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Earthquake: भूकंप का तेज झटका झेलने की स्थिति में नहीं NCR, दिल्ली में भी सुरक्षित नहीं 80% इमारतें

Earthquake in Delhi NCR दिल्ली के साथ UP और हरियाणा के कई इलाके सिस्मिक जोन-4 में आते हैं। सच बात तो यह है कि इन इलाकों में तेज गति का भूकंप आया तो भारी जान माल का नुकसान होगा क्योंकि इमारतों को बनाने में लापरवाही बरती जा रही है।

By Jp YadavEdited By: Published: Wed, 09 Nov 2022 05:50 AM (IST)Updated: Wed, 09 Nov 2022 05:50 AM (IST)
Earthquake: भूकंप का तेज झटका झेलने की स्थिति में नहीं NCR, दिल्ली में भी सुरक्षित नहीं 80% इमारतें
दिल्ली और आसपास के क्षेत्र सिस्मिक जोन-4 में शामिल हैं।

नई दिल्ली/नोएडा/गुरुग्राम/सोनीपत, जागरण डिजिटल डेस्क। भूकंप के तेज झटकों ने मंगलवार-बुधवार की मध्य रात्रि गहरी नींद में सोए दिल्ली-एनसीआर ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के लोगों भी नींद उड़ा दी। राष्‍ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक, 8और 9 नवंबर की मध्य रात्रि 1 बजकर 57 मिनट पर आए इस भूकंप की तीव्रता 6.3 दर्ज की गई। भूकंप के झटके दिल्ली और यूपी के साथ उत्तराखंड में भी महसूस किए गए।

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दिल्ली-एनसीआर भूकंप के लिहाज से खतरनाक

देश को भूकंप के लिहाज से 4 सिस्मिक जोन में बांटा गया है। इसे जोन-दो, जोन-ती, जोन-चा और जोन-पांच नाम से जाना जाता है। वैज्ञानिकों के लिहाज से जोन-5 में आने वाले क्षेत्र भूकंप के लिहाज से सबसे संवेदनशील हैं। वहीं, दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्र जोन-4 में शामिल हैं, इनमें दिल्ली के अलावा यूपी और हरियाणा के इलाके भी आते हैं।

एनसीआर की हालत और खराब

दिल्ली के साथ एनसीआर में भी कई इलाके ऐसे हैं, जहां पर घर/फ्लैट तेज गति के भूकंप को झेलने लायक नहीं है।  भूकंप विज्ञान विभाग के मुताबिक कमजोर और ऐसी इमारतों में रहने वाले लोग, जो भूकंप रोधी नहीं हैं, यहां पर सावधानी बरतने की जरूरत है। ऐसे घरों में रहना जान को जोखिम में डालने जैसा है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीबाद के अलावा एनसीआर के सभी शहरों में भूकंपरोधी घर नहीं बनाए जा रहे हैं। कुछ ही इमारतों में भूकंपरोधी नियमों का पालन किया जा रहा है।

भूकंप का औसत खतरा भी नहीं झेल सकती कई इमारतें

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि भूकंप के साथ-साथ कमजोर इमारतों से भी राष्ट्रीय राजधानी को खतरा है। एक अनुमान के मुताबिक, दिल्ली की 70-80 प्रतिशत इमारतें भूकंप का औसत से बड़ा झटका झेलने के लिहाज से नहीं बनी हैं। वहीं, अतिक्रमण कर बनाई गई इमारतों की स्थिति और भी बदतर है। पूर्वी दिल्ली में बनी पुरानी इमारतों अधिक तीव्रता का भूकंप नहीं झेल सकती हैं। यहां की संकरी गलियों में बड़े भूकंप की स्थिति में मदद तक नहीं पहुंच सकती है।

भूकंप के लिहाज से दिल्ली में 80% इमारतें खतरनाक

राष्ट्रीय राजधानी में भूकंप के लिहाज से इमारतें नहीं बनी हैं। जरा सी बारिश के चलते दिल्ली में इमारतों के गिरने का सिलसिला शुरू हो जाता है। ऐसे में 7 की तीव्रता का भूकंप आया तो दिल्ली में भारी जान माल की हानि हो सकती है। कुछ साल पहले एक रिपोर्ट में दिल्ली की 80 प्रतिशत इमारतों को असुरक्षित माना गया।

दिल्ली हाई कोर्ट भी जता चुका है चिंता

दिल्ली में भूकंप के झटकों से इमारतों को सुरक्षित रखने के संबंध में कार्रवाई योजना को लागू करने में असफल रहने दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार की आलोचना भी कर चुका है। एक जनहित याचिका पर दिल्ली की इमारतों को लेकर अप्रैल, 2015 में नेपाल में भूकंप का जिक्र भी दिल्ली हाई कोर्ट कर चुका है।

2015 में आए तेज भूकंप का जिक्र भी कर चुका है HC

अपनी टिप्पणी में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि यदि दिल्ली में नेपाल जैसा भूकंप आता है तो यहां मौतों का आंकड़ा लाखों में हो सकता है। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा था कि अधिक तीव्रता का भूकंप अनधिकृत कॉलोनियों में विनाश की स्थिति पैदा कर सकता है।

दिल्ली, UP-हरियाणा के कई इलाकों में भूकंप का अधिक खतरा

गौरतलब है कि दिल्ली एनसीआर 3 सक्रिय फॉल्ट लाइन पर मौजूद है। ये फॉल्ट लाइन सोहना, मथुरा और दिल्ली मुरादाबाद में आती हैं, वहीं जबकि गुरुग्राम सात सक्रिय फॉल्टलाइन पर मौजूद है। जो पूरे एनसीआर में सबसे ज्यादा खतरे में है। दिल्ली सिस्मिक जोन-4 में आता है, ऐसे में यहां पर भूकंप का खतरा लगातार बना रहता है।

भूकंप नहीं झेल पाने वालों की सूची में शॉपिंग मॉल भी

दिल्ली विकास प्राधिकरण (Delhi Development Authority) ने राजधानी दिल्ली की तीन सौ ऐसी इमारतों की सूची तैयार की है, जो तेज भूकंप के झटके नहीं झेल पाएंगी। इन इमारतों में ग्रुप हाउसिंग सोसायटी भी हैं और बड़ी-बड़ी व्यावसायिक इमारतें एवं शॉपिंग मॉल भी हैं। यह सभी इमारतें 21 मार्च 2001 से पूर्व की बनी हुई हैं। इसके बावजूद इनका सुरक्षा सुरक्षा ऑडिट नहीं कराया गया।

यही नहीं भूकंप रोधी बनाने की दिशा में कोई रेट्रोफिटिंग भी नहीं हुई है। दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश पर डीडीए इन सभी इमारतों की सूची तैयार कर नोटिस जारी किया है, लेकिन सुधार के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। 

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