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वैज्ञानिकों का हुनर देख सीखेंगे किसान, दालों के आयात की नहीं पड़ेगी जरूरत

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉक्टर त्रिलोचन महापात्र ने कहा कि आने वाले सालों में दालों के आयात की जरूरत नहीं पड़ेगी।

By Amit MishraEdited By: Published: Tue, 14 Mar 2017 09:29 PM (IST)Updated: Wed, 15 Mar 2017 07:25 AM (IST)
वैज्ञानिकों का हुनर देख सीखेंगे किसान, दालों के आयात की नहीं पड़ेगी जरूरत
वैज्ञानिकों का हुनर देख सीखेंगे किसान, दालों के आयात की नहीं पड़ेगी जरूरत

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। दलहन की पैदावार बढ़ाने में देश के कृषि वैज्ञानिकों की भूमिका अहम रही है, जिससे दालों की पैदावार रिकार्ड ऊंचाइयों को छू सकती है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉक्टर त्रिलोचन महापात्र ने कहा कि आने वाले सालों में दालों के आयात की जरूरत नहीं पड़ेगी। आधुनिक प्रौद्योगिकी और उन्नतशील प्रजातियों के जारी होने से दलहन के क्षेत्र में देश जल्दी ही आत्मनिर्भर हो जायेगा।

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पूसा में होने वाले वार्षिक कृषि मेला का ब्यौरा देते हुए महानिदेशक महापात्रा ने कहा कि बीते दो सालों में कृषि अनुसंधान संस्थानों ने विभिन्न फसलों की 310 उन्नतशील प्रजातियां तैयार की और उसे किसान के खेतों तक पहुंचाया।

डाक्टर महापात्रा ने बताया कि इसके अलावा बागवानी की 51 नई किस्में जारी की गईं है, जिससे फल, फूल और सब्जियों की पैदावार बढ़ाने में मदद मिली है। लघु व मझोली जोत के किसानों के लिए 51 उचित कृषि मशीनरी का आविष्कार किया गया है। सरकार का पूरा ध्यान कृषि यंत्रीकरण है। जबकि पशुधन व डेयरी क्षेत्र में तीन नये वैक्सीन तैयार किये गये।

वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य प्राप्त करने पर सरकार का पूरा ध्यान है। आईसीएआर के महानिदेशक महापात्रा ने कहा कि कृषि यंत्रीकरण में पोस्ट हार्वेस्टिंग को लेकर कृषि वैज्ञानिक दिन रात लगे हुए हैं।

पूसा में लगने वाले कृषि मेला में आधुनिक प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन किया जायेगा, जिससे किसानों को लाभ मिलेगा। मेला परिसर में खेतों पर फसलों का प्रदर्शन भी होगा। महापात्रा ने बताया कि एक एकड़ खेत में इंटीग्रेटेड खेती का प्रदर्शन किया गया है। इसमें शहद, मछली, पोल्ट्री, बागवानी और फसलों की खेती की गई है, जिससे सालाना लाखों रुपये की आमदनी प्राप्त की जा सकती है।

तीन दिवसीय मेले का बुधवार को केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह उद्घाटन करेंगे। मेला संयोजन में प्रमुख भूमिका निभा रहे उप महानिदेशक डाक्टर एके सिंह ने बताया कि मेला में डिजीटल माध्यमों का भरपूर उपयोग किया जाएगा। जैविक खेती, कृषि कारोबार के तौर तरीके, कृषि क्षेत्र में कौशल विकास, मिट्टी व जल की जांच और सभी तरह की खेती के साथ किसानों व वैज्ञानिकों की गोष्ठी का आयोजन किया गया है।


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