नई दिल्ली, जागरण टीम। बदलती जीवनशैली में शारीरिक क्रिया न के बराबर हो गई है। पूरे दिन कार्यालय में बैठे रहना और असंतुलित आहार जैसे जंक फूड के बढ़ते सेवन के कारण फैटी लीवर, गैस, कब्ज, पेट में भारीपन, पेट दर्द, खाना पचाने में तकलीफ, मल से खून का आना जैसी समस्या बच्चों से लेकर बड़े सभी में आम हो गई है। ऐसे रोगियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। मंगलवार को दैनिक जागरण व मणिपाल अस्पताल की ओर से विश्व लिवर दिवस पर आयोजित हेलो जागरण में द्वारका स्थित मणिपाल अस्पताल के लिवर ट्रांसप्लांट एंड एचपीबी सर्जरी विशेषज्ञ डा. संदीप झा व पीडियाटिक हेपटोलाजी एंड गैस्ट्रोएंटरोलाजी विशेषज्ञ डा. सुफला सक्सेना ने लोगों को निश्शुल्क परामर्श दिया। लोगों ने प्रमुख रूप से पाचन समस्या, पेट में दर्द, दस्त, कब्ज, पीलिया, टीबी, जलन, अल्सर, लिवर ट्रांसप्लांट, आग्नाशयशोध, हेपेटाइटिस आदि बीमारी से जुड़े अधिक सवाल विशेषज्ञों के समक्ष रखें। प्रस्तुत है सवाल-जवाब के प्रमुख अंश..

 मेरी बेटी को टीबी की समस्या है। डेढ़ माह से उसकी दवाइयां चल रही हैं, पर उसे खानपान में काफी दिक्कत होती है और उसके पैरों में सूजन की समस्या भी है? (घनश्याम, त्रिलोकपुरी)

-टीबी की दवाइयों का लिवर, किडनी व दिल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और यह सामान्य बात है। यही कारण है कि खानपान में थोड़ी समस्या हो रही है, पर धीरे-धीरे जब दवाइयों में बदलाव होगा तो इस समस्या का निदान हो जाएगा। टीबी का इलाज लंबा है। ऐसे में थोड़े-थोड़े अंतराल पर लिवर फंक्शन टेस्ट करा सकते हैं और चिकित्सक के साथ संपर्क में बने रहें। जहां तक पैरों में सूजन की बात है शरीर को पर्याप्त प्रोटीन नहीं मिलने के कारण ये समस्या हो सकती है। खान-पान में संतुलित भोजन को शामिल करें।

मेरे खानपान में मैदा युक्त आहार अधिक शामिल है, जिसके कारण मुझे व मेरे पति को फैटी लिवर व पेट में गैस की समस्या नियमित रूप से रहती है। (पूजा मिश्र, दिल्ली)

- संतुलित आहार की बात करें तो कम चर्बी वाला खाना ही खाएं। अधिक तेल व मसाले वाला खाना लिवर के लिए ठीक नहीं है। खाने में तरल पदार्थ जैसे छाछ, लस्सी, जूस के साथ सलाद, फल व मौसमी सब्जियां, सभी तरह की दालों को शामिल करें। मैदा से बनी चीजों के सेवन से बचें। साथ ही दूध व दही का सेवन बंद कर दें। प्रोटीन सप्लीमेंट का अधिक सेवन भी लिवर को नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में इससे बचें। अगर समस्या अधिक महसूस हो तो लिवर फंक्शन टेस्ट कराकर चिकित्सीय परामर्श लें।

मेरी बेटी को पीलिया है। ऐसे में उसकी डाइट में क्या-क्या शामिल करें, जिससे वह जल्द स्वस्थ हो। (पूनम, राजस्थान)

-पीलिया को लेकर लोगों के दिमाग में कई तरह के मिथ हैं-जैसे मरीज को उबला हुआ खाना देना, पीली चीजें नहीं देना आदि। मरीज की डाइट में तरल पदार्थ जैसे नारियल पानी, छाछ, लस्सी व जूस आदि को शामिल करें। तली हुई चीजें मरीज को न दें। खाने में रोटी, सब्जी, दाल, चावल व सलाद दें, ताकि उन्हें सभी जरूरी पोषक तत्व मिलें। जंक फूड के सेवन से मरीज फिलहाल बचें।

