कोरोना का टीका लगवा चुके दिल्ली-यूपी व पंजाब समेत देश के करोड़ों लोगों के लिए राहत, पढ़िए- एक्सपर्ट की राय
दिल्ली में 20 हजार के आसपास मामले आने के बावजूद कोरोना पहले की तरह घातक साबित नहीं हो रहा है। एम्स के डाक्टर कहते हैं कि लोगों को पहले हुआ संक्रमण व टीकाकरण तीसरी लहर को घातक होने से रोक रहा है। इसलिए टीकाकरण अभियान सफल होता दिख रहा है।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ने के कारण पिछले कुछ दिनों से अस्पतालों में मरीजों के दाखिले व मौत के मामले थोड़े बढ़ गए हैं। फिर भी कोरोना की दूसरी लहर की तुलना में अभी अस्पतालों में 89 प्रतिशत कम मरीज भर्ती हैं। मौतें भी करीब 84 प्रतिशत कम हो रही है। इस वजह से दिल्ली में 20 हजार के आसपास मामले आने के बावजूद कोरोना पहले की तरह घातक साबित नहीं हो रहा है। एम्स के डाक्टर कहते हैं कि लोगों को पहले हुआ संक्रमण व टीकाकरण तीसरी लहर को घातक होने से रोक रहा है। इसलिए टीकाकरण अभियान अपने मकसद में सफल होता दिख रहा है। दोनों डोज टीका लेने वाले ज्यादातर लोगों को गंभीर बीमारी से बचाव हो रहा है।
एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डा. संजय राय ने कहा कि अभी बहुत अधिक मामले आने के बावजूद अस्पतालों में कम मरीज पहुंच रहे हैं। आक्सीजन सपोर्ट की जरूरत भी बहुत कम मरीजों को पड़ रही है। इसका कारण यह है कि एक तो ओमिक्रोन की मारक क्षमता कम है। दूसरी अहम बात यह है कि दूसरी लहर में दिल्ली सहित देश भर में काफी लोग पहले संक्रमित हो चुके हैं। दिल्ली में 95 प्रतिशत से ज्यादा लोगों में एंटीबाडी पाई गई थी, जो ओमिक्रोन के मौजूदा संक्रमण से लड़ने में मदद कर रही है। इसलिए अभी पिछली बार की तरह स्थिति नहीं है। उम्मीद है कि पिछली बार की तरह हालत नहीं बनेंगे।
एम्स में इंटरनल मेडिसिन के अतिरिक्त प्रोफेसर डा. नीरज निश्चल ने कहा कि कोरोना की मौजूदा लहर से कितना असर पड़ा यह अगले कुछ दिनों में स्पष्ट होगा लेकिन यह जरूरी है कि अभी कोरोना के कारण मरीज गंभीर नहीं हो रहे हैं। इसका कारण लोगों में पहले हो चुका संक्रमण व टीकाकरण है। टीकाकरण का मकसद इस लहर में पूरा होता दिख रहा है। लोग संक्रमित तो हो रहे हैं लेकिन ज्यादा गंभीर बीमारी नहीं हो रही है। इसलिए स्वास्थ्य कर्मियों, अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों व पुरानी बीमारियों से पीड़ित बुजुर्गों को प्रिकाशनरी (सतर्कता) डोज लेना जरूरी है।
दूसरी लहर में डेल्टा से बचे रहे दोनों डोज ले चुके स्वास्थ्य कर्मी
एम्स के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि दोनों डोज ले चुके स्वास्थ्य कर्मी दूसरी लहर में डेल्टा जैसे घातक स्ट्रेन के संक्रमण से बच्चे रहे। सिर्फ डेढ़ फीसद स्वास्थ्य कर्मियाें को दोबारा संक्रमण हुआ था। यह अध्ययन हाल ही में मेडिकल जर्नल जामा में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन में शामिल एक वरिष्ठ डाक्टर ने बताया कि संस्थान के 15 244 स्वास्थ्य कर्मियों पर अध्ययन किया है। जिसमें से 4978 प्रतिशत कर्मचारी कम से कम एक बार कोरोना संक्रमित हुए थे। अध्ययन में पाया गया कि टीका नहीं लेने वाले 12.7 प्रतिशत व एक डोज टीका लेने वाले 11 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मियों को दोबारा संक्रमण हुआ था। दोनों डोज टीका चुके चुके सिर्फ 1.6 प्रतिशत कर्मचारियों को ही दोबारा संक्रमण हुआ। इसलिए दोबारा संक्रमण रोकने में कोवैक्सीन टीके को 86 प्रतिशत प्रभावी पाया गया। इस अध्ययन की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह अध्ययन कोरोना के नए वैरिएंट के खतरों से निपटने में मददगार साबित होगा। हालांकि, इस बार डेल्टा की तुलना में अधिक लोग दोबारा संक्रमण से पीड़ित हो रहे हैं। इसलिए ही स्वास्थ्य कर्मियों, अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों व पुरानी बीमारियों से पीड़ित बुजुर्गों को बूस्टर डोज देने का काम शुरू हुआ है।
आंकड़े
दिल्ली फाइट कोरोना पोर्टल के अनुसार, सोमवार को अस्पतालों में भर्ती कुल मरीज- 2024
वेंटिलेटर बेड वाले आइसीयू में भर्ती मरीज- 132
वेंटिलेटर सपोर्ट पर भर्ती मरीज- 66
पिछले साल जब 20 हजार से अधिक मामले आने शुरू हुए तब इस तरह मची थी तबाही
तारीख मामले अस्पतालों में भर्ती कुल मरीज मौतें
17 अप्रैल 24,375 12,699 167
18 अप्रैल 25,462 13,887 161
19 अप्रैल 23,686 15,215 240