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बिजली गुल तो डीजल से नहीं चला सकेंगे जेनरेटर, दिल्ली-एनसीआर में प्रतिबंध लगाने की तैयारी

दिल्ली-एनसीआर में डीजल जेनरेटर हवा में जहर घोलने में बड़ा रोल अदा कर रहे हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 16 Apr 2018 07:36 AM (IST)Updated: Mon, 16 Apr 2018 12:44 PM (IST)
बिजली गुल तो डीजल से नहीं चला सकेंगे जेनरेटर, दिल्ली-एनसीआर में प्रतिबंध लगाने की तैयारी
बिजली गुल तो डीजल से नहीं चला सकेंगे जेनरेटर, दिल्ली-एनसीआर में प्रतिबंध लगाने की तैयारी

नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। आने वाले समय में दिल्ली-एनसीआर में डीजल जेनरेटर पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया जा सकता है। दरअसल, डीजल जेनरेटर हवा में जहर घोलने में बड़ा रोल अदा कर रहे हैं। यही वजह है कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय तथा केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय सहित विभिन्न एजेंसियों के प्रतिनिधियों वाली उच्च स्तरीय समिति ने स्वच्छ ईंधन को लेकर केंद्र सरकार को सौंपी रिपोर्ट में दिल्ली-एनसीआर में डीजल जेनरेटर पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है।

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इसके साथ ही मोबाइल टावर के लिए भी अब डीजल जेनरेटर का प्रयोग नहीं किया जा सकेगा। इसके लिए भी पीएनजी कनेक्शन लेना जरूरी होगा। फिलहाल केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) इस रिपोर्ट का अध्ययन कर रहा है। जल्द ही केंद्र सरकार इस पर अमल की दिशा में काम शुरू कर सकती है।

वेस्ट फूड से भी बनेगी बिजली

इस रिपोर्ट में वेस्ट फूड से भी बिजली बनाने की तकनीक विकसित करने की बात कही गई है। इससे बर्बाद हो रहे खाने का सदुपयोग होगा और लोगों को हरित ईंधन मिल सकेगा।

100 फीसद एलपीजी-पीएनजी

रिपोर्ट में सिफारिश की गई कि शहरी क्षेत्रों के 100 फीसद घरों में पीएनजी और ग्रामीण क्षेत्रों के 100 फीसद घरों में एलपीजी सप्लाई हो। इससे घरेलू इस्तेमाल के लिए मिट्टी के तेल, उपले, लकड़ी आदि के प्रयोग पर रोक लगेगी। मिट्टी के तेल को घरेलू इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगे और बीपीएल धारक परिवारों को एलपीजी व पीएनजी के लिए सब्सिडी दी जाए। साथ ही उन्हें कर में भी 100 फीसद छूट दी जाए।

कराधान प्रणाली में सुधार

स्वच्छ ईंधन को सस्ता बनाने के लिए कराधान प्रणाली में भी सुधार की सिफारिश की गई है। समिति ने कहा है कि एलएनजी (लिक्विड नेचुरल गैस) और पीएनजी (पाइप्ड नेचुरल गैस) पेट कोक और फर्नेस ऑयल की तुलना में महंगी महंगी है। ऐसा अधिक कर लगाने के कारण है।

नहीं हो रहा बिजली का उपयोग

दिल्ली के 300 किलोमीटर के दायरे में 13 थर्मल पावर प्लांट हैं जो 11,000 मेगावॉट बिजली का उत्पादन कर रहे हैं। इससे दिल्ली की मांग का 50 फीसद पूरा हो सकता है, लेकिन इसमें से सिर्फ 20 फीसद का ही इस्तेमाल हो रहा है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि व्यस्ततम घंटों के समय कम खपत, कम कीमत की नीति अपनानी चाहिए।

रिपोर्ट में दिए गए अन्य सुझाव

1. एनसीआर में गैस आधारित ऊर्जा उत्पादन के लिए कस्टमर ड्यूटी में छूट, पाइपलाइन दरों में कमी और ट्रांसमिशन चार्ज में कटौती की जानी चाहिए।

2. बीएस-6 पर फोकस कर हवा में 80 फीसद तक सल्फर कम किया जा सकता है। इसके लिए डीटीसी डिपो में एचसीएनजी डेमो प्रोजक्ट शुरू किया जाए।

3. दिल्ली में आर्गेनिक वेस्ट से भी बिजली बनाई जानी चाहिए। 26-32 मेगावॉट बिजली इसी तरह बननी चाहिए।

4. स्ट्रीट लाइट और कूकिंग गैस में बायो गैस का इस्तेमाल होना चाहिए।

5. कमर्शियल सेक्टर जैसे होटल, रेस्तरां आदि में कोयले की खपत कम करने के लिए पीएनजी की आपूर्ति होनी चाहिए।


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