चमकी बुखार के खौफ ने कम कर दी लीची की मांग, जानें डॉक्टर्स की क्या है राय Faridabad News
फरीदाबाद में चमकी बुखार के खौफ ने शहर में लीची की मांग को कम दिया है। लोग अब लीची खाने से परहेज करने लगे हैं।
फरीदाबाद, जेएनएन। चमकी बुखार के खौफ ने शहर में लीची की मांग को कम कर दिया है। लोग अब लीची खाने से परहेज करने लगे हैं। हालांकि अभी तक शहर में चमकी बुखार का संदिग्ध मामला भी नहीं आया है, फिर भी मुजफ्फरपुर सहित बिहार के कई जिलों में चमकी बुखार से हुई बच्चों की मौत के मामले को लीची से जोड़ कर देखा जा रहा है।
वेल्लौर, तमिलनाडु के मेडिकल कॉलेज के प्रो.टी जैकोब जॉन की अध्ययन रिपोर्ट को भी प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने गंभीरता से लिया है और हर जिले के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को अवगत करा दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार, शरीर में ग्लूकोज के लेवल के कम होने से चमकी बुखार की आशंका रहती है। रिपोर्ट में कहा गया गया है कि लीची में मिथाइलिन साइकोप्रोफाइल ग्लाइसिन नामक तत्व होता है। जब खाली पेट लीची खाई जाती है, तो इस तत्व के प्रभाव के चलते एकदम से ग्लूकोज का लेवल घट जाता है। मस्तिष्क में ग्लूकोज की मात्रा घट जाती है। मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है। जिला मलेरिया विभाग के बॉयोलाजिस्ट डॉ. प्रवीण अरोड़ा कहते हैं कि बस इसी सोच के चलते लोग आजकल लीची की खरीदारी कम कर रहे हैं।
दाम घटाने पर भी नहीं बढ़ रही मांग
फल विक्रेता सौरभ कुमार कहते हैं कि कुछ दिन पहले उनके यहां रोजाना करीब 100 किलोग्राम लीची की बिक्री होती थी, जो अब घट कर 25 किलोग्राम तक रह गई है। पहले 120 रुपये प्रति किलो के हिसाब से लीची बेचते थे। अब 100 रुपये प्रति किलो बेचने पर भी मांग कम है। लीची के बारे में अब तक जो रिपोर्ट सामने आई कि उससे यही पता चलता है कि खाली पेट लीची न खाई जाए। मगर लोग यूं ही डरे हुए हैं।
जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. रामभगत ने बताया कि चमकी बुखार के मुद्दे पर प्रदेश के मलेरिया विभाग की ओर से 27 जून को चंडीगढ़ में बैठक बुलाई गई है। सामान्य बुखार होने पर भी लोग सरकारी लैब में रक्त की जांच जरूर करवा लें।