दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के ताज पर रार, जानें कौन-कौन हैं रेस में शामिल
शंटी ने अध्यक्ष सहित पूरी कार्यकारिणी के इस्तीफे पर सवाल उठाया था। इस वजह से 19 जनवरी को जनरल हाउस की बैठक में जीके सहित पूरी कार्यकारिणी को दोबारा इस्तीफा देना पड़ा।
नई दिल्ली, जेएनएन। मनजीत सिंह जीके के इस्तीफे के बाद दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीपीसी) की कुर्सी पाने को लेकर अकाली नेताओं की बेकरारी बढ़ गई है। इस अहम पद पर काबिज होने की दौड़ में कार्यकारी अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका और कार्यकारी महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा सबसे आगे हैं। दोनों डीएसजीपीसी का अध्यक्ष बनकर दिल्ली की सिख सियासत में अपनी हैसियत बनाना चाहते हैं, इसके लिए वे पार्टी हाई कमान का आशीर्वाद पाने की जुगत में लगे हैं।
इसके साथ ही कमेटी के सदस्यों को अपने पक्ष में करने की कोशिश भी हो रही है। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे जीके ने पिछले वर्ष दिसंबर में डीएसजीपीसी अध्यक्ष पद छोड़ने का एलान किया था। उनके साथ पूरी कार्यकारिणी ने इस्तीफे की घोषणा करते हुए फिर से चुनाव कराने का प्रस्ताव दिया था।
19 जनवरी को चुनाव कराने के लिए जनरल हाउस की बैठक भी बुला ली गई, लेकिन जीके पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाले कमेटी के सदस्य व पूर्व महासचिव गुरमीत सिंह शंटी की याचिका पर अदालत ने चुनाव पर रोक लगा थी। शंटी ने अध्यक्ष सहित पूरी कार्यकारिणी के इस्तीफे पर सवाल उठाया था। इस वजह से 19 जनवरी को जनरल हाउस की बैठक में जीके सहित पूरी कार्यकारिणी को दोबारा इस्तीफा देना पड़ा।
इस कार्यकारिणी की अवधि 29 मार्च तक थी, इसलिए चुनाव इस बची हुई अवधि के लिए ही होना है। कमेटी के सदस्यों का कहना है कि कार्यकारिणी का चुनाव दो वर्षों के लिए होता है। बीच में चुनाव कराने के लिए जनरल हाउस को प्रस्ताव पास करके गुरुद्वारा निदेशक के पास भेजना होता है। जीके के इस्तीफे के बाद गुरुद्वारा निदेशक को चुनाव कराने का प्रस्ताव भी भेज दिया है।
निदेशक से दो महीने के बजाय पूरे दो वर्षों के लिए चुनाव कराने की अपील की गई है, ताकि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का काम सुचारु रूप से चल सके। अब गुरुद्वारा निदेशक को इस बारे में फैसला लेना है। वहीं, कालका व सिरसा अध्यक्ष पद की कुर्सी पर कब्जा जमाने की जुगत में लगे हुए हैं। बताते हैं कि कालका को जीके का समर्थन हासिल है। जबकि, सिरसा की पार्टी हाई कमान से नजदीकी बताई जाती है।
नए अध्यक्ष को लेकर शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर ¨सह बादल ने पिछले दिनों पार्टी के नेताओं व कमेटी सदस्यों से मुलाकात की थी, लेकिन अभी किसी एक के नाम पर मुहर नहीं लग सकी है। इसके साथ ही दोनों नेता कमेटी के सदस्यों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं। सिरसा को उम्मीद है कि जीके पर लगे भ्रष्टाचार से नाराज हुए सदस्य उनके पक्ष में खड़ा होंगे। दूसरी ओर जीके अपने खिलाफ साजिश की बात कर रहे हैं।