Delhi Riots: पूर्व पुलिस आयुक्त का चौकाने वाला बयान, कहा दिल्ली दंगों के लिए PFI जिम्मेदार
Delhi Riots पूर्व पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने शनिवार को पहली बार दंगे को लेकर चौकाने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर पीएफआइ द्वारा समुदाय विशेष के युवाओं को नहीं भड़काया जाता तो उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे नहीं होते।
नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]।देश में आतंकी व हिंसक गतिविधियों में लगातार पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) का नाम आने पर केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल भी केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के सहयोग से देशभर में फैले पीएफआइ की कुंडली खंगालना शुरू कर दिया है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगे में पीएफआइ की सबसे अहम भूमिका थी।
अब देशभर में पीएफआइ के खिलाफ की जा रही कार्रवाई के मद्देनजर उसकी भूमिका को लेकर पूर्व पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने शनिवार को पहली बार दंगे को लेकर चौकाने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर पीएफआइ द्वारा समुदाय विशेष के युवाओं को नहीं भड़काया जाता तो उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे नहीं होते। पीएफआइ के दिल्ली प्रदेश के सदस्य महीनों तक दिल्ली के सभी मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में जाकर युवाओं, किशोरों व महिलाओं को उनका सबसे बड़ा हमदर्द बनकर सहानुभूति का दिखावा कर ब्रेनवाश करते रहे।
उन्हें खुलकर पैसे भी दिए गए। जब पीएफआइ के मकसद के अनुकूल माहौल तैयार हो गया तब दिल्ली में दंगे करवा दिया गया। दिल्ली दंगे में 80 प्रतिशत से अधिक युवा व किशोर ही शामिल थे जिन्हें पीएफआइ द्वारा भड़काने की बात सामने आई थी।
पूर्व पुलिस आयुक्त का कहना है कि दंगे की जांच के दौरान यह बात सामने आई थी कि दिल्ली ही नहीं देशभर में स्थानीय अथवा किसी बड़े मसले को लेकर जब समुदाय विशेष के लोगों के बारे में बात उठती है तो पीएफआइ के सदस्य सहानुभूति जताने वहां पहुंच जाते हैं।
उनकी मंशा वहां दंगा भड़काने की ही होती है। वहां जाकर ये लोग समुदाय विशेष के लोगों को जागरूक करने की आड़ में दंगे का माहौल तैयार करने में जुट जाते हैं। खासकर युवाओं का ब्रेनवाश कर उन्हें कट्टर व जेहादी बनाने की कोशिश की जाती है। उन्हें बताया जाता है कि अगर वे अपने कौम व अधिकार को लेकर नहीं जागेंगे तब एक दिन उनके साथ घोर अत्याचार किया जाएगा।
उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ जाएगा। इस तरह की आपत्तिजनक बातें बोलकर युवाओं के दिमाग में जहर घोला जाता है और उन्हें कट्टर बनाने का कार्य किया जाता है। एसएन श्रीवास्तव का कहना है कि दक्षिण भारत में पीएफआइ ने पूरी तरह अपना गढ़ बना लिया है।
वहां पीएफआइ का आतंक है। उत्तर-भारत में भी पीएफआइ पिछले कई सालों से धीरे धीरे अपना पैठ बना रहा है। 2017 में असम में जाकर वहां अपनी मजबूत जड़े जमाने में कामयाब हो गया क्योंकि वहां समुदाय विशेष की संख्या अधिक है। इस संगठन का मुख्य टारगेट युवा होता है। यह संगठन समुदाय विशेष के लोगों को एकजुट करने व शिक्षित करने के बहाने उनके सम्पर्क में आता है।
शिक्षा के नाम पर उन्हें कंप्यूटर की ट्रेनिंग दी जाती है। यह युवाओं को छोटे-छोटे स्तर पर लीडर बनने के लिए उकसाता है। ताकि जरूरत पड़ने पर उनका इस्तेमाल किया जा सके। एसएन श्रीवास्तव का कहना है कि पीएफआइ बहुत ही शातिराना अंदाज में काम करता है।
जांच एजेंसियों से बचने के लिए यह चंदा नगद ही लेता है। दिखावे के लिए यह 10 से 50 हजार यानी छोटे चंदे की रसीद काटता है। ताकि जांच एजेंसियों के रडार पर न आ सके। मोबाइल अथवा बैंक ट्रांजेक्श्न का इस्तेमाल न के बराबर करता है। इसलिए जांच एजेंसियों को दंगे आदि में पीएफआइ की भूमिका को साबित करने में परेशानी होती है।