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DUTA Election 2021: भाजपा समर्थित NDTF की जीत के निकाले जा रहे ये ऐतिहासिक मायनें, डीयू पर पड़ेगा दूरगामी असर

डूटा कार्यकारिणी परिषद के 15 सदस्यों के चुनाव के लिए 22 उम्मीदवार मैदान में थे। एनडीटीएफ ने पांच उम्मीदवार उतारे थे। ये सभी चुनाव जीतने में कामयाब हुए हैं। एनडीटीएफ के कमलेश कुमार रघुवंशी चमन सिंह हरेंद्र कुमार सिंह लूकी कुमारी खन्ना महेंद्र कुमार मीणा बड़े अंतर से चुनाव जीते।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 01:47 PM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 01:47 PM (IST)
DUTA Election 2021: भाजपा समर्थित NDTF की जीत के निकाले जा रहे ये ऐतिहासिक मायनें, डीयू पर पड़ेगा दूरगामी असर
डूटा अध्यक्ष पद के साथ ही भाजपा समर्थित एनडीटीएफ का कार्यकारिणी पर भी दबदबा

नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के चुनाव परिणाम शुक्रवार देर रात जारी हुए। डीयू शिक्षकों ने वामपंथ और कांग्रेस समर्थित शिक्षक संगठनों को नकार दिया है। भाजपा समर्थित नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एनडीटीएफ) ने अध्यक्ष पद पर तो कब्जा जमाया ही, कार्यकारिणी के परिणामों में भी उसका दबदबा दिखा। यह चुनाव परिणाम कई मायनों में ऐतिहासिक हैं, जिसके डीयू पर दूरगामी असर पड़ेंगे। डीयू के शिक्षकों ने एनडीटीएफ का स्वागत किया। 24 साल बाद एनडीटीएफ ने अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाया है। अध्यक्ष पद के लिए त्रिकोणीय मुकाबले में एनडीटीएफ उम्मीदवार प्रो. एके भागी ने वामपंथी शिक्षक संगठन डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (डीटीएफ) की डा. आभा देव हबीब को 13 सौ से अधिक मतों के अंतर से हराया। कांग्रेस समर्थित शिक्षक संगठन के उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे।

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डूटा अध्यक्ष एवं कार्यकारिणी के सदस्यों के चुनाव हर दो साल के बाद होते हैं। अध्यक्ष के लिए नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एनडीटीएफ) ने प्रो.अजय कुमार भागी, डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (डीटीएफ) ने डा. आभादेव हबीब और एकेडमिक्स फार एक्शन एंड डेवलपमेंट (एएडी) ने डा. प्रेमचंद को उतारा था, वहीं एडहाक टीचर्स फ्रंट की तरफ से डा. शबाना आजमी अध्यक्ष पद के लिए किस्मत आजमा रही थीं। शुक्रवार को नार्थ कैंपस में मतदान हुआ। कुल 9446 शिक्षक मतदाताओं में से 7194 ने मतदान किया।

डीयू में पदोन्नति और तदर्थ शिक्षकों के समायोजन के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे प्रो. एके भागी पहले ही राउंड से आगे रहे। देर रात जारी परिणाम भी एनडीटीएफ के पक्ष में ही रहे। डीयू प्रशासन ने बताया कि एके भागी को कुल 3584 मत मिले, जबकि डीटीएफ की डा. आभा देव हबीब को 2202 मत मिले। एएडी उम्मीदवार डा. प्रेमचंद को 832 मतों से ही संतोष करना पड़ा। तदर्थ शिक्षिका शबाना आजमी को 263 मत मिले।

एनडीटीएफ के पक्ष में किस कदर शिक्षकों ने विश्वास जताया, इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि डीटीएफ, एएडी और तदर्थ शिक्षिका शबाना आजमी को मिले कुल मत भी प्रो. एके भागी के बराबर नहीं पहुंचते। डूटा चुनावों में पहली बार इतने बड़े अंतर से किसी प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है।

कार्यकारिणी में भी एनडीटीएफ का दबदबा

डूटा कार्यकारिणी परिषद के 15 सदस्यों के चुनाव के लिए 22 उम्मीदवार मैदान में थे। एनडीटीएफ ने पांच उम्मीदवार उतारे थे। ये सभी चुनाव जीतने में कामयाब हुए हैं। एनडीटीएफ के कमलेश कुमार रघुवंशी, चमन सिंह, हरेंद्र कुमार सिंह, लूकी कुमारी खन्ना, महेंद्र कुमार मीणा बड़े अंतर से चुनाव जीते।

कार्यकारिणी के लिए डीटीएफ के चार उम्मीदवार मैदान में थे। सभी चारों जितेंद्र कुमार मीणा, नंदिता नारायण, रुद्राशीष चक्रवर्ती और वीएस दीक्षित कार्यकारिणी के लिए चुन लिए गए हैं। एएडी ने चार उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से दो ने जीत दर्ज की। इसमें प्रो. अंजू जैन और डा.आनंद प्रकाश शामिल हैं।

शिक्षकों को वेतन नहीं मिलने से हारे डीटीए

आम आदमी पार्टी समर्थित शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) पहली बार डूटा चुनावों में उतरी थी। कार्यकारिणी के लिए डीटीए अध्यक्ष डा. हंसराज सुमन मैदान में थे। उन्हें उम्मीद से कम शिक्षकों के मत मिले। चुनाव में हार के पीछे वजह संबंधी एक सवाल के जवाब में डा. हंसराज सुमन ने कहा कि दिल्ली सरकार से वित्तपोषित डीयू के 12 कालेजों में शिक्षकों को वेतन नहीं मिलना बड़ी वजह है।

शिक्षकों ने मतदान केंद्र पर डीटीए को मत न देने की अपील भी किए। हंसराज सुमन ने कहा कि डीटीए शिक्षक संगठन शिक्षकों के हितों के लिए काम करता रहेगा। भले ही हम डूटा में रहें या नहीं। बकौल डा. सुमन, बहुत जल्द मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री से मिलेंगे।


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