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Earthquake in Delhi: बड़ा भूकंप आने पर दिल्ली के इन तीन इलाकों पर है ज्यादा खतरा

Earthquake in Delhi बड़ा भूकंप आने पर दिल्ली में ज्यादा नुकसान की आशंका वाले क्षेत्रों में यमुना तट के करीबी इलाके शाहदरा मयूर विहार और लक्ष्मी नगर हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 13 Apr 2020 09:23 AM (IST)Updated: Mon, 13 Apr 2020 09:23 AM (IST)
Earthquake in Delhi: बड़ा भूकंप आने पर दिल्ली के इन तीन इलाकों पर है ज्यादा खतरा

नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। Earthquake in Delhi:  भले ही रविवार शाम दिल्ली में आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर केवल 3.5 रही हो, लेकिन भविष्य के लिए यह किसी किसी बड़े खतरे का संकेत भी हो सकता है। वजह, भूकंप का अधिकेंद्र जहां पर था, उसी पूर्वी दिल्ली के बारे में 80 भू-वैज्ञानिकों की टीम बहुत पहले एक रिपोर्ट तैयार कर चुकी है। आमतौर पर फाइलों में दबी रहने वाली इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेने की जरूरत है। दरअसल, इस रिपोर्ट के जरिये भूकंप के दुष्परिणामों को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने दिल्ली क्षेत्र की जमीन के नीचे की मिट्टी की जांच करवाकर यह पता किया है कि इसके कौन-कौन से क्षेत्र सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं। इस रिपोर्ट में साफ बताया गया है कि घनी आबादी वाले यमुनापार समेत तीन इलाके सर्वाधिक खतरनाक हैं। बड़ा भूकंप आने पर दिल्ली में ज्यादा नुकसान की आशंका वाले क्षेत्रों में यमुना तट के करीबी इलाके शाहदरा, मयूर विहार और लक्ष्मी नगर हैं।

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ज्ञात हो कि जमीन के भीतर की संरचना पर होने वाले अध्ययन को भू-वैज्ञानिक सिस्मिक माइक्रोजोनेशन कहते हैं। आमतौर पर पश्चिमी दिल्ली, सोनीपत और रोहतक के आसपास कई भूकंप आ चुके हैं, लेकिन पूर्वी दिल्ली में भूकंप का केंद्र लंबे समय बाद सुनने को मिला है। जियोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के सेवानिवृत्त निदेशक डॉ. हरि सिंह सैनी कहते हैं कि भूकंप का केंद्र पूर्वी दिल्ली और वो भी सिर्फ 8 किलोमीटर नीचे होना किसी बड़ी चिंता से कम नहीं है। वजह, पूर्वी दिल्ली की मिट्टी बहुत ढीली है। यहां पर यमुना नदी के पास वाली मिट्टी डाली गई है, जिसकी उम्र भी बहुत कम है। यह इलाका यमुना खादर में बसा हुआ है और यहां के ज्यादातर भवनों में भी कोई न कोई कमी है।

हरि सिंह सैनी का कहना है कि जब भूकंप आता है तो मकान का भविष्य काफी हद तक जमीन की संरचना पर भी निर्भर करता है। यदि भवन नमी वाली सतह यानी रिज क्षेत्र या किसी ऐसी मिट्टी के ऊपर बना है जो लंबे समय तक पानी सोखती है तो उसे खतरा ज्यादा है, क्योंकि भूकंप आने पर वहां की मिट्टी ढीली हो जाती है। जहां मिट्टी शुष्क या बालू वाली हो, पत्थर की चट्टानें नीचे हों तो वहां भूकंप के दौरान अलग-अलग प्रभाव होते हैं।

दिल्ली-एनसीआर में तीन फाल्ट लाइन

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के निदेशक (ऑपरेशन) जे एल गौतम का कहना है कि जहां फॉल्ट लाइन होती है, वहीं पर भूकंप का एपीसेंटर बनता है। दिल्ली-एनसीआर में जमीन के नीचे दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट लाइन, मथुरा फॉल्ट लाइन और सोहना फॉल्ट लाइन मौजूद है, इसलिए बेहतर है कि इन जगहों पर निर्माण भूकंपरोधी हों।ऐसे पता चला पूर्वी दिल्ली है ज्यादा खतरनाकमिट्टी के नमूने लेने के लिए भू-वैज्ञानिकों ने दिल्ली में करीब पांच सौ जगहों पर 30 मीटर और उससे अधिक नीचे तक ड्रिलिंग की। इससे मिट्टी की शक्ति का पता किया। जानकारी मिली कि भूकंप के लिहाज से कौन से क्षेत्र सुरक्षित और खतरनाक हैं।

दिल्ली-एनसीआर और भूकंप

विशेषज्ञों के मुताबिक पूर्वी दिल्ली के ज्यादातर भवनों में कोई न कोई कमी है। कुछ में तो उसे ठीक किया जा सकता है लेकिन कुछ इमारतों की बीमारी लाइलाज है। दिल्ली-एनसीआर भूकंप को लेकर अधिक तीव्रता वाले जोन 4 में आता है, जहां रिक्टर पैमाने पर आठ तीव्रता वाला भूकंप भी आ सकता है।


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