मुझे भूख नहीं लगती है और भोजन करते ही जलन शुरू हो जाती है। क्या करूं? (सौरभ, लोधी रोड)

-आपको एसिडिटी की बीमारी लगती है। तली-भुनी चीजें न खाएं और खाने के तत्काल बाद पानी न पिएं। योग को जीवनशैली में शामिल करें। तनावमुक्त रहने के साथ ही समय पर सोएं। इससे काफी राहत मिलेगी।

मेरा बेटा डेढ़ वर्ष का है। उसे कब्ज की इतनी अधिक समस्या हो रही है किएक माह से उसने खाना-पीना छोड़ दिया है। चिकित्सीय परामर्श लिया, पर कुछ लाभदायक साबित नहीं हुआ। (पंकज चौरसिया, बदरपुर)

-यह समस्या अधिकांश बच्चों में देखने को मिल रही है। गलत खानपान व खाने में फाइबर की कमी के कारण ये समस्या हो रही है। जरूरी है कि चिकित्सा विशेषज्ञ से बच्चे को दिखाएं, ताकि समस्या का समाधान हो।

मुझे बहुत थकान रहती है। क्या यह लिवर खराब होने के लक्षण हैं? (अरुण कुमार, नजफगढ़)

-लिवर सिरोसिस में शुरुआती स्तर में व्यक्ति को अनावश्यक थकान महसूस होती है। उसका वजन भी बेवजह कम होने लगता है। पाचन संबंधी समस्याएं सामने आती हैं। दूसरे चरण में व्यक्ति को अचानक चक्कर आने लगते हैं। उसे भूख नहीं लगती और बुखार जैसे लक्षण होते हैं। इस तरह के लक्षण होने पर तुरंत डाक्टर से परामर्श कर इलाज शुरू करें।

लिवर दुरुस्त रखने के लिए कैसा खानपान होना चाहिए? (लक्ष्मी, मायापुरी)

-पपीता, अंगूर, एवोकोडो, चुकंदर, नींबू, आंवला, अंडा, हल्दी, गाजर, लहसुन, हरी पत्तेदार सब्जियां आदि लिवर के सबसे अच्छे दोस्त हैं। ये लिवर को डिटाक्सीफाइड करने में मदद करते हैं। ग्रीन टी में मौजूद एंटीआक्सीडेंट भी लिवर को डिटाक्स करने में मददगार है। सैचुरेटेड फैट लिवर में फैट बढ़ाने का काम करता है। इसलिए सैचुरेटेड फैट युक्त खाद्य पदार्थो के सेवन से बचें। देर रात के खाने से भी बचें। नान-वेज, ग्लूटेन और डेयरी पदार्थ के सेवन पर पाबंदी लगाएं और पर्याप्त नींद लें। इसके अलावा लिवर की सुरक्षा के लिए शराब के ज्यादा सेवन से बचना चाहिए।

सुबह शौच के लिए जोर लगाना पड़ता है। पेट साफ नहीं होता। दिनभर सिर दर्द की समस्या बनी रहती है। (राजू, कापसहेड़ा)

-आप सुबह हल्का गर्म पानी पिएं। भोजन में गाजर, पालक, सेब व फाइबर युक्त पदार्थ लें। थायरायड की जांच जरूरी है। ईसबगोल की भूसी दो चम्मच रोजाना खाएं।

कैसे पहचान सकते हैं कि हमें लिवर संबंधी परेशानी है? (मानसी, पालम)

-त्वचा और आंखों में पीलापन, उल्टी होना, कम भूख लगना, थकावट, दस्त होना, लगातार वजन घटना, शरीर में खुजली होना, पेट, पैरों, एड़ियों में दर्द और अत्यधिक सूजन लिवर संबंधी बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। पेट में होने वाला हल्का सा दर्द भी लिवर को नुकसान होने की शुरुआत का संकेत हो सकता है। अगर बार-बार पेट में दर्द की शिकायत हो तो चिकित्सीय परामर्श लें।

मोटे व मधुमेह से ग्रस्त मरीजों में क्या फैटी लिवर का खतरा अधिक रहता है? (नैतिक, जनकपुरी)

-जिन लोगों को टाइप-2 डायबिटीज की बीमारी है उन्हें नान-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज होने का खतरा 40 से 80 प्रतिशत तक अधिक होता है तो वहीं जिन लोगों को मोटापे की समस्या है उनमें इस बीमारी का खतरा 30 से 90 प्रतिशत तक बढ़ जाता है

