Delhi News: डीयू करता रहा इंतजार, अंबेडकर विश्वविद्यालय ने सीओए में दाखिले की प्रक्रिया शुरू की
Delhi News अंबेडकर विश्वविद्यालय ने एक अधिसूचना जारी किया है। जिसमें कहा है कि 28 जनवरी को दिल्ली सरकार का एक पत्र प्राप्त हुआ जिसमें कालेज आफ आर्ट में शैक्षणिक सत्र 2022-23 में बैचलर आफ फाइन आर्ट और मास्टर आफ फाइन आर्ट में दाखिला शुरू करने को कहा गया।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कालेज आफ आर्ट में विगत शैक्षणिक सत्र में दाखिले नहीं हुए। छात्र दाखिले से वंचित रह गए। दिल्ली विश्वविद्यालय, उच्च शिक्षा निदेशालय और अम्बेडकर विश्वविद्यालय के बीच कालेज आफ आर्ट किसी फुटबाल की मा¨नद हो गया। सभी एक दूसरे की तरफ बाल फेंक अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं, खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ता है। दिल्ली विश्वविद्यालय ने दो माह पूर्व कालेज आफ आर्ट को दाखिला शुरू करने के निर्देश दिए थे। डीयू इंतजार करता रहा और इधर डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय ने दाखिले की प्रक्रिया शुरू कर दी। जब ये बात डीयू शिक्षकों को पता चली तो कुलपति प्रो. योगेश सिंह को पत्र लिखकर तत्काल हस्तक्षेप की गुहार लगाई है।
दाखिले की प्रक्रिया शुरू
अंबेडकर विश्वविद्यालय ने एक अधिसूचना जारी किया है। जिसमें कहा है कि 28 जनवरी को दिल्ली सरकार का एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें कालेज आफ आर्ट में शैक्षणिक सत्र 2022-23 में बैचलर आफ फाइन आर्ट और मास्टर आफ फाइन आर्ट में दाखिला शुरू करने को कहा गया। यह दाखिले अंबेडकर विश्वविद्यालय के अधीन होंगे। इसलिए कालेज आफ आर्ट में दाखिले तदनुसार होंगे। अधिसूचना में कहा गया कि कालेज आफ आर्ट की वेबसाइट पर दाखिले की पूरी जानकारी बहुत जल्द अपलोड की जाएगी।
11 सदस्यों ने लिखा पत्र
डीयू के अकादमिक और कार्यकारी परिषद के 11 सदस्यों ने कुलपति प्रो. योगेश सिंह को पत्र लिखा है। कार्यकारी परिषद की सदस्य सीमा दास, आलोक पांडेय, डा. जेएल गुप्ता, सुधांशु कुमार, आनंद प्रकाश समेत अन्य द्वारा लिखे पत्र में कहा गया है कि कालेज आफ आर्ट ने शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए, औपचारिक रूप से अंबेडकर विश्वविद्यालय के एक अंग के रूप में बैचलर ऑफ फाइन आर्ट (बीएफए) और मास्टर आफ फाइन आर्ट (एमएफए) पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिनियमों और कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन है और साथ ही यह कार्यकारी परिषद के उस निर्णय की भी अवहेलना है जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय से कॉलेज ऑफ आर्ट की असंबद्धता को विधिवत खारिज किया जा चुका है।
पत्र में कहा गया है कि यहां यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि उपराज्यपाल ने स्पष्ट रूप से कहा है कि विलय की दिशा में बढ़ाया गया ऐसा कोई भी कदम 'दिल्ली विश्वविद्यालय से कॉलेज ऑफ आर्ट की असंबद्धता' का सूचक होगा। सदस्यों ने कुलपति से अनुरोध किया है कि वो तत्काल हस्तक्षेप करें और डीयू के जरिए दाखिले की प्रक्रिया शुरू करवाएं। गत वर्ष नहीं हुए दाखिलेगत वर्ष दो मार्च को दिल्ली सरकार ने अपनी कैबिनेट में फैसला लिया था कि कालेज आफ आर्ट को अंबेडकर विश्वविद्यालय से संबद्ध किया जाएगा।
डीयू ने इस मामले में एक कमेटी गठित की थी जिसने असंबद्धता के फैसले को नकार दिया था। सरकार की तरफ से 15 नवंबर को कालेज आफ आर्ट को अंबेडकर वि में विलय का पत्र भेजा। डीयू की कार्यकारी परिषद ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर तय किया कि कालेज डीयू से ही संबद्ध रहेगा। इस साल उपराज्यपाल ने भी मामले में हस्तक्षेप किया और पत्र भेजा। इन सबके बीच गत वर्ष कालेज में दाखिले शुरू नहीं हो पाए। जबकि छात्र कालेज को अंबेडकर वि में विलय से नाराज है, लंबे समय तक छात्रों ने प्रदर्शन भी किया।
कुलपति प्रो. अनु सिंह लाठर ने बताया कि कालेज आफ आर्ट दिल्ली सरकार का कालेज है। हमें इसमें दाखिले करने के लिए शिक्षा विभाग से आदेश मिला है। इसके आधार पर हम दाखिले शुरू कर रहे हैं। डीयू से असंबद्धता का मामला भी जल्द सुलझ जाएगा।
डीयू के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि कालेज आफ आर्ट प्राचार्य को दाखिले शुरू करने के निर्देश दिए थे। स्पष्ट कहा गया था कि कालेज, डीयू के अधीन है। हम कालेज के जवाब का इंतजार कर रहे हैं। मीडिया से पता चल रहा है कि अंबेडकर विश्वविद्यालय ने दाखिले की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हम कालेज प्रशासन से इस बाबत बात करेंगे।
दिल्ली सरकार वापस ले फैसला
डूटा दिल्ली वि शिक्षक संघ (डूटा) ने एक बयान जारी कर कहा कि कालेज आफ आर्ट की स्थापना 1942 में हुई थी। तब से यह दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध है।एक अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कालेज को केंद्रीय विश्वविद्यालय से अलग कर अंबेडकर विश्वविद्यालय का विभाग बनाया जा रहा है। संसद में पारित दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिनियम के अनुसार, कालेज आफ आर्ट को अंबेडकर विश्वविद्यालय या किसी अन्य विश्वविद्यालय से संबद्ध नहीं किया जा सकता है। इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार को अपना फैसला वापस लेना चाहिए। डीयू ने कालेज की असंबद्धता को लेकर कोई एनओसी नहीं दी है।