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लगातार पांचवें दिन डाक्टरों की हड़ताल जारी, घटने लगी मरीजों की संख्या, इमरजेंसी और ओपीडी सेवाएं रहीं प्रभावित

Resident Doctors on Strike in Delhi आरएमएल की ओपीडी के बाहर बैठे उप्र के सम्भल से आए सुधीर ने बताया कि उनके 58 वर्षीय पिता की नसों में डाक्टरों ने ब्लाकेज बताया था। साथ ही उन्हें एक महीने पहले 21 दिसंबर की तारीख देकर एंजियोग्राफी के लिए बुलाया था

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Wed, 22 Dec 2021 01:16 PM (IST)Updated: Wed, 22 Dec 2021 02:02 PM (IST)
लगातार पांचवें दिन डाक्टरों की हड़ताल जारी, घटने लगी मरीजों की संख्या, इमरजेंसी और ओपीडी सेवाएं रहीं प्रभावित
रेजिडेंट डाक्टरों की हड़ताल जारी रहने से मरीज परेशान रहे।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राजधानी में लगातार पांचवें दिन रेजिडेंट डाक्टरों की हड़ताल जारी रहने से मरीज परेशान रहे। मंगलवार को राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल की इमरजेंसी में वरिष्ठ डाक्टर तो दिखे, लेकिन बेड खाली थे, क्योंकि डाक्टरों की संख्या बहुत कम थी। इसलिए कम मरीजों को ही भर्ती किया गया। हड़ताल के कारण नियमित सर्जरी की सेवाओं पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है। पांच दिन में अलग-अलग अस्पतालों में लगभग 1,500 नियमित सर्जरी रद हुई हैं।

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वहीं, कस्तूरबा गांधी अस्पताल के चिकित्सक डा. सुनील ने बताया कि इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है, जबकि डाक्टरों की संख्या उस हिसाब से कम है। ऐसे में उपलब्ध डाक्टरों को अधिक से अधिक मरीजों को देखना पड़ रहा है। वहीं, हड़ताल की सूचना मिलने से अब अस्पतालों में कम मरीज पहुंच रहे हैं। आरएमएल की ओपीडी के बाहर बैठे उप्र के सम्भल से आए सुधीर ने बताया कि उनके 58 वर्षीय पिता की नसों में डाक्टरों ने ब्लाकेज बताया था। साथ ही उन्हें एक महीने पहले 21 दिसंबर की तारीख देकर एंजियोग्राफी के लिए बुलाया था, लेकिन हड़ताल के कारण एंजियोग्राफी नहीं हो सकी। सुबह 11 बजे से अस्पताल में हर तरह से कोशिश कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

हड़ताल की बात कहकर वापस जाने के लिए कहा जा रहा है। वहीं, कलावती सरन अस्पताल में कुछ गंभीर बच्चों को तो इमरजेंसी में इलाज मिला, जबकि अधिकतर को वापस भेज दिया गया। अपनी बेटी को दिखाने के लिए इमरजेंसी में आई सीमा ने बताया कि बेटी के पेट में तेज दर्द था। घर के पास के क्लीनिक के डाक्टर से दवा दिलाई थी, लेकिन आराम न मिलने पर मजबूरी में यहां लेकर आई।

लेकिन, डाक्टरों ने दवा लेकर वापस घर जाने के लिए कह दिया और बुधवार को ओपीडी में दिखाने के लिए कहा। इसी तरह लोकनायक अस्पताल में इमरजेंसी में बहुत कम मरीज देखे गए। वहीं, ओपीडी में आए अधिकतर मरीजों को वापस किया गया। सफदरजंग अस्पताल में भी मरीज भटकते रहे। हड़ताल की वजह से एम्स, कस्तूरबा, बाड़ा हिंदू राव, संजय गांधी जैसे प्रमुख अस्पतालों में मरीजों की भीड़ काफी बढ़ गई है।

निर्माण भवन के बाहर डाक्टरों ने किया प्रदर्शन

पांच सौ से ज्यादा रेजिडेंट डाक्टरों ने मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के कार्यालय निर्माण भवन के बाहर प्रदर्शन किया। यहां सुबह 11 बजे से ही डाक्टरों की भीड़ जुटने लगी थी। इस दौरान रेजिडेंट डाक्टरों ने ताली और थाली बजाकर नीट-पीजी काउंसलिंग जल्द शुरू कराने के लिए जमकर नारेबाजी की। इस दौरान डाक्टरों ने शर्ट पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का चित्र बनाकर उस पर फूल बरसाए।

इस बीच फोर्डा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. मनीष चौधरी कहा कि कोरोना काल में हम पर सरकार ने फूल बरसाए थे, लेकिन सरकार अब हमारी मांगें नजरअंदाज कर रही है। ऐसे में हम फूल वापस लौटा रहे हैं। मांग पूरी न होने तक हड़ताल जारी रहेगी।


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