दिवाली के बाद दिल्ली फिर स्मॉग चैंबर बनने को तैयार. EPCA ने भी कबूला
सितंबर में बारिश का दौर थमते ही दिल्ली-एनसीआर की हवा में प्रदूषण का जहर बढ़ने लगा।
नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। दिल्ली इस बार फिर से दिवाली के बाद स्मॉग चैंबर बनने की राह पर है। पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने खुद इसे स्वीकार करते हुए कहा है कि अगर सरकारी तंत्र सख्त न हो, तो कुछ नहीं हो सकता। ईपीसीए ने इसके लिए कुछ प्रमुख कारणों को जिम्मेदार माना है।
मौसम बदला तो दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा भी बदल गई। सितंबर माह में ही अक्टूबर की स्थिति का ट्रेलर नजर आ गया तो अक्टूबर के शुरुआती दिनों में भी वायु प्रदूषण इंडेक्स चिंताजनक ही चल रहा है।
सितंबर में बारिश का दौर थमते ही दिल्ली-एनसीआर की हवा में प्रदूषण का जहर बढ़ने लगा। इस माह में एनसीआर के सभी प्रमुख शहरों में प्रदूषण का इंडेक्स भी तेजी से बढ़ा।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई में दिल्ली का प्रदूषण इंडेक्स 98 था। अगस्त में यह 103 जबकि सितंबर में 139 दर्ज किया गया।
-फरीदाबाद में जुलाई माह का प्रदूषण इंडेक्स 72 था। अगस्त में यह 85 जबकि सितंबर में 143 पहुंच गया। गुरुग्राम में जुलाई का प्रदूषण इंडेक्स 95 था जबकि अगस्त और सितंबर में यह क्रमश: 138 और 148 दर्ज किया गया।
ये हैं प्रमुख कारक
- बदरपुर थर्मल पावर स्टेशन का विकल्प नहीं ढूंढ़ा जा सका है।
-सड़कों पर वाहनों का दबाव कम करने के लिए पार्किंग पॉलिसी भी तय नहीं हो सकी है।
- अक्टूबर में 20 नए एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन लगने थे, अभी तक केवल तीन ही लग पाए हैं।
-हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं सामने आ गई हैं। पंजाब के किसानों ने भी पराली जलाने पर लगी रोक को मानने से मना कर दिया है।
-डीटीसी की बसें पांच हजार से घटकर 3499 रह गई हैं। लचर सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था के कारण सड़कों पर निजी वाहन बढ़ गए हैं। इनकी संख्या एक करोड़ पार कर चुकी है।
-मेट्रो का किराया दोपहिया और छोटी सीएनजी कारों के खर्च के बराबर आ गया है।
-भवन निर्माण की धूल और कूड़ा जलाने की घटनाएं अब भी जारी हैं।
ईपीसीए के अध्यक्ष डॉ. भूरेलाल का कहना है कि दिवाली के आसपास वायु प्रदूषण बढ़ना तय है। हम भी क्या कर सकते हैं। कितनी बार बैठकें कर चुके हैं, एनसीआर के सभी राज्यों के मुख्य सचिवों से भी बात कर चुके हैं। खुद भी उन राज्यों का दौरा कर चुके हैं।
गाइडलाइंस जारी करने के साथ-साथ ग्रेडिंग रिस्पांस सिस्टम भी बनवा चुके हैं। इन पर काम कराना सिस्टम का काम है, लेकिन डीटीसी व मेट्रो ने सड़कों पर निजी वाहन बढ़ाने की पूरी तैयारी कर ली है। कूड़ा जलाने वालों पर कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है। पराली भी जल रही है। ऐसे में हालात बिगड़ेंगे ही। सुप्रीम कोर्ट हमसे जवाब मांगेगी तो हम सारी रिपोर्ट पेश कर देंगे।