मच्छरों के साक्षात 'काल' है यह अनोखी मछली, डेंगू से बचाव के लिए जागरूकता है जरूरी
गंबूजिया मछली पानी में पनप रहे लार्वा को खा जाती है। विभाग ने फरीदाबाद जिले के 150 जोहड़ों में गंबूजिया मछली डालने की तैयारी कर ली है।
फरीदाबाद [जेएनएन]। डेंगू-मलेरिया के मच्छरों का सफाया करने के लिए जिला मलेरिया विभाग कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता है। इसलिए तालाबों व गड्ढों में इकट्ठे होने वाले पानी में पनपने वाले मच्छरों के लिए अब 'गंबूजिया फिश' को मोर्चे पर लगाने की तैयारी की जा रही है। गंबूजिया मछली पानी में पनप रहे लार्वा को खा जाती है। विभाग ने जिले के 150 जोहड़ों में गंबूजिया मछली डालने की तैयारी कर ली है।
लार्वा ही डेंगू का कारण बनता है
विभाग के अधिकारियों का मानना है कि विभिन्न क्षेत्रों में जमा पानी में लार्वा पनप रहे हैं। लार्वा के पनपने से ही मलेरिया के मामलों में इजाफा हो रहा है। लार्वा ही डेंगू का कारण बनता है। विभाग ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, खेड़ी कलां के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र के जोहड़ों में गंबूजिया मछली डाल दी है। अन्य क्षेत्रों के जोहड़ों में भी गंबूजिया मछली डाली जाएगी।
मलेरिया के 70 मामलों की पुष्टि
बता दें कि अब तक जिले में मलेरिया के 70 मामलों की पुष्टि की जा चुकी है। अधिकांश मामले गांवों के हैं। गांवों में जोहड़ों की संख्या अधिक है। जोहडों में लार्वा और मच्छर पनपने से बीमारियां बढ़ रही हैं। इसे रोकने को लेकर ही लोगों को जागरूक करने के लिए डेंगू व मलेरिया नियंत्रण अभियान चल रहा हैं।
मच्छरों की दुश्मन है मछली
यह मछली पश्चिमी देशों में ज्यादा पाई जाती है। इसकी लंबाई करीब सात सेंटीमीटर तक होती है। मच्छरों को तेजी से अपना शिकार बनाने में माहिर है। एक झटके में सैकड़ों मच्छरों का सफाया करने में माहिर है। इसे मच्छरों का दुश्मन कहा जाता है। इन मछलियों को 'मास्किटो फिश' यानि मच्छर मार मछली के तौर पर भी पहचाना जाता है।
लोगों को जागरूक होना चाहिए
जिला मलेरिया अधिकारी डॉ रामभगत ने बताया कि मलेरिया के मच्छर रुके हुए पानी में पनपता है। जोहड़ों में मच्छर पैदा न हो, इसलिए हम जोहड़ों में गंबूजिया मछलियां छोड़ रहे हैं। लोगों को भी जागरूक होना चाहिए। अपने घरों के कूलरों और पानी की टंकियों की भी सफाई करें।