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पूर्वी दिल्ली नगर निगम की आमदनी चवन्नी, खर्चा रुपैया; चुनाव से पहले लग सकता है महंगाई का 'करंट'

आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया तो सुना है लेकिन पूर्वी दिल्ली नगर निगम की हालत इससे भी बदतर है। यहां आमदनी चवन्नी लेकिन खर्चा रुपैया है। एक दिन पहले पूर्वी निगम के आयुक्त विकास आनंद ने वित्त वर्ष 2022-23 का 4735 करोड़ रुपये का अनुमानित बजट पेश किया है। उ

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 03:59 PM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 03:59 PM (IST)
पूर्वी दिल्ली नगर निगम की आय चवन्नी, खर्च रुपैया

नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपैया तो सुना है, लेकिन पूर्वी दिल्ली नगर निगम की हालत इससे भी बदतर है। यहां आमदनी चवन्नी, लेकिन खर्चा रुपैया है। एक दिन पहले पूर्वी निगम के आयुक्त विकास आनंद ने वित्त वर्ष 2022-23 का 4,735 करोड़ रुपये का अनुमानित बजट पेश किया है। उन्होंने संपत्ति कर की दरों में दो से तीन फीसद की वृद्धि का प्रस्ताव दिया है। थियेटर कर 8 नक्शा पास कराने का शुल्क बढ़ाया है। नए कर भी लगाए हैं। इसके बावजूद आंतरिक स्नोतों से पूरे साल में करीब 1,187 करोड़ रुपये ही मिलने का अनुमान है। साथ ही सत्ता पक्ष संपत्ति कर में वृद्धि और नए करों को भी मंजूर नहीं करेगा। ऐसे में निर्भरता दिल्ली सरकार से मिलने वाले फंड पर ही रहेगी।

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निगम के पदाधिकारी भी मानते हैं कि हमें अपने स्नोतों से आय बढ़ाने की जरूरत है, पर जनता पर किसी तरह का कर का बोझ वह नहीं डालना चाहते हैं। यही वजह है कि सभी नेता दायरा बढ़ाने का सुझाव दे रहे हैं। अभी भी एक तिहाई लोग ही संपत्ति कर जमा करते हैं। इसके अलावा बिना नक्शे के मकान भी बन रहे हैं। अगर इनको कर के दायरे में लाया जाए तो निगम की आय बढ़ सकती है।

दिल्ली सरकार को कर के रूप में मिली रकम का कुछ हिस्सा सभी निगमों को मिलता है। इस तरह से दिल्ली सरकार से अगले वित्त वर्ष में पूर्वी निगम को करीब 3,502 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है। इसके अलावा दिल्ली और केंद्र सरकार से कुछ योजनाओं में फंड मिलता है। इसमें करीब 52 करोड़ रुपये मिलने की संभावना है। इस तरह से पूर्वी निगम की प्राप्ति का आकलन करीब 4,742 करोड़ रुपये का है। इसमें से 4,735 करोड़ रुपये निगम खर्च करेगा। लेकिन, दिल्ली सरकार भी तरफ से पूरा फंड नहीं मिल पाता है। पिछले वित्त वर्ष में पूर्वी निगम को आंतरिक और बाह्य स्नोतों को मिलाकर भी करीब 2,079 करोड़ रुपये ही मिले थे। हालांकि, इसमें कोरोना का प्रभाव भी रहा।


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