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विलुप्त हुआ दिल्ली का एक ऐतिहासिक शहर, जहां भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद ने बनाया था अंग्रेजों के खिलाफ प्लान

historic city Firoz Shah Kotla फिरोजशाह कोटला शहर में ही भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद और सुखदेव ने अहम बैठक की थी। अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के लिए हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन भी यहां पर किया गया था।

By Jp YadavEdited By: Published: Mon, 08 Aug 2022 11:08 AM (IST)Updated: Mon, 08 Aug 2022 11:08 AM (IST)
विलुप्त हुआ दिल्ली का एक ऐतिहासिक शहर, जहां भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद ने बनाया था अंग्रेजों के खिलाफ प्लान

नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। फिरोज शाह कोटला कभी दिल्ली के ऐतिहासिक शहरों में से एक था। इसे 14वीं शताब्दी के मध्य में शासक फिरोज शाह तुगलक द्वारा यमुना नदी के किनारे बसाया गया था। अब फिरोजाबाद शहर का बहुत कम हिस्सा बचा है, सिर्फ इसके महल परिसर और किले का कुछ भाग शेष है, जिसे फिरोज शाह कोटला के रूप में जाना जाता है।

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14वीं शताब्दी के अंत तक यह शहर वीरान हो गया था, और 17वीं शताब्दी में इसके कुछ हिस्से को नए शहर शाहजहानाबाद में शामिल किया गया। फिरोज शाह कोटला तब से महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है।

आठ-नौ सितंबर 1928 को यहीं पर स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव और अन्य द्वारा बुलाई गई बैठक में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन किया गया था। इसे बाद में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी नाम दिया गया था।

इसी संगठन ने ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार को हिला दिया था। आजादी के बाद दो वर्ष से अधिक समय तक फिरोज शाह कोटला में देश के विभाजन से विस्थापित लोगों के लिए एक शिविर लगाया गया।

पहले टेंट, और फिर उनके लिए ईंट के घर बनाए गए। 1953 में इस शिविर को हटाए जाने के बाद स्मारक को पुनस्र्थापित किया गया। प्राचीन शासकों ने कई स्मारकों और संरचनाओं का निर्माण करके भारत की सुंदरता को बढ़ाने में अपना योगदान किया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) अब यहां संरक्षण कार्य व व्यवस्थाओं में सुधार करने जा रहा है।

एएसआइ का प्रयास है कि किले की दीवारें व अन्य बचे हुए अवशेषों का संरक्षण कर इन्हें बचाए रखा जा सके। यहां पाथ-वे बनाए जाएंगे, जिससे पर्यटकों को आने जाने में असुविधा न हो।अशोक स्तंभ वाली इमारत की निचली मंजिलों में दरवाजों पर जालियां लगाई लगाई जाएंगी कि जिससे चमगादड़ों को इमारत के अंदर जाने से रोका जा सके।

स्मारक के पैलेस एरिया में हरियाली बढ़ाई जाएगी और दीवारों के बचे हुए अवशेषों का संरक्षण कार्य कराया जाएगा। स्मारक की दीवार के साथ खाली पड़ी जमीन पर पार्क विकसित किया जाएगा।इसके लिए काम शुरू कर दिया गया है।पहले चरण में इस खाली पड़ी जमीन पर पार्क विकसित करने के लिए चारदीवारी की जाएगी।

इसमें निर्माण कार्य इस तरह कराया जाएगा कि स्मारक में सभी कुछ एतिहासिक दिखे। यह किला तुगलक वंश के तीसरे शासक के शासनकाल का प्रतीक है। इसकी बाहरी दीवारें चिकने पत्थर की हैं, जिसकी ऊंचाई 15 मीटर है।

किले में एक और चीज जो आपका ध्यान आकर्षित करेगी वह है अशोक का स्तंभ, जो तीन परत वाली पिरामिडीय संरचना के ऊपरी भाग पर स्थित है। फिरोजशाह तुगलक द्वारा अंबाला से दिल्ली लाया गया 13 मीटर ऊंचा यह स्तंभ अशोक के सिद्धातों को दर्शाता है। 


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