नोटबंदी के दो साल: मजबूत हुई देश की अर्थव्यवस्था, दिखने लगा है फायदा
आर्थिक विशेषज्ञों व लोगों की राय नोटबंदी को लेकर अलग है। उनका तर्क है कि नोटबंदी केंद्र सरकार का एक साहसिक निर्णय था।
गुरुग्राम, यशलोक सिंह। नोटबंदी के दो साल पूरे हो गए हैं, इसे लेकर अभी भी तमाम बातें हो रही हैं। विपक्षी दलों द्वारा केंद्र सरकार को नोटबंदी के लिए आज भी आड़े हाथों लिया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है। सोशल मीडिया भर भी इसे लेकर काफी चर्चाएं हो रही हैं। राजनीतिक दलों द्वारा भले ही कुछ भी कहा जा रहा हो मगर आर्थिक विशेषज्ञों एवं शहर के लोगों की राय नोटबंदी को लेकर काफी अलग है। उनका तर्क है कि नोटबंदी केंद्र सरकार का एक साहसिक निर्णय था। इसका फायदा दिखने लगा है।
डिजिटल लेनदेन बढ़ा है
टैक्स अदा करने वालों की संख्या तेजी से आगे बढ़ रही है। यही नहीं लगातार नए लोग इनकम टैक्स के दायरे में आ रहे हैं। डिजिटल लेनदेन भी बढ़ा है। कुल मिलाकर आर्थिक प्रक्रिया पारदर्शी बन रही है। नोटबंदी और जीएसटी केंद्र सरकार के ऐसे निर्णय हैं, जिससे अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है। नोटबंदी के दो साल बाद गुरुग्राम के लोगों का कहना है कि जब यह लागू हुई थी तो थोड़ी परेशानी सभी को जरूर हुई थी जिसे लोगों ने स्वीकार किया। राजनीतिक दलों द्वारा नोटबंदी की आलोचना से इत्तेफाक नहीं रखते हैं।
पारदर्शिता का दौर शुरू हुआ है
एक मल्टीनेशनल कंपनी में फाइनेंस अधिकारी ऋषभ कुमार का कहना है कि नोटबंदी का देश को फायदा हो रहा है। पहले लाखों और करोड़ों रुपये के कैश का लेनदेन बिना सरकार की जानकारी के ब्लैकमनी के तौर पर हो जाती थी मगर अब ऐसा नहीं है। दो लाख से अधिक कैश का लेनदेन बंद हो गया है। वहीं टैक्स चोरी करने वाले सुधर गए हैं। हर क्षेत्र में आर्थिक पारदर्शिता का दौर शुरू हुआ है। अधिकतर कारोबारी और आम आदमी डिजिटल साक्षर हो गए हैं। बैंकों की स्थिति भी सुधरी है।
सोच-समझ कर लिया गया था निर्णय
नीति आयोग के पूर्व सलाहकार केएम लाल का कहना है कि नोटबंदी को लेकर कोई कुछ भी कहे पर इसके माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को जो गति मिली है वह काफी शानदार है। इससे कई स्तर पर लाभ मिला है। केंद्र सरकार ने नोटबंदी का निर्णय काफी सोच-समझ कर लिया था। इससे टैक्स अदा करने वाले बढ़े। टैक्स का दायरा भी बढ़ा। नोटबंदी से उन छोटे कारोबारियों को भारी परेशानी हुई थी जिनका लेनदेन कैश में होता था। अब वह भी मार्केट में लौटने लगे हैं। नोटबंदी आर्थिक क्षेत्र में पारदर्शिता लेकर आई है।