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नोएडाः आय से अधिक संपत्ति मामले में सेवानिवृत्त पुलिस अफसर के खिलाफ FIR

एंटीकरप्शन ब्यूरो ने नोएडा प्राधिकरण में तैनात रह चुके सेवानिवृत्त डीएसपी हर्षवर्धन सिंह भदौरिया के खिलाफ केस दर्ज करवाया है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 19 May 2019 04:20 PM (IST)Updated: Mon, 20 May 2019 07:41 AM (IST)
नोएडाः आय से अधिक संपत्ति मामले में सेवानिवृत्त पुलिस अफसर के खिलाफ FIR
नोएडाः आय से अधिक संपत्ति मामले में सेवानिवृत्त पुलिस अफसर के खिलाफ FIR

नोएडा, जेएनएन। नोएडा प्राधिकरण में तैनात रह चुके सेवानिवृत्त पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) हर्षवर्धन सिंह भदौरिया के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में एफआइआर दर्ज की गई है। भ्रष्टाचार निवारण संगठन मेरठ में तैनात इंस्पेक्टर अरविंद कुमार की तरफ से कोतवाली सेक्टर 49 में यह एफआइआर दर्ज कराई गई है।

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शिकायत के अनुसार भ्रष्टाचार निवारण संगठन के पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर उनके द्वारा सेवानिवृत्त डीएसपी के संपत्ति की जांच की गई। जांच में पाया गया कि हर्षवर्धन सिंहभदौरिया की नियुक्ति 30 मई 1981 को यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर हुई थी। आरोप है कि उन्होंने जनवरी 2003 से लेकर 29 मई 2017 तक संपत्तियां अर्जित की है। इस दौरान हर्षवर्धन भदौरिया को वेतन, भत्ता, एरियर, बैंक आदि से शुद्ध ज्ञात आय की गणना की गई।

इस अवधि में इनकी तरफ से पारिवारिक भरण पोषण, भू खण्ड आदि क्रय करने पर 10 करोड़ 63 लाख रुपये व्यय किया गया। आरोप है कि हर्षवर्धन द्वारा कुल खर्च की गई रकम आय के सापेक्ष नौ करोड़ 80 लाख 53 हजार रुपये (1178.09 फीसद) अधिक है। इसके अतिरिक्त भी आरोपित के पास संपत्तियां होने की संभावना है।

आरोप है कि वैध ज्ञात आय से अधिक व्यय के संबंध में आरोपित सेवानिवृत्त डीएसपी हिसाब नहीं दे सका। मूलरूप से सिघावली यशवंत नगर इटावा निवासी आरोपित सेवानिवृत्त डीएसपी हर्षवर्धन सिंह भदौरिया नोएडा के सेक्टर-47 स्थित मकान में रहता है।

एफआइआर के अनुसार इन पर आरोप है कि ज्ञात आय के स्रोतों से अतिरिक्त संपत्तियां अर्जित कर के अवैध रूप से अपने को समर्थ किया है। शिकायत के आधार पर एफआइआर दर्ज हुई है और इस मामले की जांच भ्रष्टाचार निवारण संगठन मेरठ की तरफ से की जा रही है।

सेवानिवृत्त डीएसपी हर्ष वर्धन सिंह भदौरिया का इस संबंध में कहना है कि दो वर्ष से जांच चल रही थी, लेकिन जांच में ऐसा कुछ मिला नहीं है। भ्रष्टाचार निवारण संगठन के उच्चाधिकारियों से मैं जनवरी में खुद मिला था। उन्होंने एफआइआर दर्ज करने की मजबूरी बताई थी।

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