Shekhar Joshi News: स्वजन ने दान किया साहित्यकार शेखर जोशी का पार्थिव शरीर, मेडिकल विद्यार्थियों के आएगा काम
Shekhar Joshi News 90 साल की उम्र में मंगलवार को साहित्यकार शेखर जोशी का निधन हो गया। स्वजन ने ग्रेटर नोएडा के शारदा विश्वविद्याल के मेडिकल विभाग को देह दान किया। उनका जन्म 10 सितंबर 1932 को अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर ओलिया गांव में हुआ था।
नई दिल्ली/गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध कहानीकार शेखर जोशी (Shekhar Joshi) के निधन से कहानी के एक युग का अंत हो गया। उन्होंने कहानियों, कविताओं व अन्य रचनाओं के जरिए उन्होंने लोगों को मानवता का पाठ पढ़ाया।
अब मरणोपरांत उनकी पार्थिव शरीर से चिकित्सा की शिक्षा ले रहे विद्यार्थी बहुत कुछ सीखेंगे। इसके लिए बुधवार को शेखर जोशी का पार्थिव शरीर उनके स्वजन ने ग्रेटर नोएडा के शारदा विश्वविद्यालय के मेडिकल विभाग को दान किया।
अस्पताल में 9 दिन से चल रहा था इलाज
शेखर जोशी गाजियाबाद के वसुंधरा सेक्टर- नौ स्थित जनसत्ता अपार्टमेंट में बेटे प्रतुल जोशी, संजय जोशी व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ रहते थे। वह 90 साल के थे। उनकी आंतों में संक्रमण था। उनका वैशाली सेक्टर - चार के पारस अस्पताल में नौ दिन से इलाज चल रहा था। मंगलवार दोपहर उन्होंने अंतिम सांस ली।
Shekhar Joshi Death News: साहित्यकार शेखर जोशी का निधन, मिल चुके हैं ये सम्मान
शेखर जोशी ने जीवित रहते देहदान किया था। संजय जोशी ने बताया के बुधवार को उन्होंने अपने पिता का पार्थिव शरीर ग्रेटर नोएडा के शारदा विश्वविद्यालय के मेडिकल विभाग को दान कर दिया दिया। उनकी पार्थिव शरीर से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को सीखने को मिलेगा।
अंतिम संस्कार नहीं कर पाएंगे स्वजन
संजय का कहना है कि वह पिता का शरीर दान करने के बाद अंतिम संस्कार नहीं कर पाएंगे। लेकिन रीति रिवाज के अनुसार अन्य क्रिया क्रम करेंगे। मंगलवार से बुधवार तक शेखर जोशी के मौत की खबर सुनकर हिंदी साहित्य में रुचि रखने वाले बड़ी संख्या में लोग वसुंधरा सेक्टर - नौ स्थित आवास पर पहुंचे और संवेदनाएं व्यक्त की। इंटरनेट मीडिया के ट्वीटर, फेसबुक व अन्य प्लेटफार्म पर भी लोगों ने पोस्ट डालकर हिंदी साहित्य के एक सितारे के अंत पर दुख व्यक्त किया।
अल्मोड़ा में हुआ था जन्म
शेखर जोशी का जन्म 10 सितंबर 1932 को अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर ओलिया गांव में हुआ था। उनकी प्राथमिक शिक्षा अजमेर और देहरादून में हुई। 12वीं की पढ़ाई के दौरान उनकी ईएमई सुरक्षा विभाग में नौकरी लग गई। उन्होंने 1986 में नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद वह लेखन में जुट गए।
कोशी के घटवार, दाज्यू समेत अन्य कहानियों से उन्हें खूब प्रसिद्धि मिली। उन्होंने 60 से अधिक कहानियां, 100 से अधिक कविताएं आदि लिखी हैं। शेखर जोशी की कहानियों का अंगरेजी, चेक, पोलिश, रुसी और जापानी भाषाओं में अनुवाद हुआ है। उनकी कहानी दाज्यू पर बाल-फिल्म सोसायटी द्वारा फिल्म का निर्माण किया गया है।
प्रमुख कहानियां :
काज्यू, कोसी का घटवार, साथ के लोग, लवाहा, नौरंगी बीमार है। मेरा पहाड़, डागरी वाला, बच्चे का सपना, आदमी का डर, एक पेड़ की याद समेत अन्य कहानियां व कविताएं लिख चुके हैं। उनकी लेखनी ऐसी थी थी कि, जिसे पढ़कर ऐसा प्रतीत होता है कि मानों सामने फिल्म चल रही हो। साथ ही पाठक का कहानी से लगाव भी जल्द बन जाता है।
मिल चुके हैं ये सम्मान
महावीर प्रसाद द्विवेदी, पुरस्कार (1987), साहित्य भूषण (1995), पहल (1997) और मैथलीशरण गुप्त सम्मान मिल चुका है। साथ ही देश के विभिन्न बड़े मंचों पर सैकड़ों पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके हैं।
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