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नकली नोट छाप बाजार में आपूर्ति करने वाला गिरफ्तार, 2 लाख की नकली करेंसी जब्त

जाली नोटों की गुणवत्ता इतनी अच्छी है, जिसे आम आदमी के लिए नकली और असली में अंतर कर पाना बहुत मुश्किल है।

By Edited By: Published: Wed, 05 Dec 2018 08:31 PM (IST)Updated: Thu, 06 Dec 2018 07:59 AM (IST)
नकली नोट छाप बाजार में आपूर्ति करने वाला गिरफ्तार, 2 लाख की नकली करेंसी जब्त
नकली नोट छाप बाजार में आपूर्ति करने वाला गिरफ्तार, 2 लाख की नकली करेंसी जब्त

नई दिल्ली, जेएनएन। नकली नोट छापकर उसे बाजारों में आपूर्ति करने वाले एक आरोपित को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने द्वारका से गिरफ्तार किया है। आरोपित की पहचान सिद्धार्थ उर्फ सिद्धू के रूप में हुई है। वह छह महीने से नकली नोट छापकर आपूर्ति कर रहा था।

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एडिशनल पुलिस कमिश्नर क्राइम ब्रांच राजीव रंजन के मुताबिक, आरोपित बी ब्लॉक, गोयला डेयरी, दक्षिण-पश्चिम जिले में परिवार के साथ रहता था। उसके पास से 2,03,100 के नकली नोट मिले, जो 2000, 500 व 100 के हैं। एएसआइ जोगिंदर सिंह को चार दिसंबर को सूचना मिली थी कि एक बदमाश दिल्ली में नकली नोटों की आपूर्ति कर रहा है। डीसीपी राजेश देव, एसीपी संदीप लांबा और इंस्पेक्टर संतोष चौहान की टीम ने इस संबंध में जांच शुरू की।

पुलिस टीम को सूचना मिली कि सिद्धार्थ श्मशान घाट, सेक्टर-18, गोल्फ लिंक चौक, द्वारका आने वाला है। टीम ने वहां से उसे दबोच लिया। तलाशी लेने पर उसके पास से 2,03,100 के नकली नोट मिले। जाली नोटों की गुणवत्ता इतनी अच्छी है, जिसे आम आदमी के लिए नकली और असली में अंतर कर पाना बहुत मुश्किल है। पूछताछ के बाद क्राइम ब्रांच की टीम ने उसके घर से एक स्कैनर व प्रिंटर, नोटों के काटने व नापने वाले औजार, नकली नोट बनाने के लिए इस्तेमाल में आने वाली पेपर शीट्स व अन्य सामान बरामद किए।

पूछताछ में आरोपित ने बताया कि वह पहले पंजाबी बाग के एक क्लब में बाउंसर था। उसके बाद उसने दो साल तक डेयरी का कारोबार किया। नुकसान होने पर उसने डेयरी का कारोबार बंद कर दिया। कुछ समय तक वह बेरोजगार रहा। छह महीने पूर्व नकली नोटों का काला कारोबार करने वाले नजफगढ़ निवासी प्रदीप से उसका परिचय हुआ। इसके बाद दोनों मिलकर नकली नोटों का काला कारोबार करने लगे। नोट छापने के बाद दोनों उसकी आपूर्ति झुग्गियों में करते थे। साथ ही साप्ताहिक बाजार, रेहड़ी पटरी से खरीदारी करते थे। कुछ देर बाद उसे सामान लौटाकर पैसे वापस ले लेते थे, इससे उन्हें नकली के बदले असली नोट मिल जाते थे।


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