नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। सदर बाजार रोड पर कूड़ा निष्पादन के लिए दिल्ली छावनी परिषद द्वारा लगाए गए संयंत्र को एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) ने स्थानांतरित करने का आदेश जारी किया है। इस वर्ष 30 सितंबर से पहले दिल्ली छावनी परिषद को यह संयंत्र स्थानांतरित करना है।

असल में संयंत्र लगने के बाद से इलाके में बदबू व वायु प्रदूषण की बढ़ी समस्या को मद्देनजर रखते हुए सदर बाजार के दुकानदार, गुरुद्वारा, स्कूल व मंदिर प्रबंधन समितियों के पदाधिकारी की ओर से दिल्ली छावनी परिषद को लगातार शिकायत दी जा रही थी। पर इसको लेकर दिल्ली छावनी परिषद के उपेक्षित रवैये से परेशान होकर ब्रिगेडियर प्रदीप कुमार उपमन्यु ने पिछले वर्ष एनजीटी का दरवाजा खटखटाया था।

जुलाई 2022 में शुरू हुआ था मशीन का संचालन

शून्य अपशिष्ट माडल को ध्यान में रखते हुए 29 नवंबर 2021 को बोर्ड की बैठक में सदर बाजार रोड पर 20 मीट्रिक टन क्षमता युक्त कूड़ा निष्पादन संयंत्र लगाए जाने पर मुहर लगी थी। उसी दिन दो करोड़ 20 लाख 42 हजार 726 रुपये में मशीन खरीदी गई थी। 29 दिसंबर को मशीन की डिलीवरी हो गई थी, पर उसका संचालन जुलाई 2022 से शुरू हुआ था।

सदर बाजार रोड मौजूदा डलाव घर के सामने स्थित सैन्य जमीन पर अधिकारियों की मंजूरी पर इस संयंत्र को स्थापित किया गया। बोर्ड बैठक में संयंत्र के रखरखाव के लिए हर साल 35 लाख 70 हजार 816 रुपये जारी करने पर भी फैसला हुआ था। इसके बाद पिछले वर्ष भी बोर्ड ने तीन और 20-20 मीट्रिक टन क्षमता के संयंत्र लगाने की मंजूरी पास की थी। पर पहले संयंत्र पर एनजीटी की कार्रवाई के चलते उन तीनों संयंत्र को अभी तक स्थापित नहीं किया गया है।

पहले भी लगा था खाद बनाने का संयंत्र

सदर बाजार रोड पर पुराने डलाव घर की बात करें तो वहां भी कूड़े से खाद बनाने के दो संयंत्र स्थापित है। नए संयंत्र की मंजूरी से पूर्व गीले कूड़े से उन्हीं में खाद बनाई जाती थी। हालांकि इनकी क्षमता कम है।इसमें एक मशीन में करीब 50 किलोग्राम और एक में करीब 20 किलोग्राम खाद एक समय में तैयार हो पाती है। पर गौर करने वाली बात यह है कि नया संयंत्र स्थापित होने के बाद से इनका उपयोग बंद है।

कर्मचारियों की माने तो नया कूड़ा निष्पादन संयंत्र लगने के बाद डलाव घर की बिजली काट दी गई, ऐसे में पुराने संयंत्र शोपीस बनकर रह गए है। एक वर्ष से उनकी सुध नहीं ली गई है। बता दें, छावनी परिषद के अंतर्गत नियमित रूप से करीब 65 मीट्रिक टन कूड़ा इकट्ठा होता है, जो काम्पेक्टर व ट्रकों में भरकर निष्पादन के लिए ओखला लैंडफिल साइट पर भेजा जाता है। कूड़ा निष्पादित करने के लिए दिल्ली छावनी परिषद दक्षिणी निगम को हर वर्ष करीब साढ़े सात करोड़ रुपये का भुगतान करती है।

संयुक्त कमेटी ने एनजीटी को सौंपी रिपोर्ट

एनजीटी के आदेश पर डीपीसीसी (दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति) की संयुक्त कमेटी का गठन हुआ था। जिसमें डीपीसीसी के अधिकारी, नई दिल्ली जिला उपायुक्त, दिल्ली छावनी परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी व परियोजना प्रस्तावक के निदेशक शामिल थ। कमेटी से इलाके का मुआयना किया और पाया कि वाकई में संयंत्र का जब संचालन होता है तो यहां भयावह बदबू की समस्या खड़ी हो जाती है।

सदर बाजार रोड एक व्यस्त सड़क है और एनजीटी के अनुसार रिहायशी इलाके में इस तरह का संयंत्र लोगों के स्वास्थ्य काे प्रभावित कर सकता है। छानबीन के बाद डीपीसीसी ने पिछले वर्ष 30 नवंबर को रिपोर्ट बनाकर एनजीटी में दाखिल की थी। जिसमें उन्हाेंने चार माह यानि 31 मार्च तक संयंत्र को सदर बाजार रोड से स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। साथ ही जहां भी यह संयंत्र स्थापित होगा वहां छावनी एंटी स्माग गन के माध्यम से वहां पानी व खुशबू का छिड़काव करेगी। ताकि लोगों को कम परेशानी हो।

आठ माह का मांगा समय

डीपीसीसी की रिपोर्ट पर दिल्ली छावनी परिषद ने चार माह की समय सीमा को बढ़ाने की मांग रखी थी। जिसमें उन्होंने कहा कि संयंत्र को स्थानांतरित करने के लिए कीर्बि प्लेस में सैन्य जमीन को चिन्हित कर लिया गया है। सैन्य जमीन पर संयंत्र स्थापित करने के लिए अधिकारिक मंजूरी, इसके बाद ढांचा बनाने, बिजली व पानी के कनेक्शन जैसे अहम कार्यों को करने के लिए आठ माह का समय दिया जाए। एनजीटी ने दिल्ली छावनी परिषद की अपील को मान लिया है और आदेश दिया है 30 सितंबर से पहले संयंत्र स्थानांतरित हो जाना चाहिए। इसके अलावा तीनों अन्य संयंत्र भी अब कीर्बि प्लेस में ही लगाए जाएंगे।

छावनी परिषद को यह संयंत्र स्थापित करने से पूर्व लोगों की राय लेनी चाहिए थी। सदर बाजार रोड पर पहले से एक डलाव घर है, जहां पूरी छावनी का कूड़ा लाकर डाला जाता है। उससे ही हम काफी त्रस्त है। आलम यह है कि सांस लेना भी हमारा दूभर हो गया है।

-अश्विनी कुमार गुप्ता

अभी दाे माह से संयंत्र भले ही बंद है, पर बावजूद इसके यहां से बदबू आती है, क्योंकि इसमें कूड़ा अभी भी सड़ रहा है। छावनी परिषद को सोचना चाहिए था कि जहां उन्होंने स्ट्रीट वेंडर्स के लिए दुकानें बनाई है उसी के पास वे कूड़े का निष्पादन कैसे कर सकते हैं।

-विनाेद वर्मा

कालोनियों से गीला और सूखा कूड़ा छावनी परिषद को अलग-अलग नहीं मिलता है।सारा कूड़ा एक साथ मशीन में डाला जाता है, इससे कितनी गैस निकलती है, जो लोगों के फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रही है। गुरुद्वारा व मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले लोग त्रस्त है।

-हमीर सिंह ढिल्लो

Edited By: Abhi Malviya