कोरोना के खिलाफ जंग में सेनापति की भूमिका निभा रहीं डा. प्रज्ञा
डा. प्रज्ञा ने बताया कि कोरोना के शुरुआती दौर में दिल्ली एनसीआर में सिर्फ उनके अस्पताल में ही कैंसर के मरीजों का इलाज चल रहा था। इसलिए उनके पास काफी जिम्मेदारियां थीं। कई कैंसर के मरीज भी संक्रमित हुए। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना और इलाज की पूरी जिम्मेदारी थी।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के क्लीनिकल आन्कोलाजी विभाग की अध्यक्ष डा. प्रज्ञा शुक्ला कोरोना काल में योद्धा की तरह सेवा के लिए हमेशा आगे रहीं। अस्पताल में कोरोना के इलाज और टीकाकरण की नोडल अधिकारी रहने के साथ उन्होंने घर-परिवार की जिम्मेदारी बखूबी निभाई। सेनापति के रूप में उन्होंने दिन-रात मरीजों की सेवा की। साथ ही टीकाकरण के प्रति अन्य कर्मचारियों की झिझक को दूर करने के लिए उन्होंने अपने अस्पताल में सबसे पहले खुद टीका लगवाया।
डाॅ. प्रज्ञा ने बताया कि टीका लगने के बाद उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई और उन्होंने सामान्य दिनों की तरह अपना सारा काम किया। अब वे दूसरे लोगों से टीका लगवाने की अपील कर रही हैं। पिछले वर्ष कोरोना काल में लगातार काम करते हुए वह काफी बीमार हो गई थीं। लेकिन, उनकी जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई थी।
कोरोना के बीच कैंसर के मरीजों को देखा
डा. प्रज्ञा ने बताया कि कोरोना के शुरुआती दौर में दिल्ली एनसीआर में सिर्फ उनके अस्पताल में ही कैंसर के मरीजों का इलाज चल रहा था। इसलिए उनके पास काफी जिम्मेदारियां थीं। कई कैंसर के मरीज भी संक्रमित हुए। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना और उनका इलाज करने की पूरी जिम्मेदारी उनके ऊपर थी। ऐसे में अस्पताल के कर्मचारी भी काफी हताश हो गए थे। कोरोना ने उनके सहायक नितिन की जान भी लील ली।
चलाई जागरूकता मुहिम
डाॅ. प्रज्ञा ने बताया कि उनके साथी कर्मचारी कोरोना का टीका लगवाने से काफी डर रहे थे। 16 जनवरी को देश में टीकाकरण की शुरुआत हुई थी, तब उन्होंने खुद डीएम से बात कर अस्पताल में पहली डोज लगवाई। अस्पताल में टीके की दूसरी डोज लगवाने में भी वह सबसे आगे रहीं। उन्होंने कहा कि किसी को टीके से डरने की जरूरत नहीं है। वह फेसबुक, वाट्सएप व ट्विटर पर भी लोगों से मास्क पहनने व शारीरिक दूरी बनाए रखने की अपील कर रही हैं। साथ ही टीकाकरण के लिए भी जागरूक कर रही हैं।