत आवश्यक है। प्रयोगशाला न होने से छात्र-छात्राओं को विषय से संबंधित प्रयोगात्मक ज्ञान की जानकारी नहीं हो पाती है। मानचित्र, चार्ट, ग्लोब व अन्य चीजों के प्रयोग के बिना भूगोल शिक्षण को प्रभावी बनाना संभव नहीं है। इस प्रयोगशाला के होने से शिक्षक को भी विषय को पढ़ाने में अनुकूल वातावरण मिलेगा। उन्होंने कहा कि भूगोल प्रयोगशाला एक छात्र के भौगोलिक आधार को समृद्ध करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

प्रयोगशाला छात्रों के गुणात्मक और मात्रात्मक अनुसंधान कौशल का विकास करती है। यह छात्रों को भौतिक, मानव और प्रकृति-समाज भूगोल में समृद्ध करता है। भूगोल सीखने में ढेर सारा व्यावहारिक ज्ञान शामिल होता है, जिससे छात्रों को अवधारणाओं और तथ्यों को आसानी से देखने और सीखने का पर्याप्त अवसर मिलता है, लेकिन अभी तक इन स्कूलों में प्रयोगशाला न होने की वजह से उनकी प्रयोगात्मक पाठ्यों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है। कई बार तो छात्र-छात्राओं को भौगोलिक उपकरण का नाम तक नहीं मालूम होता है। व्यावहारिक ज्ञान न होने के कारण छात्र-छात्राएं इस विषय से अपना भविष्य भी नहीं बना पा रहे हैं, लेकिन प्रयोगशाला स्थापित होने से छात्रों को इस विषय को और गहराई से समझने में आसानी होगी और वो परीक्षाओं में भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे।

इससे राज्यों, देशों, समुद्र आदि के सटीक स्थान के बारे में छात्र जानेंगे। स्कूलों में जो प्रयोगशाला स्थापित होगी उसमें विषय से जुड़े सभी संबंधित सामग्री होंगी जो विषय को आसानी से समझाने का कार्य करेंगे।

भूगोल की अलग से कोई लैब नहीं थी। लैब बनने के बाद छात्र विभिन्न प्रयोग कर सकेंगे, विषय को अच्छे से समझेंगे, लेकिन इसमें कंप्यूटर को और जोड़ा जाना चाहिए था। चूंकि कंप्यूटर लैब में होने से छात्रों को प्रोजेक्टर पर किसी भी स्थान को और बेहतर तरीके से दिखा सकेंगे। - गय्यूर अहमद, प्रधानाचार्य, सर्वोदय बाल विद्यालय नंबर-1 , उर्दू माध्यम, जामा मस्जिद।

राउज एवेन्यू स्थित सर्वोदय बाल विद्यालय के प्रधानाचार्य सत्यवान ने कहा- 11वीं और 12वीं के बच्चों को अभी तक केवल सैद्धांतिक पढ़ाई कराई जा रही थी। अब प्रयोगशाला स्थापित होने और उसमें उपकरणों के इस्तेमाल से छात्र किसी पाठ को बेहतर समझ सकेंगे। उनकी कल्पनाओं को भी मदद मिलेगी। दिशाओं का ज्ञान समझ आएगा।

Edited By: Nitin Yadav