Nirbhaya Justice: एक कारपेंटर से पुलिस को मिला था निर्भया के सभी 6 दरिंदों का सुराग
Nirbhaya Justice 16 दिसंबर 2012 की रात हुई घटना जितनी बड़ी थी। पुलिस को उतनी ही आसानी से जल्द सुराग भी मिल गया था।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Nirbhaya Justice: 16 दिसंबर, 2012 की रात छह दरिंदों द्वारा चलती बस में युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म व पीट पीट कर अधमरा कर देने की घटना जितनी बड़ी थी। पुलिस को उतनी ही आसानी से जल्द सुराग भी मिल गया था। जांच के लिए बनाई गई टीम ने 24 घंटे के अंदर मुख्य दोषी राम सिंह को दबोच केस को सुलझा लिया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन डीसीपी छाया शर्मा ने घटना के समय जिले में तैनात सभी काबिल अधिकारियों की टीम बना अलग-अलग जिम्मेदारी सौंप तफ्तीश में लगा दिया।
निर्भया के साथ मौजूद पुरुष मित्र से भी पुलिस को मिली मदद
वहीं, इस वीभत्स घटना के दौरान बस में मौजूद निर्भया के पुरुष मित्र से पूछताछ के आधार पर पुलिस टीम ने जांच शुरू की। जांच में पता चला कि उक्त बस में सामूहिक दुष्कर्म से पहले एक कारपेंटर से लूटपाट की गई थी। उस कारपेंटर से पुलिस को एक दोषी राम सिंह के नाम का पता लग गया।
पूछताछ में पीड़ित कारपेंटर ने बताया था कि बस रविदास कैंप, सेक्टर तीन की झुग्गी में राम सिंह के घर के सामने खड़ी होती है। बस दिनेश यादव नाम के ट्रांसपोर्टर की है। बस क्या था। पुलिस ने राम सिंह को दबोच बस बरामद कर ली।
रामसिंह से पूछताछ के आधार पर अगले दिन रविदास कैंप से ही विनय व पवन को भी दबोच लिया गया। इसके बाद मुकेश और अक्षय को भी गिरफ्तार कर लिया गया। उक्त पांच दोषियों को पांच दिन के अंदर पकड़ लिया गया। सातवें दिन नाबालिग को आनंद विहार बस अड्डा से दबोच लिया गया
गौरतलब है कि निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में 20 मार्च की सुबह 5 बजकर 30 मिनट पर जैसे ही फांसी का फंदा खींचा चारों दोषियों की कुछ ही सेकेंड में मौत हो गई। इसी के साथ साढ़े सात साल बाद निर्भया की मां को अपनी लड़ाई का अंजाम मिल गया।
देशभर के लोगों ने राहत
पिछले तकरीबन 3 साल से इस मामले में कानूनी दांवपेंच जारी थे। इससे निर्भया के मां-बाप तक परेशान हो गए थे और इस परेशानी को उन्होंने कई बार सार्वजनिक रूप से इजहार भी किया। खैर, चारों दोषियों को फांसी लगने के बाद खासकर महिलाओं ने बड़ी राहत की बात कही है। तकरीबन सभी महिलाओं का मानना है कि इससे समाज में इस तरह की मानसिकता रखने वाले लोगों के मन में भय का संदेश जाएगा।
अपराधियों के मन में पैदा होगा भय
लोगों का यह भी मानना है कि 16 दिसंबर, 2012 की रात को हुए निर्भया सामूहिक दुष्कर्म व हत्याकांड के चार दोषियों को शुक्रवार को फांसी पर लटकाने के बाद से अपराधियों के मन में भय पैदा होगा। अब तक अपराधियों के मन में यह मानसिकता थी कि वह अपराध करके बच जाएंगे, लेकिन इस फांसी ने ऐसे लोगों को कई सबक दिए हैं।
यह भी जानें
- 16 दिसंबर, 2012 की रात को पैरामेडिकल की 23 वर्षीय छात्रा को तब सामूहिक दुष्कर्म का शिकार बनाया गया था, जब वह बस में सवार होकर अपने घर लौट रही थी।
- 6 दरिंदों (राम सिंह, एक नाबालिग, विनय कुमार शर्मा, पवन कुमार गुप्ता, मुकेश सिंह और अक्षय कुमार सिंह) ने चलती बस में बारी-बारी से निर्भया के साथ दुष्कर्म करने के साथ बुरी तरह शारीरिक रूप से प्रताड़ित भी किया था।
- हालात ज्यादा बिगड़ने पर निर्भया को सिंगापुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां पर इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।