लिवर सिरोसिस क्या है और इसके क्या लक्षण हैं? (नीशू, राजनगर)

-बिना किसी एक्सरसाइज और डाइटिंग के बाद भी वजन कम होना लिवर सिरोसिस का लक्षण है। आमतौर पर यह लिवर सिरोसिस का पहला संकेत है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। यदि शरीर का वजन लगतार कम हो रहा है तो डाक्टर से संपर्क करना चाहिए। सिरोसिस की इस अवस्था में अनावश्यक थकान, वजन घटना और पाचन संबंधी गड़बड़ियां देखने को मिलती हैं। दूसरी अवस्था में चक्कर और उल्टियां आना, भोजन में अरुचि और बुखार जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।

बढ़े हुए कोलेस्ट्राल का लिवर पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है? (धीरेंद्र, मोती नगर)

-खराब कोलेस्ट्राल एक नहीं, कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। खराब कोलेस्ट्राल लेवल आपके आर्टरी वाल पर जमा होना शुरू हो जाता है, जो आपके हृदय के लिए बड़ा खतरा है, लेकिन इसके साथ यह आपके शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है। कोलेस्ट्राल आपके लिवर को भी प्रभावित कर सकता है। लिवर शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों को करता है। यही वजह है कि लिवर का स्वस्थ होना जरूरी है। खराब खानपान और जीवनशैली अस्वास्थ्यकर कोलेस्ट्राल के साथ ही आपके लिवर पर भी असर डालते हैं। खराब कोलेस्ट्राल या कोलेस्ट्राल लेवल के बढ़ने पर यह लिवर के चारों ओर फैट जमा करता है। इस कारण यह नान-एल्कोहालिक फैटी लिवर डिजीज का कारण बन सकता है।

लिवर सिरोसिस ठीक होने में कितना समय लगता है? (कविता, खैरा मोड़)

-सिरोसिस के कारण होने वाली क्षति को ठीक नहीं किया जा सकता है और अंतत: इतना व्यापक हो सकता है कि आपका लिवर काम करना बंद कर देता है। इसे लिवर फेल कहा जाता है। लिवर फेल होने पर सिरोसिस घातक हो सकता है। हालांकि, आमतौर पर इस अवस्था तक पहुंचने में कई साल लगते हैं और सही इलाज से इसे बढ़ने से रोका जा सकता है। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि, आपके शरीर में भी किसी तरह की बीमारियां प्रवेश न कर पाएं तो तो हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाएं, क्योंकि लिवर इंसानी शरीर का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है। जब तक ये ठीक तरीके से काम करता रहता है, तब तक हमारा शरीर कई बीमारियों से खुद ही लड़ने योग्य रहता है।

मुझे फैटी लिवर की समस्या है। मैं जानना चाहता हूं कि क्या लिवर का इलाज संभव है? (राधेश्याम, रांची)

-यदि इसका पता जल्दी लगा लिया जाता है तो इलाज संभव हो सकता है। यदि लिवर कैंसर होने का पता एडवांस स्थिति में चलता है तो इसका इलाज केवल दर्द और परेशानी को दूर करने के लिए किया जाता है। वर्तमान में, प्रारंभिक अवस्था में लिवर कैंसर के लिए केवल 10 में से एक व्यक्ति का निदान किया जाता है।

लिवर में सूजन क्यों आती है? (पूनम, सागरपुर)

-कमजोर लिवर कई बीमारियों का कारण बन सकता है। फैटी लिवर भी इन्हीं बीमारियों में से एक है, जिसमें लिवर में सूजन हो जाती है या फिर सिकुड़ जाता है। इस वजह से खाना पचाना मुश्किल हो जाता है।

मैं तो बिल्कुल स्वस्थ हूं, पर फिर भी मुझे फैटी लिवर की समस्या है, ऐसा क्यों? (देविका, पालम)

