‘अंडमान की जेल में 13 साल बिताने वाले सावरकर का अपमान करना देश में हो गया है फैशन’
DU में नवीन अकादमिक सत्र शुरू होने वाला है। वीर सावरकर के पेपर को वैकल्पिक तौर पर पाठ्यक्रम में जोड़ा गया है। इस फैसले के पीछे क्या वजह है। इन सवालों के साथ दैनिक जागरण के उदय जगताप ने डीयू के कुलपति प्रो. योगेश सिंह से विस्तृत चर्चा की है।
नई दिल्ली, उदय जगताप। दिल्ली विश्वविद्यालय में नवीन अकादमिक सत्र शुरू होने वाला है। सीयूईटी की परीक्षाएं चल रही हैं। अगले हफ्ते तक विश्वविद्यालय सीएसएएस पोर्टल की शुरुआत कर देगा।
डीयू इस बार स्नातकोत्तर में दाखिले भी सीयूईटी के जरिये ही ले रहा है। ऐसे में प्रवेश को लेकर डीयू की क्या तैयारियां हैं।
तदर्थ शिक्षकों की भर्तियां चल रही हैं और शिक्षकों का विस्थापन हो रहा है। विश्वविद्यालय इसे रोकने के लिए क्या कदम उठा रहा है। हाल में डीयू ने अकादमिक परिषद की बैठक में राजनीतिक विज्ञान के पाठ्यक्रम से अल्लामा इकबाल को हटाने का निर्णय लिया है।
वीर सावरकर के पेपर को वैकल्पिक तौर पर पाठ्यक्रम में जोड़ा गया है। इस फैसले के पीछे क्या वजह है।
इन सवालों के साथ दैनिक जागरण के उदय जगताप ने डीयू के कुलपति प्रो. योगेश सिंह से विस्तृत चर्चा की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश...।
डीयू ने अपने पाठ़यक्रम में सावरकर का पेपर जोड़ा है और इकबाल को हटाया है। इसकी क्या वजह है?
देखिए, इकबाल ने सारे जहां से अच्छा जरूर लिखा, लेकिन देश के विभाजन की बात करने वाले लोगों में वे पहले थे। ऐसी शख्सियत को पाकिस्तान पढ़ाए।
भारत में पढ़ाने की जरूरत नहीं है। रही सावरकर की बात, उन्होंने 13 साल अंडमान की जेल में बिताए। उनका पूरा जीवन संघर्ष करते हुए बीता। विचारधारा से आप असहमत हो सकते हैं, लेकिन उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
देश में इस वक्त सावरकर को गाली देना फैशन बन गया है। वैकल्पिक पेपर में उन्हें पढ़ाया जा रहा है। अगर उसका भी विरोध होता है तो कहां लोकतंत्र है। कार्ल मार्क्स को भी पढ़ाया जा रहा है। हमने उन्हें नहीं हटाया। आप अपनी पसंद के अनुसार चुन सकते हैं।
अकादमिक सत्र शुरू हो चुका है। ऐसे में विश्वविद्यालय की ओर से क्या तैयारी है?
हम पूरी तरह तैयार हैं। अगले हफ्ते तक सीएसएएस पोर्टल शुरू हो जाएगा। छह सेमेस्टर का सिलेबस तैयार किया जा चुका है।
सीयूईटी परीक्षाएं निर्बाध संपन्न हो रही हैं। पिछले वर्ष की खामियों को काफी हद तक दूर कर लिया गया है। रही 12वीं के अंकों को वेटेज देने की बात तो इंजीनियरिंग व मेडिकल में यह सवाल नहीं उठता।
एनटीए भी चाहती है कि सीयूईटी का पेपर सिलेबस से ही आए। 12वीं में जिन छात्रों ने अच्छे अंक लाए हैं, वे सीयूईटी में जरूर अच्छे अंक लाएंगे।
प्रवेश में खेल कोटे को पांच प्रतिशत से घटाकर 2.5 कर दिया गया है, इसकी खास वजह?
