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DSGMC Elections 2021 : सरना का दावा, पंजाबी ज्ञान के टेस्ट में मनजिंदर सिंह सिरसा फेल

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के निवर्तमान अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा को गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर गुरुमुखी पढ़ने के लिए बुलाया था लेकिन सिरसा पंजाबी नहीं पढ़ सके और लिखने से भी इन्कार कर दिया।

By Prateek KumarEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 08:08 PM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 09:39 PM (IST)
मनजिंदर सिंह सिरसा की अध्यक्ष पद की दावेदारी खतरे में पड़ गई है।

नई दिल्ली [सतोष कुमार सिंह]। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के निवर्तमान अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा के पंजाबी ज्ञान पर सवाल उठाकर अदालत पहुंचे शिरोमणि अकाली दल दिल्ली (सरना) के महासचिव हरविंदर सिंह सरना ने अब उनके पंजाबी ज्ञान में फेल होने का दावा कर इस मामले को गर्मा दिया है। इसके उलट, सिरसा का कहना है कि वह इस टेस्ट में पास हुए हैं। वहीं, इस बारे में गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय ने कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया। इस टेस्ट की रिपोर्ट निदेशालय को अब हाई कोर्ट को देनी है, रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट निर्णय लेगा।

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हरविंदर सिंह सरना ने शुक्रवार को दावा किया कि गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर सिरसा को पंजाबी लिखने-पढ़ने के लिए बुलाया था, लेकिन वह पंजाबी पढ़ नहीं सके और लिखने से भी इन्कार कर दिया। ऐसे में उनकी डीएसजीएमसी के अध्यक्ष पद की दावेदारी खतरे में पड़ सकती है। सरना का कहना था कि इस टेस्ट के दौरान वह भी वहीं मौजूद थे। वहीं, सरना के दावों को पूरी तरह से खारिज करते हुए सिरसा ने कहा कि उन्हें पंजाबी अच्छे से आती है और गुरुद्वारा निदेशालय में भी उन्होंने पंजाबी पढ़ और लिखकर दिखा दी है। विरोधी दल के नेता मेरे पंजाबी ज्ञान पर निर्णय लेने वाले कौन होते हैं। इनका काम सिर्फ भ्रम फैलाना है।

उल्लेखनीय है कि सरना ने दिल्ली हाई कोर्ट में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा सिरसा को नामित सदस्य मनोनित करने पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उन्हें गुरमुखी (पंजाबी भाषा की लिपि) का ज्ञान नहीं है। कमेटी के सदस्य के लिए यह अनिवार्य होता है। उनकी शिकायत पर हाई कोर्ट ने गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय को इसकी जांच करने को कहा था। सरना ने ही सिरसा को हाल ही में हुए डीएसजीएमसी चुनाव में पंजाबी बाग सीट से पराजित किया है।

चुनाव हारने के बाद सिरसा को एसजीपीसी ने डीएसजीएमसी में सदस्य के रूप में मनोनीत किया था, जिसके बाद पिछले दरवाजे से उनके अध्यक्ष बनने की राह खुल गई थी। नौ सितंबर को नामित सदस्यों के चयन की प्रक्रिया के लिए गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय ने डीएसजीएमसी के नवनिर्वाचित सदस्यों की बैठक बुलाई थी। उस दिन सरना ने निदेशक से शिकायत की थी कि सिरसा को गुरमुखी का ज्ञान नहीं है, इसलिए वह कमेटी का सदस्य नहीं बन सकते हैं। गुरुद्वारा एक्ट में इस बारे में स्पष्ट उल्लेख नहीं होने की बात कहकर निदेशालय ने उनकी शिकायत खारिज कर दी थी, जिसके बाद वह हाई कोर्ट चले गए थे।

डीएसजीएमसी चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार को पंजाबी का ज्ञान होना अनिवार्य है। इस आधार पर शिरोमणि अकाली दल (बादल) के एक उम्मीदवार का नामांकन बीते दिनों रद हो गया था। अब इसे आधार बनाकर निवर्तमान अध्यक्ष की राह रोकने की कोशिश की जा रही है।


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