-फैटी लिवर की शुरुआती स्टेज में कोई लक्षण नहीं मिलते है, पर इसके प्रमुख कारण मोटापा, मधुमेह आज के दौर में सामान्य बात है। तो इसके कारण लिवर पर फैट जमा हो जाता है। यह आश्चर्यचकित करने वाली बात नहीं है। ओपीडी में आए दिन ऐसे कई मरीज सामने आते हैं। जब किसी अन्य कारण से अल्ट्रासाउंड कराते हैं तो फैटी लिवर की जानकारी मिलती है। समय पर फैटी लिवर की समस्या का समाधान जरूरी है, नहीं तो इसका लिवर पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है। डाइट, वजन नियंत्रण व कसरत इन तीनों उपायों से फैटी लिवर की समस्या से निजात पाया जा सकता है। पांच से दस किलो वजन कम करना होगा और कम कैलरी लेनी होगी।

सिरोसिस के मरीजों का खानपान कैसा होना चाहिए? (काव्या, जहांगीरपुरी)

-सिरोसिस के मरीजों का खानपान देखना बहुत जरूरी है, क्योंकि ऐसे मरीज डाइट लेते हैं तो शरीर उसे ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाता है। इसका कारण है कि उन मरीजों का लिवर ठीक से काम नहीं कर रहा है। ऐसे मरीजों के लिए सुझाव है कि वे दिन में तीन समय के भोजन तक ही सीमित न रहें, बल्कि दिनभर में चार से छह बार भोजन करें। इससे ब्लड ग्लूकोज बना रहता है और प्रोटीन स्टोर व मसल्स स्टोर को नुकसान नहीं होता है। ब्रेकफास्ट लेना न भूलें। रात को सोने से पहले स्नैक्स लें। 1.22 से 1.5 ग्राम प्रोटीन प्रत्येक किलोग्राम वजन के मुताबिक लेना है और कैलरी की बात करें तो 30 से 35 ग्राम प्रत्येक किलोग्राम वजन के हिसाब से लेना है। नमक कम खाना है। मीडिया मार्केटिंग इनिशिएटिव

 कोरोना संक्रमण का भी लिवर पर कोई दुष्प्रभाव है? (नवीन कुलकर्णी, फरीदाबाद)

-कोरोना वायरस से शरीर के सभी अंग प्रभावित होतेहैं। कोरोना संक्रमण के कारण लिवर पर भी काफी असर पर सकता है। देखा गया है कि 15 से 50 प्रतिशत लोगों में लिवर पर असर दिखता है। कोरोना के ज्यादा गंभीर मरीजों में लिवर पर असर ज्यादा दिखता है। आपका लिवर एंजायम बढ़ा हुआ हो सकता है और बिलीरूबिन भी बढ़ा हुआ मिल सकता है। यह वायरस के कारण होता है, शरीर के इम्यून स्टार्म के कारण हो सकता है। दवाइयों के असर से हो सकता है या जो अत्यंत गंभीर मरीज हैं उनमे खून और आक्सीजन के अभाव से भी हो सकता है। सांत्वना वाली बात यह है कि लिवर पर जो असर है वह मरीज के ठीक होने से अपने आप सुधर जाता है। दूसरी बात यह है कि लिवर के दुष्प्रभाव के कारण कोरोना के परिणाम पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है ।

मेरा बेटा सात साल का है। वह जंक फूड भी ज्यादा नहीं खाता है, पर कभी-कभी अचानक उसे पेट दर्द की समस्या होने पर वह दवा देने की मांग करता है? (वर्षा, दिल्ली)

-असल में सुबह बच्चे दूध के साथ ब्रेड या बिस्कुट खाकर घर से स्कूल के लिए निकल जाते है। लंच में भी अधिकांश बच्चे असंतुलित आहार ले जाना अधिक पसंद करते है। जैसे मैगी, पास्ता, मैक्रोनी व सैंडविच आदि। बच्चे की डाइट में प्रोटीन व अन्य पोषक तत्वों की कमी के कारण पेट में दर्द की समस्या होना सामान्य बात है। इसके अलावा सास व जैम बच्चों को काफी पसंद है। पर इनमें प्रिजर्वेटिव होता है, जो लिवर के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। जिम्मेदार अभिभावक होने के नाते हमें चाहिए कि संतुलित आहार खिलाएं। साथ ही एसी में रहने के कारण बच्चे पर्याप्त मात्र में पानी नहीं पीते हैं। इसलिए उन्हें समय-समय पर याद दिलाएं, ताकि वे पानी पिएं। इसके अलावा बच्चे खेलकूद की गतिविधियों में शामिल हों, ताकि शारीरिक रूप से स्वस्थ रहें। सही समय पर एहतियात बरते जाएं तो समस्या का समाधान संभव है।

Edited By: Jp Yadav