लाभ का पद मामला : 20 AAP विधायकों की चुनाव आयोग में सुनवाई आज
AAP विधायकों का तर्क है कि आयोग के जिरह की इजाजत न देने वाले आदेश को उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है, लिहाजा मामले की सुनवाई टाल दी जाए।
नई दिल्ली (जेएनएन)। लाभ का पद मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) के 20 विधायकों के खिलाफ दायर याचिका पर चुनाव आयोग सोमवार को सुनवाई करेगा। AAP विधायकों ने चुनाव आयोग से सुनवाई टालने का आग्रह किया।
AAP विधायकों का तर्क है कि आयोग के जिरह की इजाजत न देने वाले आदेश को उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है, लिहाजा मामले की सुनवाई टाल दी जाए, जिसके बाद चुनाव आयोग ने मामले की सुनवाई 20 अगस्त के लिए तय की थी।
बता दें कि चुनाव आयोग को दिल्ली हाई कोर्ट के आदेशानुसार लाभ के पद की परिभाषा तय करने के मामले में अंतिम दौर की सुनवाई करनी है, क्योंकि पिछली सुनवाई में आयोग ने AAP के 20 विधायकों की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें याचिकाकर्ता से प्रतिवादियों को जिरह (क्रॉस एग्जामिनेशन) करने की इजाजत देने की मांग की गई थी।
आयोग ने 17 जुलाई को जिरह संबंधी विधायकों की याचिका को खारिज कर दिया था। आयोग अब पूर्व में दिए गए दिल्ली हाई कोर्ट के आदेशानुसार लाभ का पद मामले में सुनवाई कर रहा है। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग की सिफारिश और राष्ट्रपति के नोटिफिकेशन को रद कर दिया था, जिसमें 20 AAP विधायकों को विधायक रहते हुए लाभ का पद लेने के आरोप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि AAP विधायकों की सुनवाई ठीक से नहीं हुई है, इसलिए इस मामले में आयोग फिर से सुनवाई करे जिसके बाद चुनाव आयोग ने विधायकों को फिर से सुनवाई के लिए बुलाया था।
मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत, चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और अशोक लवासा ने अपने 70 पन्नों के आदेश में साफ किया था कि लाभ का पद मामले में आरोपी विधायकों द्वारा याचिकाकर्ता से जिरह की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वह इस मामले की कार्रवाई का गवाह नहीं है। साथ ही प्रतिवादी अपनी अर्जी में दी गई दलील के अनुसार इस मामले में किसी गवाह को पेश किए जाने की जरूरत साबित करने में भी नाकाम रहे हैं।
इस आधार पर आयोग ने याचिकाकर्ता से जिरह की इजाजत देने की गत 16 मई को दायर की गई विधायकों की अर्जी को खारिज कर दिया था। इसमें विधायकों ने पटेल के अलावा दिल्ली विधानसभा और दिल्ली सरकार के उन अधिकारियों से अलग-अलग जिरह करने की इजाजत मांगी थी, जिन्होंने विभिन्न दस्तावेजों सबूतों के आधार पर विधायकों द्वारा बतौर संसदीय सचिव सरकारी खर्च पर काम करने और वित्तीय लाभ लेने की बात कही थी।
बता दें कि दिल्ली की सरकार द्वारा संसदीय सचिव नियुक्त किए गए AAP के 20 विधायकों को लाभ के पद पर होने की वजह से विधानसभा सदस्यता से अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली पटेल की याचिका पर आयोग सुनवाई कर रहा है।