पाठ्येत्तर गतिविधियों और खेल दोनों के लिए कोटा 2.5 किया गया है। अक्सर पाठ्येत्तर गतिविधि के छात्र कम कोटा मिलने की शिकायत करते थे। इसलिए सबके साथ समानता बरतने के लिए कदम उठाया है। अगर लगेगा कि फैसले से सही परिणाम नहीं आ रहे तो अगले सत्र में फिर इसे बदल दिया जाएगा।
डीयू में शिक्षकों की भर्तियां चल रही हैं और तदर्थ शिक्षकों का विस्थापन नहीं रुक रहा है। क्या कहेंगे?
दो हजार शिक्षकों की नियुक्तियां हो चुकी हैं। इनमें 1400 के तदर्थ शिक्षक ही नियुक्त हुए हैं। 70 प्रतिशत विस्थापन की बात कहकर झूठ फैलाया जा रहा है।
एक कालेज से कोई बाहर हुआ है तो दूसरे कालेज में उसे नौकरी मिली है। साक्षात्कार के लिए इतनी बड़ी कमेटी बैठ रही है, कुछ विस्थापन तो होंगे। हालांकि अभी दिल्ली सरकार के 28 कालेजों में भर्तियां निकलेंगी। उनको यहां भी मौका मिलेगा।
दिल्ली सरकार के कालेजों से गवर्निंग बाडी के गठन का मसला सुलझ क्यों नहीं रहा है?
ऐसा कोई मसला नहीं है। सरकार को हम गवर्निंग बाडी के गठन के लिए पांच नाम भेज चुके हैं। वे नाम अंतिम कर दें तो गठन हो जाएगा।
हम लगातार सरकार को पत्र लिख रहे हैं। सचिव से भी मिल चुके हैं, लेकिन सरकार निर्णय नहीं ले रही तो यह उनको सोचना है। जहां हो सकता है वहां भर्तियों की कोशिश की जा रही है।
सेंट स्टीफेंस में सीयूईटी से प्रवेश का मामला सुलझ क्यों नहीं रहा है?
अब मामला कोर्ट में है। पिछले वर्ष कोर्ट ने हमारे पक्ष में निर्णय दिया था। एक बार फिर कोर्ट में मामला है। वहां हम अपनी बात रखेंगे, लेकिन उन्हें 100 प्रतिशत सीयूईटी से ही दाखिले करने होंगे।
हमारा कहना स्पष्ट है। बाकी कोर्ट का निर्णय जो होगा, उसे माना जाएगा। हम अल्पसंख्यक बच्चों को दाखिले से रोक नहीं रहे हैं, 50 प्रतिशत कोटा सुरक्षित है।
उन्हीं बच्चों का दाखिला होना है। कोई कम अंग्रेजी जानने वाला छोटे शहर का बच्चा आता है तो उसे सिखाइए। आप इतने बड़े संस्थान हैं। उसे पढ़ने का मौका न देना कहां तक सही है। सिख अल्पसंख्यक कालेज भी हैं, लेकिन उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।
शिक्षा के छात्रों के लिए नया कोर्स आइटेप लाया गया, क्या यह जल्दबाजी में लिया गया फैसला है?
इसका जवाब मैं एनसीटी के अध्यक्ष के नाते दूंगा। कालेजों ने खुद कोर्स के लिए आवेदन किया था। अब वे इन्कार कर रहे हैं। पुराना कोर्स खत्म नहीं हुआ है। नया कोर्स शुरू किया गया है, वह भी पायलेट प्राजेक्ट के तौर पर।
देशभर में 40 संस्थानों में यह कोर्स शुरू किया जा रहा है। इसका पाठ्यक्रम तैयार हो गया है। एनटीए के जरिये ही प्रवेश परीक्षा कराई जाएगी। डीयू के एजुकेशन डिपार्टमेंट में अगले सत्र से कोर्स शुरू किया जाएगा।