मंडी में फलों की आवक हुई कम, फुटकर दुकानदारों को मिल रहा महंगा माल
व्यापारी घटती मांग को देखते हुए माल नहीं मंगा रहे हैं। वहीं जो फल उपलब्ध हैं उसे बड़ी संख्या में समाजसेवी संस्थाएं जरूरतंद लोगों को बांटने के लिए खरीद लेती हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। लॉकडाउन के 10 दिन से अधिक पूरे होने के बाद मंडी में फलों की आवक कम हो गई है। व्यापारी घटती मांग को देखते हुए माल नहीं मंगा रहे हैं। वहीं जो फल उपलब्ध हैं, उसे बड़ी संख्या में समाजसेवी संस्थाएं जरूरतंद लोगों को बांटने के लिए खरीद लेती हैं। इस कारण सोसायटी और कॉलोनियों में लोगों तक फल नहीं पहुंच पा रहे हैं। फल विक्रेताओं का कहना है कम आवक और एकमुश्त खरीदारी के चलते फुटकर दुकानदारों को माल महंगा मिल रहा है। इस कारण दुकानदार भी फल खरीदने से परहेज कर रहे हैं।
कॉलोनियों और सोसायटियों में कम मिल रहा फल
दरअसल, पिछले कुछ दिनों से कॉलोनियों और सोसायटियों में लोगों तक फल नहीं पहुंच पा रहे हैं। फल विक्रेताओं का कहना है कि मंडी में माल नहीं आ रहा है, जिस कारण फलों की कीमत काफी बढ़ गई है। बढ़ती कीमत को देखते हुए फेरी वाले भी मंडी से माल नहीं उठा पा रहे हैं।
ओखला मंडी में घटी फल लेकर आने वाले ट्रकों की संख्या
ओखला मंडी के बाहर फुटकर में फल बेचने वाले मोहम्मद इमरान ने बताया कि दो दिनों से मंडी में फल लेकर आने वाले ट्रकों की संख्या घट गई है। इस दौरान गैर सरकारी संगठन और समाजसेवी भी फलों के वितरण के लिए मंडी से एकमुश्त फल खरीद रहे हैं। खासतौर पर केले को यह लोग प्रमुखता से खरीद रहे हैं। इससे फुटकर दुकानदारों को फल महंगे दाम पर मिल रहा है। न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी (एनएफसी), सुखदेव विहार, कालकाजी जैसी सोसायटियों में फेरी लगाकर बिक्री करने वाले दुकानदारों को फल नहीं मिल पा रहे हैं।
भीड़ न लगे इसलिए पुलिस नहीं लगने देती दुकान
ओखला मंडी के बाहर दुकान लगाने वाले अजहर ने बताया कि मंडी के बाहर दुकान लगने पर ग्राहक शारीरिक दूरी का ध्यान नहीं देते थे, जबकि इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए लोगों के बीच दूरी बनाना बहुत जरूरी है। ऐसे में पुलिसकर्मियों ने मंडी के आसपास की अधिकतर दुकानें हटा दी हैं, ताकि लोग भीड़ लगाकर सामान न खरीदें। यह भी एक कारण है कि सोसायटियों तक फल नहीं पहुंच पा रहे हैं।
मंडी में सामान्य दिनों में 100 गाड़ियां सेब की आवक होती है लेकिन लॉकडाउन के बाद यह घटकर 25 से 30 गाड़ियां ही रह गई हैं। इनमें से भी प्रतिदिन सात से आठ गाड़ियों के फल बिक नहीं पाते। सेब का सीजन न होने के कारण कोल्ड स्टोरेज में रखे सेब ही पंजाब आदि राज्य को भेजे जा रहे हैं। आवक में कमी का कारण यह है कि मंडी में फुटकर विक्रेता व अन्य ग्राहक कम हो गए हैं। वहीं मांग घटने के कारण भी आढ़ती सेब नहीं मंगा रहे हैं।